उत्तरकाशी में आपदा के 22 दिन बाद भी हर्षिल-धराली में लोगों की कम नहीं हुई मुश्किलें, टूट रहा इन चुनौतियों का पहाड़
उत्तरकाशी के हर्षिल-धराली क्षेत्र में आई आपदा के 22 दिन बाद भी चुनौतियां बरकरार हैं। लापता लोगों की तलाश और गंगोत्री हाईवे को सुरक्षित करना मुश्किल बना हुआ है। धराली में एक झील बन गई है जिसे खोलना चुनौतीपूर्ण है। प्रशासन पुनर्वास के लिए प्रयासरत है और प्रभावितों से उनकी राय ले रहा है। पुनर्वास के लिए तीन स्थानों का सुझाव दिया गया है।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। हर्षिल-धराली क्षेत्र में आई आपदा को सोमवार को 22 दिन पूरे हो गए। अब भी आपदाग्रस्त इलाके में कई चुनौतियां बरकरार हैं। इनमें हर्षिल-धराली के बीच बनी झील को खोलने, आपदा में लापता लोगों की खोजबीन जारी है।
इसके साथ ही जगह-जगह क्षतिग्रस्त गंगोत्री हाईवे को सुरक्षित आवाजाही के लिए तैयार करना और आपदा प्रभावितों का पुनर्वास शामिल है। इन चुनौतियों से आपदा प्रभावित और प्रशासन के साथ ही राहत व बचाव कार्य में जुटी एजेंसियां भी जूझ रही हैं।
चुनौती-1: हर्षिल-धराली के बीच बनी झील को खोलना
पांच अगस्त को तेलगाड में सैलाब के साथ आए मलबे व बोल्डरों से भागीरथी नदी में हर्षिल-धराली के बीच झील बन गई थी। इस झील के कारण गंगोत्री हाईवे का करीब 100 मीटर हिस्सा जलमग्न है। आपदा के 22 दिन बाद भी झील को खोलने में सफलता नहीं मिल पाई है।
यहां जमीन दलदली होने से मशीनों के संचालन में दिक्कत आ रही है। इस कारण झील को खोलना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। हालांकि, झील का जलस्तर पहले से काफी कम हुई है। फिलहाल, झील के पानी की निकासी को श्रमिकों से चैनलाइजेशन का काम कराया जा रहा है।
चुनौती-2: सैलाब में लापता लोगों की तलाश बनी चुनौती
पांच अगस्त को खीर गंगा नदी में आए जलप्रलय से धराली बाजार में कई होटल, होमस्टे, घर व दुकानें जमींदोज हो गई थीं। यहां पसरे मलबे में कई लोगों के भी दबे होने की आशंका है। आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, आपदा में आठ स्थानीय सहित 69 लोग लापता हुए।
इनकी खोजबीन मलबे में दबे धराली को चार सेक्टर में बांटकर डाग स्क्वाड व विक्टिम लोकेटिंग कैमरा, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार आदि आधुनिक उपकरणों की मदद से की जा रही है। प्रभावित क्षेत्र में 12 से अधिक स्थान चिह्नित किए गए हैं, जहां लोगों के दबे होने की आशंका है। हालांकि, अब तक इस दिशा में कोई सफलता नहीं मिली है।
चुनौती-3: गंगोत्री हाईवे पर सुरक्षित आवाजाही
आपदा ने गंगोत्री हाईवे को भी बुरी तरह जख्मी किया है। भटवाड़ी से लेकर सोनगाड तक हाईवे जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गया था। बीआरओ और लोनिवि ने अथक प्रयाओं के बाद हाईवे को हल्के वाहनों की आवाजाही के लिए तैयार तो कर दिया है, लेकिन यहां कई स्थानों पर भूस्खलन व बोल्डर गिरने का खतरा बरकरार है।
नेताला, हीना, ओंगी, नलूणा, बिशनपुर, लाल ढांग आदि में हाईवे की स्थिति अच्छी नहीं है। सितंबर में शुरू होने वाले चारधाम यात्रा के दूसरे चरण को देखते हुए हाईवे को सुरक्षित आवाजाही के लिए तैयार करना बेहद जरूरी है।
चुनौती-4: आपदा प्रभावितों का पुनर्वास व स्थायी आजीविका
धराली में जनजीवन को फिर से पटरी पर लाने के लिए प्रशासन ने तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसने धराली पहुंचकर आपदा प्रभावितों से वार्ता कर पुनर्वास व स्थायी आजीविका के लिए उनकी राय जानी थी। प्रभावितों ने पुनर्वास के लिए तीन स्थान सुझाए हैं।
इनमें पहला लंका, दूसरा जांगला और तीसरा अखोड़ थात है। यह समिति जल्द ही अपनी अनंतिम रिपोर्ट शासन को सौंपेगी। इसके बाद आपदा प्रभावितों के पुनर्वास की कवायद शुरू होने की उम्मीद है, हालांकि यह कार्य चुनौतीपूर्ण होगा।
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