Uttarkashi: धराली आपदा से बदला भागीरथी नदी का प्रवाह, अब मां गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखबा को खतरा
धराली आपदा के बाद भागीरथी नदी का रुख बदलने से मुखबा गांव में भू-कटाव हो रहा है जिससे गांव और झूला पुल को खतरा है। ग्रामीणों ने सुरक्षा के लिए नदी किनारे दीवार बनाने की मांग की है। मुखबा गांव जो मां गंगा का शीतकालीन प्रवास स्थल है में खीरगंगा में आए सैलाब के बाद नदी का प्रवाह बदल गया है। मंदिर समिति ने सुरक्षा दीवार की मांग की है।

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। धराली आपदा के बाद बदले भागीरथी नदी के प्रवाह से मुखबा गांव को खतरा है। नदी का प्रवाह बदलने से मुखबा गांव के नीचे तेजी से भू-कटाव शुरु हो गया है। इससे मुखबा व धराली को जोड़ने वाले पुराने झूला पुल पर भी खतरा मंडरा रहा है। स्थानीय ग्रामीणों ने गांव की सुरक्षा के लिए नदी किनारे आरसीसी दीवार लगाए जाने की मांग की है।
बता दें कि हर्षिल घाटी में मुखबा गांव को मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल के रुप में जाना जाता है। बीते 5 अगस्त को दोपहर करीब डेढ़ बजे खीरगंगा नदी में आए सैलाब को सबसे पहले मुखबा गांव के ग्रामीणों ने ही देखा था। इस गांव के ग्रामीणों द्वारा बनाए खीरगंगा नदी में सैलाब के वीडियो ही इंटरनेट मीडिया में तेजी से प्रसारित हुए।
मुखबा की ओर भागीरथी नदी का प्रवाह
ग्रामीणों ने धराली के लोगों को सीटियां बजाकर आगाह करने का प्रयास किया, लेकिन कई लोगों को इस आपदा में संभलने तक का मौका नहीं मिलने से वह सैलाब में गुम हो गए। आपदा के बाद करीब एक वर्ग किमी क्षेत्र में मलबा फैला हुआ है, इस कारण कभी बीच में बहने वाली भागीरथी नदी का प्रवाह भी मुखबा की ओर हो गया है, जिससे वर्तमान में यहां मुखबा गांव के नीचे पहाड़ी की ओर भू-कटाव तेज हो गया है। इससे मुखबा गांव के नीचे मुखबा व धराली को जोड़ने वाले अस्सी के दशक में बने झूला पुल के एबटमेंटों को खतरा है।
वहीं, पुल से लेकर मुखबा गांव के नीचे स्थित शनि मंदिर से मार्कण्डेय मंदिर तक भागीरथी नदी का प्रवाह तेज बना हुआ है। श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष धर्मानंद सेमवाल, सचिव सुरेश सेमवाल, तीर्थपुरोहित रजनीकांत सेमवाल ने भी इसे चिंता का विषय बताया है। उन्होंने सरकार से मुखबा गांव की सुरक्षा के लिए सुरक्षा दीवार लगाए जाने की मांग की है।

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