उत्तरकाशी में फिर बाढ़ का खतरा: गंगा व यमुना घाटी में एक जैसी आपदा... गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे पर बहे पुल
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में गंगा और यमुना घाटी दोनों ही आपदा का सामना कर रही हैं। भारी बारिश के कारण भागीरथी और यमुना नदी में कृत्रिम झीलें बन गई हैं जिससे हर्षिल और स्यानाचट्टी जैसे क्षेत्रों में खतरा बढ़ गया है। गंगोत्री और यमुनोत्री राजमार्ग पर पुल बह जाने के कारण बेली ब्रिज लगाए गए हैं जिससे यातायात प्रभावित हुआ है।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। उत्तरकाशी जनपद की गंगा व यमुना घाटी एक जैसी आपदा का सामना कर रही हैं। इधर, गंगा घाटी के हर्षिल क्षेत्र में भागीरथी नदी पर बनी कृत्रिम झील का पानी भी नहीं उतरा है।
उधर यमुनाघाटी में यमुना नदी पर दोबारा स्यानाचट्टी में कृत्रिम झील मुसीबत बन गई है। इससे पहले दोनों ही घाटियों को जोड़ने वाले गंगोत्री व यमुनोत्री हाईवे पर भी एक-एक पुल बह चुके हैं, जिनके स्थान पर बेली ब्रिज स्थापित करने पड़े।
बता दें कि उत्तरकाशी जनपद दो घाटियां में बंटा हुआ है। एक ओर तरफ चारधाम में प्रथम यमुनोत्री धाम में कालिंदी पर्वत से निकलने वाली यमुना नदी की यमुना घाटी है, वहीं गोमुख से निकलने वाली भागीरथी (गंगा) नदी की गंगा घाटी। इस वर्षाकाल में दोनों ही घाटियां लगभग एक जैसी आपदा से जूझ रही हैं।
दोनों घाटियों में मूसलधार वर्षा के चलते गाड़-गदेरों के उफान पर बहने से भागीरथी व यमुना नदी में कृत्रिम झील बन गई है। बीते पांच अगस्त को भागीरथी नदी में मिलने वाले तेल गाड के उफान पर भागीरथी का प्रवाह अवरुद्ध हुआ और हर्षिल व धराली के बीच कृत्रिम झील का निर्माण हुआ।
हालांकि अब तक इससे किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन यमुनोत्री धाम में कुपड़ा गाड़ के उफान पर आने से स्यानाचट्टी में बनी कृत्रिम झील से स्यानाचट्टी कस्बा जलमग्न होने की कगार पर है।
इससे पहले 28 जून को सिलाई बैंड क्षेत्र में बादल फटने से कुपड़ा गाड़ उफान पर आया था, जिससे यमुनोत्री हाईवे पर ओजरी में बना पुल बह गया था, जिसके बाद यहां एनएच ने करीब नौ दिन की कड़ी मशक्कत कर बेली ब्रिज स्थापित किया था।
इधर, धराली आपदा के साथ ही गत पांच अगस्त का लिमची गाड में बना पुल बह गया था, जिसके बाद बीआरओ ने तीन दिन में बेली ब्रिज तैयार किया। वहीं, दोनों घाटियों में गंगोत्री व यमुनोत्री हाईवे भी बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं।
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