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    Uttarakhand tunnel Rescue: भूस्खलन के कारण मजदूरों का फंसना हादसा, NHIDCL ने तोड़ी चुप्पी; कब खत्म होगा टनल का काम?

    By Shailendra prasadEdited By: Prince Sharma
    Updated: Sun, 03 Dec 2023 06:30 AM (IST)

    Uttarakhand tunnel Rescue यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के बीच 26 किमी की दूरी कम करने के लिए चारधाम आलवेदर रोड परियोजना के तहत सिलक्यारा में वर्ष 2018 से साढ़े चार किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण चल रहा है। सुरंग में जो भूस्खलन की घटना हुई उसकी पड़ताल के लिए उत्तराखंड शासन और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के स्तर से जांच कमेटी गठित की गई है।

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    Uttarakhand tunnel Rescue उत्तराकाशी टनल का काम जारी है (प्रतीकात्मक चित्र)

    जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। नेशनल हाइवेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) के परियोजना प्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने कहा कि सुरंगों में कैविटी खुलना और उसकी फिलिंग करना एक प्रक्रिया है। इसी भूस्खलन के कारण श्रमिकों का सुरंग के अंदर फंसे रह जाना एक हादसा है। कैविटी क्यों खुली और भूस्खलन क्यों हुआ, इस पर वह कुछ नहीं कह सकते। हां, इतना तय है कि अब सुरंग निर्माण में अतिरिक्त समय लगेगा।

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    मार्च 2024 में खत्म होगा टनल का काम

    यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के बीच 26 किमी की दूरी कम करने के लिए चारधाम आलवेदर रोड परियोजना के तहत सिलक्यारा में वर्ष 2018 से साढ़े चार किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण चल रहा है। इसे मार्च 2024 तक बनकर तैयार होना था, लेकिन अब निर्माण में अतिरिक्त समय लगेगा। सुरंग में जो भूस्खलन की घटना हुई, उसकी पड़ताल के लिए उत्तराखंड शासन और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के स्तर से जांच कमेटी गठित की गई है।

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    शनिवार को एनएचआइडीसीएल के परियोजना प्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने कहा के सुरंग में जिस स्थान पर कैविटी खुली है, वहां खोदाई साढ़े चार वर्ष पहले हो गई थी। घटना से पहले री-प्रोफाइलिंग (सुरंग के कमजोर भाग का नए सुरक्षा मानक के तहत उपचार) का कार्य चल रहा था। इस दौरान कैविटी खुलना सुरंग निर्माण में एक प्रक्रिया का हिस्सा है।

    सिलक्यारा सुरंग में कई बार कैविटी खुली है

    वह कहते हैं कि सिलक्यारा सुरंग में इससे पहले भी कई बार कैविटी खुली है। कैविटी खुलने व भूस्खलन होने की अन्य घटनाओं में न तो कोई श्रमिक फंसा और न मशीनें ही दबी हैं। बस! इसी घटना में यह हुआ कि मशीन दबने के साथ श्रमिक भी फंसे गए। कर्नल पाटिल कहते हैं कि री-प्रोफाइलिंग का कार्य चेनेज 80 मीटर से होना है। कैविटी भरने से पहले 80 मीटर से आगे वाले कमजोर हिस्से की री-प्रोफाइलिंग होगी। नए सुरक्षा मानकों के तहत यह काम होगा। इसमें लूज पहाड़ को मजबूत करने का कार्य शामिल होगा।

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