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    Uttarkashi में बढ़ती जा रही डायलिसिस की प्रतीक्षा सूची, इलाज के लिए जाना पड़ रहा दूसरे जिले; स्टाफ की भी कमी

    By Shailendra prasadEdited By: riya.pandey
    Updated: Sun, 10 Sep 2023 03:59 PM (IST)

    जिला अस्पताल उत्तरकाशी में डायलिसिस कराने के लिए लंबी वेटिंग चल रही है। ऐसे में तमीरदारों को अपने मरीज का डायलिसिस कराने के लिए देहरादून हरिद्वार बिजनौर के निजी अस्पतालों में ले जाना पड़ रहा है। जिला अस्पताल उत्तरकाशी में डायलिसिस यूनिट का संचालन हंस फाउंडेशन की ओर से किया जा रहा है। जिसमें स्टाफ की कमी बनी हुई है।

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    उत्तरकाशी में बढ़ती जा रही डायलिसिस की प्रतीक्षा सूची

    जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : जिला अस्पताल उत्तरकाशी में डायलिसिस कराने के लिए लंबी वेटिंग चल रही है। ऐसे में तमीरदारों को अपने मरीज का डायलिसिस कराने के लिए देहरादून, हरिद्वार बिजनौर के निजी अस्पतालों में ले जाना पड़ रहा है। जिला अस्पताल उत्तरकाशी में डायलिसिस यूनिट का संचालन हंस फाउंडेशन की ओर से किया जा रहा है, जिसमें स्टाफ की कमी बनी हुई है।

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    जिला अस्पताल उत्तरकाशी में लगी हुई हैं दो डायलिसिस मशीनें

    जिला अस्पताल उत्तरकाशी में 2 डायलिसिस मशीने लगी हुई हैं, जिनमें प्रति दिन चार मरीजों की डायलिसिस हो पाती है। शेड्यूल के अनुसार सप्ताह में अभी इन दोनों मशीनों के जरिये केवल 10 से 12 मरीजों की डायलिसिस हो पा रही है। जबकि जिला अस्पताल उत्तरकाशी में डायलिसिस कराने के लिए 45 मरीजों ने पंजीकरण कराया है। इनमें अधिकांश मरीज ऐसे हैं जिन्हें हर तीसरे दिन डायलिसिस की जरूरत होती है।

    डायलिसिस की बढ़ती प्रतीक्षा सूची

    जबकि कुछ मरीजों को महीने में चार बार डायलिसिस करानी पड़ती है। इनमें कुछ ऐसे भी मरीज होते हैं जिन्हें महिने में दो बार डायलिसिस करानी पड़ती है। इस तारतम्य को बनाए रखने के चक्कर में नए मरीजों का नंबर लगने में देरी हो रही है। डायलिसिस की प्रतीक्षा सूची बढ़ती चली जा रही है।

    डायलिसिस करवाने में झेलनी पड़ रही है परेशानी

    नगर पालिका सफाई कर्मचारी अमित कुमार कहते हैं कि उनके पिता की हर तीन दिन में डायलिसिस होती है। डायलिसिस कराने के लिए देहरादून-ऋषिकेश ले जाना पड़ता है। एक बार डायलिसिस पर दस हजार रुपये से अधिक का खर्चा आ रहा है। उत्तरकाशी तांबाखाणी निवासी वृद्धा कहती है कि कोविड में उसके पति की मृत्यु हुई। चार माह पहले उसके बेटे के दोनों गुर्दा खराब हुए।

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    डायलिसिस के लिए नहीं आ रहे नंबर

    चिकित्सकों ने हर तीसरे दिन डायलिसिस कराने के लिए कहा है। उत्तरकाशी में तो नंबर नहीं आ रहा है। इसलिए बेटे के साथ बहु को जौलीग्रांट भेजा है। चार माह से वहीं अस्पताल परिसर में ही डेरा डाला है। उत्तरकाशी से देहरादून आवाजाही करने के लिए पैसे नहीं हैं।

    उत्तरकाशी जिला अस्पताल में अभी केवल दो डायलिसिस मशीन हैं। दीपावली तक करीब दस मशीने लगाने का प्रयास किया जा रहा है। विधायक निधि से डायलिसिस के लिए भवन तैयार हो चुका है।

    -डॉ. बीएस रावत, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक

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