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    Uttarkashi Disaster: चार दिन से तेखला में फंसे अटोर वाहन, आपदाग्रस्‍त इलाके में बन सकते हैं आस

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 05:27 PM (IST)

    उत्तराकाशी में आपदाग्रस्त हर्षिल-धराली क्षेत्र के लिए सेना द्वारा मंगवाए गए अटोर वाहन तेखला में फंसे हुए हैं। ये विशेष वाहन दुर्गम क्षेत्रों में चलने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। पांच अगस्त को आई बाढ़ से धराली में भारी नुकसान हुआ था और हर्षिल में आर्मी कैंप भी प्रभावित हुआ था। अटोर वाहनों के पहुंचने से राहत और खोजबीन कार्यों में मदद मिलने की उम्मीद है।

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    सेना ने आपदाग्रस्त हर्षिल-धराली क्षेत्र के लिए चंडीगढ़ से मंगवाए हैं अटोर वाहन। जागरण

    जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। आपदाग्रस्त हर्षिल-धराली क्षेत्र के लिए सेना की ओर से मंगवाए गए दो अटोर वाहन चार दिन से तेखला में फंसे हुए हैं। विशेष प्रकार के ये आल-टेरेन वाहन दुर्गम व चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में भी चल सकते हैं। इसमें बर्फ, कीचड़, रेत व जलीय क्षेत्र भी शामिल हैं। बीते पांच अगस्त को खीरगंगा नदी में आए सैलाब के कारण धराली में कई आलीशान होटल, होम स्टे व आवासीय भवन मलबे में दफन हो गए थे।

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    मलबे में कई लोगों के दबे होने की भी आशंका है। वहीं, तेलगाड में बादल फटने से आए उफान की चपेट में आकर हर्षिल स्थित आर्मी कैंप को भी नुकसान पहुंचा और सेना के नौ जवान भी लापता हो गए थे। हालांकि, बीते सोमवार को लापता जवानों में से एक का शव बरामद हुआ।

    इसके अलावा हर्षिल व धराली के बीच बनी कृत्रिम झील को खोलने का काम भी अभी चल ही रहा है। यहां आपदाग्रस्त क्षेत्र में दलदली भूमि होने से वाहन व मशीनों के धंसने की समस्या बनी हुई है। इससे सेना के जवानों को आवागमन में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

    सूत्रों के अनुसार इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुए हर्षिल में तैनात सेना की 14-राजस्थान राइफल्स ने चड़ीगढ़ से सेना के लिए खासतौर पर डिजाइन दो अटोर वाहन मंगवाए थे। लेकिन, डबराणी से सोनगाड के बीच गंगोत्री हाईवे के अवरुद्ध होने से यह वाहन आपदाग्रस्त क्षेत्र में नहीं पहुंच पाए और पिछले चार दिन से तेखला पुल के पास ही खड़े हैं। अभी हाईवे खुलने में कुछ और दिन लग सकते हैं। हालांकि, इन वाहनों के आपदाग्रस्त हर्षिल-धराली क्षेत्र में पहुंचने के बाद राहत एवं खोजबीन के काम में मदद मिलने की उम्मीद है।

    अटोर वाहन की विशेषता

    • हाल में ही सेना के बेड़े में शामिल अटोर वाहन स्पेशल मोबिलिटी व्हीकल (एसएमवी) नाम से जाने जाते हैं।  
    • ये वाहन दुर्गम व चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में संचालन के लिए विशेष रुप से डिजाइन किए गए हैं।
    • अपने उभयचर डिजाइन, कम दबाव और विशेष टायरों से यह बर्फ, दलदल, यहां तक कि नदी व झीलों में भी चलाए जा सकते हैं।
    • पारंपरिक वाहनों के लिए अगम्य माने जाने वाले क्षेत्रों में इनके आसानी से संचालन के कारण यह सेना के बेड़े का अहम हिस्सा हैं।

    सेना की ओर से आपदाग्रस्त क्षेत्र में चलाए जा रहे राहत एवं खोजबीन कार्य में प्रशासन की पूरी मदद की जा रही है। इसके लिए सेना ने अपनी मशीन कृत्रिम झील के चैनलाइजेशन के काम में भी लगाई है। संभवत: अटोर वाहन भी इसी उद्देश्य से मंगवाए गए होंगे। - लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव, जनसंपर्क अधिकारी, सेना