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    शनिदेव की बहन हैं सूर्यपुत्री यमुना

    By Edited By:
    Updated: Thu, 17 Nov 2011 12:12 AM (IST)

    द्वारिका सेमवाल, बड़कोट :

    विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम अनेकों धार्मिक परंपराओं व मान्यताओं को स्वयं में समेटे हुए सर्वश्रेष्ठ महातम्य के लिए प्रसिद्ध है। सूर्यपुत्री होने के नाते यमुना को शनिदेव की बहन माना जाता है। खरसाली गांव में समेश्वर देवता के रूप में पूजे जाने वाले शनिदेव की डोली हर साल कपाट खुलने व बंद होने पर बहन की डोली के साथ होती है। खरसाली के ग्रामीण सदियों से इस विशिष्ट परंपरा के वाहक बने हुए हैं।

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    यमुनोत्री धाम के प्रवेश द्वार बड़कोट से 43 किलोमीटर जानकीचट्टी तक मोटर मार्ग और जानकीचट्टी से पांच किमी पैदल 3135 मीटर की ऊंचाई पर यमुनोत्री धाम स्थित है। पुराणों के अनुसार यमुना कांठा ही कालिंदी पर्वत है और इसी पर्वत की बेटी कालिंदजा है। कालिंद सूर्य का ही दूसरा नाम है और यमुना सूर्य की पुत्री हैं। सूर्य पुत्री यमुना को सूर्य देव का वरदान है कि जो भी व्यक्ति यमुनोत्री धाम में आकर यमुना में स्नान करेगा, उसके पापों का नाश होने के साथ ही शनि की वक्रदृष्टि और यम यातना से मुक्ति मिलेगी। मान्यता है कि सूर्य की दो पत्‍ि‌नयां संज्ञा और छाया थी, संज्ञा से यमुना व यम हुए जबकि छाया से शनिदेव। पौराणिककाल से ही शनिदेव की डोली भैयादूज के दिन यमुना को लेने यमुनोत्री धाम जाती है और छह: माह बाद खरसाली से यमुनोत्री धाम छोड़ने भी शनिदेव की डोली ही जाती है। खरसाली गांव में शनिदेव यानी समेश्वर महाराज को आराध्य माना जाता है। खरसाली के ग्रामीण सदियों से पूरी आस्था और उत्साह के साथ इस परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं। प्रत्येक वर्ष अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए दर्शनार्थ खोल दिये जाते हैं। जबकि भैयादूज कार्तिक शुक्ल (यम द्वितीया) के दिन यमुनोत्री धाम के कपाट छह माह के लिए बंद कर दिये जाते हैं, जिसके बाद मां यमुना के दर्शन उनके मायके खरसाली गांव में किये जाते हैं। मंदिर समिति के सचिव पं.खिलानन्द उनियाल, पं.पवन उनियाल कहते हैं कि यमुनोत्री में यमुना में स्नान करने से ही मानव को मुक्ति मिल जाती है, जो व्यक्ति यम द्वितीया को यमुना के दर्शन करके रात्रि में यमुनोत्री में निवास करते हैं उनके सभी पाप धुल जाते हैं। कार्तिक शुक्ल द्वितीया का कल्याणकारी दिन मृत्यु देवता यमराज की पूजा का शुभ दिन होता है, जिसे सभी लोग यम द्वितीया या भैयादूज के नाम से जानते हैं।

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