पिछले 10 दिन से आपदा से कराह रहा हंसता-खेलता धराली, दुश्वारियों के पहाड़ पर राहत की राह बनाने में जुटा तंत्र
उत्तराकाशी के धराली में आई आपदा के बाद राहत कार्य जारी हैं। पिछले 10 दिनों में 1308 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। लापता लोगों की खोजबीन और पीड़ितों को तत्काल मदद पहुंचाने का काम तेजी से चल रहा है। शासन-प्रशासन राहत कार्य में जुटा है लेकिन मौसम और भागीरथी नदी के कारण मुश्किलें आ रही हैं। आपदा के कारणों की जांच भी जारी है।

अजय कुमार, जागरण उत्तरकाशी। कभी हंसता-खेलता धराली पिछले 10 दिन से आपदा से कराह रहा है। कस्बे का बड़ा हिस्सा मलबे के नीचे दफन है। गंगोत्री धाम के प्रमुख पड़ाव को यह जख्म पांच अगस्त को खीर गंगा नदी में आई विनाशकारी बाढ़ ने दिया।
तब से अब तक शासन-प्रशासन की ओर से धराली के जख्मों को भरने के लिए कई उपक्रम किए जा चुके हैं। लेकिन, दुश्वारियों का पहाड़ है कि बार-बार रोड़ा बन रहा है। हालांकि, तंत्र पूरी शिद्दत से राहत की राह तैयार करने में जुटा है। सैलाब में लापता हुए लोगों की खोजबीन से लेकर आपदा प्रभावितों को तात्कालिक राहत पहुंचाने तक, हर दिशा में युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है।
1,308 लोगों को निकाला
प्रभावितों के रहने-खाने, स्वास्थ्य देखभाल, पानी, संचार, बिजली आदि की व्यवस्था के लिए सैकड़ों कार्मिक दिन-रात जुटे हुए हैं। प्रभावितों के पुनर्वास और धराली को फिर से संवारने के लिए भी कसरत शुरू हो गई है। आपदा आने के बाद फंसे 1,308 तीर्थ यात्रियों और स्थानीय लोगों को सेना और यूकाडा के हेलीकाप्टरों की मदद से निकाला जा चुका है।
विज्ञानियों के दल आपदा के कारणों का पता लगाने के लिए जांच में जुटे हैं तो प्रभावित क्षेत्र में आवाजाही सुगम बनाने को विभिन्न स्थानों पर ध्वस्त गंगोत्री हाईवे के साथ पैदल मार्गों को दुरुस्त करने का काम भी गतिमान है। हालांकि, इस काम में मौसम और भागीरथी का तेज प्रवाह निरंतर बाधा बन रहा है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में मौसम साथ देगा और राहत कार्य तेजी से हो सकेंगे।
कब क्या हुआ?
- 5 अगस्त: दोपहर करीब डेढ़ बजे खीर गंगा नदी में सैलाब आया। इससे धराली में 15 से अधिक होटल, होमस्टे, आवासीय भवन और दुकानें जमीदोंज हो गए। बिजली, पानी व संचार सुविधा ठप हो गई। घटना के 15 मिनट बाद ही हर्षिल से पहुंची सेना के जवानों ने राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया। गंगोत्री हाईवे चड़ेथी से लेकर सोनगाड तक पांच स्थानों पर ध्वस्त हुआ। लिमचा गाड पर बना पुल भी बह गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आंध्र प्रदेश का दौरा छोड़ उत्तराखंड लौटे। डीएम और एसपी धराली के लिए निकले, लेकिन भटवाड़ी में हाईवे बंद होने से फंस गए।
- 6 अगस्त: मुख्यमंत्री ने उत्तरकाशी पहुंचकर राहत एवं बचाव कार्य की कमान संभाली। आपदाग्रस्त क्षेत्र में दो लोगों के शव मिलने और नौ सैनिकों सहित 19 लोगों के लापता होने की जानकारी दी गई। घायल 11 सैनिकों समेत 70 लोगों को निकाला गया। हर्षिल इंटर कालेज, गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस और झाला में राहत शिविर शुरू किए गए। डीएम व एसपी हेलीकाप्टर से आपदाग्रस्त क्षेत्र में पहुंचे।
- 7 अगस्त: मौसम अनुकूल होने पर राहत एवं बचाव दल धराली पहुंचे। वायुसेना के चिनूक और यूकाडा के हेलीकाप्टरों ने आपदा प्रभावित क्षेत्र में राहत सामग्री पहुंचाने व फंसे लोगों को निकालने के लिए फेरे लगाना शुरू किया। बीआरओ ने चड़ेथी और पापडगाड में हाईवे को दुरुस्त किया। लिमचा गाड में बेली ब्रिज बनाने की कवायद शुरू हुई। मुख्यमंत्री ने जिला अस्पताल में घायल सैनिकों और आपदा पीड़ितों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया।
- 8 अगस्त: आपदाग्रस्त धराली के लिए मिलिट्री व सिविल कमांड पोस्ट के साथ इंसीडेंट कमांड पोस्ट गठित करने का निर्णय लिया गया। आपदा प्रभावित क्षेत्र को चार सेक्टर में बांटकर सेना, आइटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को सैलाब में लापता लोगों की तलाश का जिम्मा दिया गया। एमआइ-17, चिनूक व अन्य हेलीकाप्टरों से 257 स्थानीय लोगों व तीर्थ यात्रियों को निकाला गया।
- 9 अगस्त: बीआरओ और सेना ने लिमचा गाड में 72 घंटे तक दिन-रात काम करके बेली ब्रिज तैयार कर लिया। प्रदेश सरकार ने आपदा प्रभावित 98 परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की तात्कालिक सहायता राशि देने की घोषणा की। साथ ही आपदा प्रभावितों के पुनर्वास, समग्र पुनरुद्धार व स्थायी आजीविका सुदृढ़ीकरण के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की। लापता लोगों की खोजबीन जारी रही और एक हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
- 10 अगस्त: सरकारी मशीनरी ने लापता लोगों की तलाश तेज की। इस काम के लिए डाग स्क्वाड के साथ विक्टिम लोकेटिंग कैमरा, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार आदि उपकरणों का इस्तेमाल शुरू हुआ। मिलिट्री व सिविल कमांड पोस्ट के साथ इंसीडेंट कमांड पोस्ट सक्रिय की गई। बेली ब्रिज पर वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई।
- 11 अगस्त: खीर गंगा फिर रौद्र रूप में आई और आपदा प्रभावित क्षेत्र में राहत कार्यों के लिए की गई तैयारियां ध्वस्त हो गईं। मलबे में आवाजाही को बनाई गई अस्थायी पुलिया बह गई तो जिंदगी की तलाश के लिए खोदे गए गड्ढों में पानी और मलबा भर गया। इससे पहले गढ़वाल मंडलायुक्त ने आपदा में एक व्यक्ति की मौत और 67 के लापता होने की जानकारी दी। डबराणी में गंगोत्री हाईवे बहाल कर रह एक्सावेटर मशीन भागीरथी नदी में समाई, जिसका चालक लापता हो गया। आपदा प्रभावित 98 परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की तात्कालिक सहायता राशि दी गई।
- 12 अगस्त: संचार सेवा ध्वस्त होने से हर्षिल घाटी का संपर्क देश-दुनिया से कटा। खीर गंगा का जलस्तर बढ़ने से सर्च आपरेशन में उत्पन्न हुए खलल के बाद राहत कार्यों के लिए फिर से कसरत शुरू हुई। राहत एवं बचाव दलों ने दोबारा अस्थायी पुलिया बनाने के साथ ही सर्च आपरेशन को खोदाई की और उपकरणों से लापता लोगों की तलाश शुरू की। हर्षिल क्षेत्र में भागीरथी नदी में बनी झील को खोलने के लिए एमआइ-17 से आउटबोर्ड मोटर युक्त नाव भेजी गई। हेली से आपदा प्रभावित धराली से दो गर्भवती महिलाओं मुख्यालय लाया गया।
- 13 अगस्त: हर्षिल घाटी में करीब 23 घंटे बाद संचार सेवा बहाल हुई। सरकार की ओर से आपदा प्रभावितों के पुनर्वास के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति धराली पहुंची और प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेने के साथ प्रभावितों से बातचीत कर पुनर्वास के लिए उनके सुझाव लिए। आपदा प्रभावितों ने उन्हें कोपांग, जांगला व लंका के नाम सुझाए। विशेषज्ञ टीम भी आपदा के कारणों का पता लगाने के लिए धराली पहुंची।
- 14 अगस्त: लापता लोगों की तलाश जारी रही। विशेषज्ञ टीम ने आपदा के कारणों का पता लगाने के लिए मलबे के सैंपल लिए और पड़ताल जारी रखी। आपदा प्रभावितों के लिए पूर्ति विभाग ने पैदल मार्ग से डबराणी से 31 रसोई गैस सिलिंडर पहुंचाए। डबराणी व सोनगाड के बीच करीब 600 मीटर ध्वस्त गंगोत्री हाईवे की बहाली को टीमें युद्धस्तर पर जुटीं। सड़क बनाने के लिए कटिंग जारी। हर्षिल-धराली में भी हाईवे से मलबा हटाने का काम जारी।
ये हैं चुनौतियां
- मलबा: खीर गंगा नदी के सैलाब के साथ आया मलबा लगभग एक वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। इसकी ऊंचाई 40 से 50 फीट आंकी जा रही है। इन हालात में लापता लोगों की तलाश आसान नहीं है। हालांकि, सेना, आइटीबीपी, एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें डाग स्क्वाड और विभिन्न उपकरणों के सहारे इस कार्य में जुटी हैं। इसके लिए क्षेत्र को चार सेक्टर में बांटा गया है।
- क्षतिग्रस्त हाईवे: पांच अगस्त को जब आपदा आई तो गंगोत्री हाईवे भटवाड़ी से लेकर सोनगाड तक जगह-जगह ध्वस्त हो गया। गंगनानी के पास लिमची गाड पर 30 मीटर स्पान का पुल बह गया था। बीआरओ ने रिकार्ड तीन दिन में बेली ब्रिज बनाकर यहां तो आवाजाही बहाल कर दी है, लेकिन डबराणी से सोनगाड तक हाईवे का 600 मीटर भागीरथी नदी में समा गया है। यहां सड़क बनाने के लिए कटिंग जारी है। अभी लोगों को जान जोखिम में डालकर पैदल आवाजाही करनी पड़ रही है।
- राहत सामग्री: सड़क संपर्क ध्वस्त होने से आपदा प्रभावितों के लिए राहत सामग्री हेलीकाप्टर से पहुंचाई जा रही है। इस काम में सेना के एमआइ-17 समेत यूकाडा के हेलीकाप्टर लगाए गए हैं। गुरुवार को क्षतिग्रस्त रास्ते से ही 31 रसोई गैस सिलिंडर धराली पहुंचाए गए।
- मौसम: धराली और उसके आसपास निरंतर वर्षा हो रही है। इससे सड़कों पर आवाजाही जहां खतरनाक हो गई है, वहीं हेली सेवा का संचालन बाधित हो रहा है। इससे राहत कार्यों में भी खलल पड़ रही है। हालांकि, मौके पर मौजूद राहत एवं बचाव दल पूरी तन्मयता से अपने काम में जुटे हैं।
- खीर गंगा का जलस्तर: पांच अगस्त के बाद सोमवार को खीर गंगा नदी फिर से रौद्र रूप में आ गई थी। इससे आपदा प्रभावित क्षेत्र में सर्च आपरेशन के लिए की गई तैयारियां ध्वस्त हो गईं। इससे टीमों को नये सिरे से कसरत शुरू करनी पड़ी है।
- स्वास्थ्य सुविधा: आपदा प्रभावित क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग के साथ सेना ने भी मेडिकल कैंप लगाया है। लेकिन, गर्भवतियों और बुजुर्गों को स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाने में सड़क संपर्क ध्वस्त होने से समस्या हो रही है। प्रशासन ने कुछ गर्भवतियों को हेलीकाप्टर से जांच आदि के लिए जिला अस्पताल भेजा है।
- संचार सेवा: धराली में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद संचार सेवा ठप होने से पूरी हर्षिल घाटी का संपर्क देश-दुनिया से कट गया था। राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी एजेंसियों के अथक प्रयास से आपदा के तीन दिन बाद संचार सेवा बहाल हुई, लेकिन मंगलवार को फिर से ठप हो गई। इसके बाद वी टेल ने करीब 23 घंटे बाद संचार सेवा बहाल कराई। अभी भी संचार सेवा में बाधा आ रही है।
- पेयजल: हैंडपंप और पेयजल लाइनों के मलबे के नीचे दबने के बाद आपदा प्रभावित क्षेत्र में जल संस्थान टैंकरों के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था कर रहा है। हालांकि, स्थायी रूप से आपूर्ति बहाल होने में समय लगेगा।
- भागीरथी में बनी झील: पांच अगस्त को बादल फटने से तिलगाड में बाढ़ आने के बाद भागीरथी में 750 मीटर लंबी झील बन गई थी। गंगोत्री राजमार्ग का लगभग 200 मीटर हिस्सा झील के पानी में समाया हुआ है। हालांकि, झील से पानी का रुक-रुककर रिसाव हो रहा है। लेकिन, झील में जमा पानी कभी भी बड़ा खतरा बन सकता है।
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