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    तेज बारिश हुई तो Varunavat पर्वत पर और हो सकता है भूस्‍खलन, अध्‍ययन कर लौटे भूविज्ञानियों ने चेताया

    Varunavat Landslide उत्तराखंड के उत्तरकाशी में वरुणावत पर्वत पर हुए भूस्खलन का अध्ययन करने के लिए भूविज्ञानियों की टीम ने दो दिन तक पड़ताल की। टीम ने अपनी रिपोर्ट दो-एक दिन में शासन को सौंपेगी। भूविज्ञानियों का मानना है कि दो-तीन घंटे के अंतराल में 100 एमएम से अधिक वर्षा होने पर वरुणावत में भूस्खलन बढ़ सकता है। इस रिपोर्ट से ही तय होगा कि आगे क्‍या करना है।

    By dinesh kukreti Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sun, 08 Sep 2024 08:22 PM (IST)
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    Varunavat Landslide: पिछले दिनों वरुणावत की पहाड़ी पर हुआ था भूस्खलन। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। Varunavat Landslide: वरुणावत की पहाड़ी पर हो रहे भूस्खलन का अध्ययन करने के बाद रविवार को भूविज्ञानियों की टीम वापस लौट गई। टीम ने दो दिन तक भूस्खलन के कारणों की विस्तृत पड़ताल की और अब दो-एक दिन में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी।

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    टीम का मानना है कि दो-तीन घंटे के अंतराल में 100 एमएम से अधिक वर्षा होने पर वरुणावत में भूस्खलन बढ़ सकता है, जबकि भूस्खलन क्षेत्र में एक ओर से कठोर चट्टान है। गोफियारा के निकट वरुणावत की पहाड़ी पर पूर्व में एकत्र हुए पत्थर और मलबा के हिस्से से भूस्खलन हुआ है।

    गोफियारा के पास हुए भूस्खलन से कोई संबंध नहीं

    यह भूस्खलन कठोर चट्टान के निकट एकत्र पुराने मलबे और पत्थरों में अधिक वर्षा के बाद धंसाव से शुरू हुआ। भूविज्ञानियों के अनुसार यह बात स्पष्ट हो गई है कि वर्ष 2003 में वरुणावत के शिखर से हुए भूस्खलन का गोफियारा के पास हुए भूस्खलन से कोई संबंध नहीं है।

    ‘दैनिक जागरण’ से बातचीत में जिलाधिकारी डा. मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि भूविज्ञानियों ने उनसे यह बातें कही हैं। कहा कि टीएचडीसी, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) और उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) से जुड़े भूविज्ञानी अपनी विस्तृत रिपोर्ट जल्द देंगे। इस रिपोर्ट से ही तय होगा कि भूस्खलन वाले क्षेत्र का उपचार किस तरह से करना है।

    वर्षा से हो सकता है और भूस्‍खलन

    भूविज्ञानियों ने यह आशंका व्यक्त की है कि 100 एमएम की वर्षा अगर दो से तीन घंटे के अंतराल में होती है तो भूस्खलन क्षेत्र में जमा लूज मलबा गिर सकता है। वह भी सुरक्षा रेलिंग तक ही पहुंचेगा। जिलाधिकारी ने कहा कि भूविज्ञानियों की रिपोर्ट आने के बाद बढ़िया ट्रीटमेंट प्लान तैयार किया जाएगा।

    आबादी क्षेत्र की सुरक्षा के लिए रेलिंग का विस्तार और जरूरत पड़ने पर रेलिंग पर नेट भी लगाया जाएगा, जिससे मलबा पूरी तरह रुक जाए। इसके अलावा सुरक्षा दीवार का निर्माण भी किया जाएगा। सबसे पहले आबादी क्षेत्र की सुरक्षा पर फोकस है, इसके लिए तात्कालिक और दीर्घकालीन ट्रीटमेंट किया जाएगा।