Move to Jagran APP

Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड की सुरंग में क्यों हुआ भूस्खलन? वैज्ञानिक इस प्रक्रिया को मान रहे बड़ा कारण

Uttarkashi Tunnel Collapse - विभिन्न वैज्ञानिक और विशेषज्ञ सिल्क्यारा सुरंग में भूस्खलन वाले स्थल का जायजा ले चुके हैं। उन्होंने पाया कि जितना मलबा हटाया जा रहा है उतना ही मलबा पहाड़ी से खिसक रहा है। इसके अलावा विशेषज्ञों ने इस बात की आशंका भी व्यक्त की है कि भूस्खलन वाले स्थल पर पहाड़ी में पानी का रिचार्ज जोन है।

By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavPublished: Tue, 14 Nov 2023 10:48 PM (IST)Updated: Tue, 14 Nov 2023 10:48 PM (IST)
सुरंग के अंदर ऑगर मशीन को फिट करते हुए श्रमिक और इंजीनियर। जागरण

सुमन सेमवाल, देहरादून। उत्तरकाशी में यमुनोत्री राजमार्ग पर सिल्क्यारा स्थित सुरंग में भूस्खलन की वजह को खोजने के लिए विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों के विशेषज्ञ युद्धस्तर पर जुट गए हैं। इस बीच यह बात सामने आ रही है कि भूस्खलन की वजह पहाड़ी पर रिचार्ज जोन का होना है। 

loksabha election banner

यह ऐसा जोन होता है, जहां पानी एकत्रित होता है और यह प्रक्रिया प्राकृतिक रूप से संचालित होती है। ऐसे में इस तरह के जोन का उपचार किया जाना या तो असंभव हो सकता है या बेहद चुनौतीपूर्ण।

जितना मलबा हटा रहे उतना और बढ़ रहा

विभिन्न वैज्ञानिक और विशेषज्ञ सिल्क्यारा सुरंग में भूस्खलन वाले स्थल का जायजा ले चुके हैं। उन्होंने पाया कि जितना मलबा हटाया जा रहा है, उतना ही मलबा पहाड़ी से खिसक रहा है। इसके अलावा विशेषज्ञों ने इस बात की आशंका भी व्यक्त की है कि भूस्खलन वाले स्थल पर पहाड़ी में पानी का रिचार्ज जोन है। 

जोन का उपचार संभव नहीं

यह बात भी सामने आ रही है कि इस तरह के जोन का उपचार किया जाना संभव नहीं है। यदि ऐसा है तो सुरंग के निर्माण को सुचारू रखने के लिए इसके डिजाइन में आवश्यक बदलाव करने की जरूरत पड़ेगी। 

हालांकि, रिचार्ज जोन को लेकर वैज्ञानिकों की विस्तृत रिपोर्ट के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। तभी यह भी पता चल पाएगा कि निर्माणाधीन सुरंग की सुरक्षा को लेकर किस तरह के कार्य किए जाने की जरूरत पड़ेगी। 

रिचार्ज जोन में बुरी तरह गल चुकी हैं चट्टानें

विशेषज्ञों के बीच इस तरह की चर्चा भी है कि सुरंग की पहाड़ी के रिचार्ज जोन की चट्टानें पानी के प्रभाव के कारण बुरी तरह गल चुकी हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में पहाड़ी का भाग भूस्खलन के रूप में ढहने लगा है। 

चूंकि यह भाग सक्रिय है तो इसे स्थिर करना बेहद चुनौतीपूर्ण है। भूस्खलन भी करीब 55 मीटर भाग में हुआ है, लिहाजा इतने बड़े हिस्से को स्थिर रखने या संबंधित क्षेत्र में निर्माण के लिए तमाम विकल्पों पर विचार करना पड़ेगा।

यह भी पढ़ें: सिलक्यारा में एस्केप टनल देगी 40 मजदूरों को जिंदगी, जल्द सुरक्षित बाहर निकालने की उम्मीद; युद्ध स्तर पर बचाव कार्य जारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.