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    Uttarkashi: यमुनोत्री मार्ग पर 8 चट्टियां, स्यानाचट्टी के लोग होते थे सयाणा; थकान मिटाने को रुकते थे तीर्थयात्री

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 02:27 PM (IST)

    यमुनोत्री मार्ग पर चट्टियों का ऐतिहासिक महत्व है। कभी इन चट्टियों में श्रद्धालु रात्रि विश्राम करते थे। स्यानाचट्टी में बुजुर्ग यात्रियों को आगे की रा ...और पढ़ें

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    आज भी प्राचीन चट्टियों से रूबरू कराती है यमुनोत्री धाम की यात्रा। फाइल

    संवाद सूत्र, जागरण, बड़कोट। चारधाम यात्रा मार्ग पर केवल मंदिर और तीर्थ ही नहीं, बल्कि वे पड़ाव आज भी आस्था का हिस्सा हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में चट्टी कहा जाता है। एक समय था, जब श्रद्धालु इन चट्टियों में रात्रि विश्राम करते थे।

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    धर्मशालाएं और छोटे ठहराव स्थल यहां यात्रियों की थकान मिटाने का साधन हुआ करते थे। यमुनोत्री मार्ग पर कुल आठ चट्टियां हैं, इनमें से अधिकांश सड़क से जुड़ चुकी हैं। इनकी आध्यात्मिक और पौराणिक अहमियत अब भी उतनी ही प्रबल है।

    यमुनोत्री दर्शन के लिए निकलने वाले यात्री सबसे पहले बड़कोट से करीब 17 किमी दूर जमुनाचट्टी पहुंचते हैं। कभी यहीं पर सड़क मार्ग समाप्त हो जाता था। इसके बाद स्यानाचट्टी और फिर रानाचट्टी आती है। इस स्थान पर तीर्थयात्री जमुना चट्टी के बाद द्वितीय पड़ाव के रूप में रुकते थे।

    यहां रहने वाले बड़े-बुजुर्ग यात्रियों को आगे आने की चुनौतियों से परिचित कराते हुए सावधानी बरतने की सलाह देते थे, इसलिए उन्हें सयाणा कहा जाता था। कालांतर सयाणा शब्द का अपभ्रंश स्याना हो गया और इसे स्यानाचट्टी कहा जाने लगा।

    इसके बाद रानाचट्टी का नाम यहां निवास करने वाले राणा समुदाय से जुड़ा है। इसके आगे पांच किमी दूर स्थित हनुमानचट्टी का विशेष महत्व है। यहां हनुमान गंगा और यमुना का संगम होता है। मान्यता है कि भगवान राम ने हनुमानजी की प्यास बुझाने के लिए यहां जलधारा प्रकट की थी।

    नारदचट्टी और फूलचट्टी का महत्व

    हनुमानचट्टी से चार किमी दूर नारदचट्टी है, जहां देवऋषि नारद ने तपस्या की थी। यहां गर्म पानी के कुंड, नारद कुंड और राधा-कृष्ण मंदिर भी दर्शनीय स्थल हैं।

    नारदचट्टी से तीन किमी की दूरी पर फूलचट्टी है, जो अपने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और फूलों के कारण यात्रियों को आकर्षित करती है। जनश्रुति है कि भीम ने वनवास काल में द्रौपदी के लिए फूल खोजने को इस क्षेत्र की यात्रा की थी।

    कृष्णाचट्टी और जानकीचट्टी की आस्था

    फूलचट्टी से चार किमी दूर कृष्णाचट्टी है, जिसे कृष्णापुरी भी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां यमुना की पूजा करने से वही फल मिलता है, जो वृंदावन में पूजन करने से प्राप्त होता है। सड़क मार्ग का अंतिम पड़ाव है जानकीचट्टी। यहां गर्म पानी का कुंड जानकी कुंड के नाम से प्रसिद्ध है। इसके निकट राम मंदिर और हनुमान धर्मशाला हैं।