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    यमुना का उफान देख स्यानाचट्टी में अलर्ट! रुक-रुक कर आ रहे मलबे से झील बनने का खतरा, स्थानीयों की धड़कनें बढ़ीं

    उत्तरकाशी के स्यानाचट्टी में यमुना नदी में कुपड़ा गाड से आ रहे मलबे के कारण झील बनने का खतरा बना हुआ है। नदी का जलस्तर पुल से केवल दो फीट नीचे है जिससे स्थानीय लोग चिंतित हैं। सिंचाई विभाग मलबा हटाने के लिए काम कर रहा है और केंद्रीय जल आयोग की टीम जलस्तर की निगरानी कर रही है। प्रभावितों को राहत-सामग्री और वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।

    By ajay kumar Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Tue, 26 Aug 2025 10:40 AM (IST)
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    स्यानाचट्टी में झील में जमा मलबा हटाने के लिए एप्रोच मार्ग तैयार करती एक्सावेटर मशीन। स्रोत आपदा प्रबंधन विभाग

    जागरण टीम, उत्तरकाशी/बड़कोट: यमुनोत्री धाम के प्रमुख पड़ाव स्यानाचट्टी में कुपड़ा गाड (गढ़ गाड) में रुक-रुककर आ रहे मलबे और पत्थरों से यमुना नदी में झील बनने का खतरा बरकरार है। यमुना नदी भी उफान पर है। इन दिनों यहां यमुना पुल से महज दो फीट नीचे से बह रही है, जबकि सामान्य दिनों में नदी का जलस्तर पुल से 10 फीट नीचे रहता है। इससे स्थानीय निवासियों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं।

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    हालांकि, सिंचाई विभाग ने नदी के प्रवाह से मलबा हटाने के लिए मशीनों की मदद से रास्ता बनाना शुरू कर दिया है। केंद्रीय जल आयोग की टीम भी नदी के जलस्तर की लगातार निगरानी कर रही है।

    बीते गुरुवार की शाम करीब साढ़े चार बजे यमुना का प्रवाह अवरुद्ध होने से बनी झील में स्यानाचट्टी के 19 होटल, दो आवासीय भवन, जीएमवीएन का गेस्ट हाउस व पुलिस चौकी जलमग्न हो गई थी। आनन-फानन में 150 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया था।

    शुक्रवार रात मूसलधार वर्षा के बीच यमुना नदी उफनाई तो नदी के प्रवाह में बाधक बना मलबा हटने से झील खुल गई थी। लेकिन, रविवार सुबह यहां दोबारा झील बनने लगी। बीते रोज तो एक बार नदी का जलस्तर यमुनोत्री धाम को जोड़ने वाले पुल तक पहुंच गया था। सोमवार को नदी का जलस्तर पुल से दो फीट नीचे बना रहा।

    वहीं, कुपड़ा गाड के मुहाने पर जमा मलबे व बोल्डर को डायवर्ड करने के लिए भी प्रयास चल रहे हैं। सिंचाई विभाग ने मलबे तक पहुंचने के लिए रास्ता बनाने को तीन एक्सावेटर मशीनें लगाई हैं। अधिकारियों ने जल्द मलबा हटाने की उम्मीद जताई है, लेकिन कुपड़ा गाड में मलबा व पत्थरों के आने का सिलसिला थम नहीं रहा। इससे झील बनने का खतरा बना हुआ है।

    उधर, प्रभावितों के लिए खाद्य पूर्ति विभाग की ओर से सामुदायिक किचन का संचालन किया जा रहा है। इसमें स्थानीय लोगों के साथ ही आपदा प्रभावितों के लिए भोजन आदि की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही प्रशासन ने झील बनने से प्रभावित करीब 37 परिवारों को अहेतुक राशि का वितरण किया है।