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    Uttarkashi Tunnel Collapse: सुरंग में फंसे 40 श्रमिकों से वॉकी-टॉकी से हुई बात, जिंदगी के साथ-साथ भूख से भी लड़ रहे जंग

    By Jagran NewsEdited By: Narender Sanwariya
    Updated: Mon, 13 Nov 2023 06:45 AM (IST)

    शॉर्ट क्रिएटिंग मशीन के द्वारा कैविटी से गिर रहे मलबे को रोकने का प्रयास किया गया। लेकिन वह सफल नहीं हो पा रहा है। देर रात को शॉर्ट क्रिएटिंग मशीन को सुरंग से बाहर लाया गया है। लोडर के जरिए लूज मालवा को कैविटी क्षेत्र से 30 से 40 मीटर पीछे लाया जा रहा है। सुरंग में 40 श्रमिक फंसे हुए हैं।

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    Uttarkashi Tunnel Collapse: सुरंग में फंसे 40 श्रमिकों से वॉकी-टॉकी से हुई बात

    जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को 24 घंटे से अधिक का समय हो गया है। सुरंग में 40 श्रमिक फंसे हुए हैं। श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रात भर रेस्क्यू अभियान चला। फंसे श्रमिकों से वॉकी टॉकी के जरिये संपर्क जुड़ा है। श्रमिकों ने बताया कि वह सुरक्षित हैं तथा भोजन की मांग की है।

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    मलबा को रोकने का प्रयास जारी

    शॉर्ट क्रिएटिंग मशीन के द्वारा कैविटी से गिर रहे मलबे को रोकने का प्रयास किया गया। लेकिन, वह सफल नहीं हो पा रहा है। देर रात को शॉर्ट क्रिएटिंग मशीन को सुरंग से बाहर लाया गया है। लोडर के जरिए लूज मालवा को कैविटी क्षेत्र से 30 से 40 मीटर पीछे लाया जा रहा है।

    वॉकी-टॉकी के थ्रू टनल में फंसे श्रमिकों से संपर्क

    सिलक्यारा कंट्रोल रूम की ओर से सुबह तड़के जानकारी दी गई कि वॉकी-टॉकी के थ्रू टनल में फंसे श्रमिकों से संपर्क हुआ है। सभी की कुशलता बताई गई। फंसे हुए श्रमिकों ने खाने की मांग की गई। जिन्हें पाइप के थ्रू खाना भिजवाया जा रहा है‌ विक्टिम्स तक की दूरी 60 मीटर के करीब है।

    टनल में पानी की आपूर्ति के लिए बिछी पाइपलाइन के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है । इसी पाइपलाइन के जरिए चना-चबैना के पैकेट कंप्रेसर के जरिए दबाव बनाकर टनल में फंसे मजदूरों तक भेजे गए हैं।

    टनल के अंदर यह पाइपलाइन राहत और बचाव अभियान में काफी मददगार साबित हो रही है। इसी पाइपलाइन के जरिए मजदूरों से कम्युनिकेशन स्थापित करने का काम भी लिया जा रहा है।

    पहले टनल में फंसे मजदूर तक संदेश भेजने के लिए कागज पर लिखे संदेश की पर्ची पाइप लाइन के जरिए भेजी गई थी और अब ठीक हादसे वाले स्थल के पास से इस पाइपलाइन को खोलकर मजदूर तक संदेशों का आदान-प्रदान किया गया है।