सैकड़ों हुए दुआओं के तलबगार
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- शेर अली शाह के छह दिवसीय उर्स का समापन
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: काठगोदाम स्थित हजरत शेर अली शाह के छह दिवसीय उर्स का गुरुवार को कुलशरीफ के साथ समापन हुआ। इस मौके पर उलेमाओं ने बाबा की जीवनी पर रोशनी डाली।
उलेमाओं ने कहा कि सूफी तहजीब दिलों से जोड़ने का पैगाम देती है। भाईचारा, अपनत्व की धारणा में विश्वास रखती है। यही वजह है कि आज विश्व में सूफी संस्कृति का परचम बुलंद है। लोगों से एकता कायम करने की अपील करते हुए कहा कि खराब बातों से गुरेज करें तो अच्छाई को अपनाकर अपनी एकता को मजबूत करें। कहा कि दुनिया का कोई भी मजहब सौहार्द को ठेस पहुंचाने की इजाजत नहीं देता है। सूफी तहजीब तो अल्लाह की राह में सबकुछ कुर्बान करने की इजाजत देती है। सुबह साढ़े नौ बजे बाबा का कुल शुरू किया गया। काठगोदाम जामा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना मोहम्मद वसीम अख्तर ने कुरान शरीफ की आयतों का उच्चारण किया। शाह के दरबार में कौम और मुल्क की खैर और बरकत के लिए दुआ की गयी। इसके बाद जायरीनों में तवर्रुख तकसीम किया गया। मोहम्मद हशमत, रईस अहमद, रफत अली, मोहम्मद कयूम, शमशेर अली, सलीम बेग आदि शामिल रहें।
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लिंटर गिरा, बाल-बाल बचे जायरीन
कुलशरीफ के मौके पर दरगाह परिसर के प्रवेश द्वार के समीप बनी टंकी का लिंटर अचानक गिर गया। जिससे वहां अफरा-तफरी मच गयी। बाबा का करम ही था हजारों लोगों की भीड़ के बावजूद किसी जायरीन को खरोंच तक नहीं आई।
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