उत्तरकाशी में फिर खतरे की दस्तक, स्यानाचट्टी में दोबारा आकार लेने लगी झील; स्कूल डूबा
उत्तरकाशी में यमुना घाटी के स्यानाचट्टी में यमुना नदी के तेज वेग से टूटी झील फिर से बन रही है जिससे खतरा बढ़ गया है। माध्यमिक विद्यालय का कुछ भाग झील में डूब गया है और पुल तक जलस्तर पहुंचने की आशंका है। लगातार वर्षा और भूस्खलन से गंगोत्री और यमुनोत्री हाईवे कई जगहों पर बंद हैं। देहरादून टिहरी उत्तरकाशी समेत कई जिलों में भारी वर्षा का अलर्ट है।
जासं, उत्तरकाशी। स्याना चट्टी क्षेत्र में कुदरत का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। कुछ दिन पूर्व बनी अस्थायी झील जो कि यमुना के तेज बहाव के चलते प्राकृतिक रूप से खाली हो गई थी। वह रविवार को दोबारा बनना शुरू हो गई है। इससे उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सहित कई होटल दोबारा झील की चपेट में आने लगे हैं।
जिला आपदा परिचालन केंद्र के अनुसार रविवार दोपहर तक यमुना नदी का जलस्तर कुथनौर के पास 1427.330 मीटर दर्ज किया गया, जबकि खतरे का निशान 1427.500 मीटर है। यानी नदी का स्तर खतरे की सीमा से बेहद करीब है। स्थानीय निवासी अजय पाल सिंह ने बताया कि कुदरती रूप से टूटी झील का दोबारा बनना क्षेत्र के लिए गंभीर खतरा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन ने समय रहते झील क्षेत्र से सिल्ट और मलबा हटाने में गंभीरता नहीं दिखाई। वहीं, कुपड़ा गाड़ लगातार मलबा और पत्थर लाकर यमुना पर अवरोध खड़ा कर रहा है, लेकिन तकनीकी स्तर पर प्रभावी कार्रवाई का अभाव साफ दिख रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए तो स्याना चट्टी समेत निचले इलाकों के लिए एक और आपदा की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
चौबीस घंटे की राहत और फिर आफत
बीते गुरुवार को यमुना नदी का प्रवाह बनने से बनी झील में स्यानाचट्टी के 19 होटल 2 आवासीय भवन समेत जीएमवीएन का गेस्ट हाउस, पुलिस चौकी, सहकारी समिति भवन तथा यमुनोत्री धाम को जोड़ने वाला पुल झील में जलमग्न हो गए थे।वहीं, करीब 150 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया था।
बीते शुक्रवार रात को मूसलाधार वर्षा के बीच नदी का जलस्तर अचानक बढ़ा, जिससे उफनाई यमुना ने प्राकृतिक रूप से उसके बहाव में बाधा बने कुपड़ा गाड के मलबे आदि को हटा दिया। नदी अपने सामान्य प्रवाह में आ गई थी, जिससे क्षेत्र के लोगों को बड़ी राहत मिली थी। लेकिन यह राहत बस चौबीस घंटे की साबित हुई। रविवार सुबह ही दोबारा से झील आकार लेने लगी, इससे एक बार फिर यहां लोगों के लिए आफत बनती नजर आ रही है।
स्यानाचट्टी में कुपड़ागाड के सक्रिय होने से खतरा बरकरार
बड़कोट: यमुना नदी में बनी झील का पानी भले ही उतर गया हो, लेकिन कुपड़ागाड के निरंतर सक्रिय होने से यहां आपदा का खतरा बरकरार है। कुपड़ागाड के मुहाने पर जमा टनों मलबा दोबारा से नदी के प्रवाह में बाधक बन सकता है। ग्रामीण भी इसे लेकर सुरक्षात्मक उपाय को जरूरी बताते हैं।
यमुनोत्री धाम के प्रमुख पड़ाव स्यानाचट्टी में यमुना नदी पर बनी झील का कारण कुपड़ागाड (गढ़गाड) ही है। बीते 28 जून को बादल फटने से कुपड़ागाड अचानक उफान पर आ गई थी। इसमें आए मलबे के कारण यमुना का प्रवाह अवरुद्ध होने से झील बनी। बीते गुरुवार को अपने साथ कई टन मलबा लेकर कुपड़ागाड दोबारा उफान पर आई, जिससे स्यानाचट्टी में यमुना का प्रवाह अवरुद्ध हुआ।
हालांकि, शुक्रवार रात यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से झील प्राकृतिक रूप से खाली हो गई, लेकिन खतरा अभी भी टला नहीं है। शिक्षक विनोद राणा, दिनेश राणा, विजेंद्र डिमरी व भूपेंद्र चौहान का कहना है कि कुपड़ागाड के ऊपरी क्षेत्र में भूस्खलन हो रहा है। वहां जंगल में भी बड़ी-बड़ी दरार पड़ी हुई हैं, इससे आने वाले समय में खतर बढ़ सकता है। उन्होंने कुपड़ागाड के मुहाने से मलबे की सफाई को जरूरी बताया है।
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