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    Uttarakhand Tunnel Collapse: उत्तराखंड में सुरंग कौन बना रहा था, निर्माण में सामने आई गंभीर सुरक्षा खामियां

    By Jagran NewsEdited By: Narender Sanwariya
    Updated: Sun, 19 Nov 2023 06:30 AM (IST)

    Uttarakhand Tunnel Collapse सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों का जिंदगी खतरे में है। निकास सुरंग बनी होती तो संभवत रेस्क्यू के लिए इतने अधिक जतन नहीं करने पड़ते। इस डबल लेन सुरंग का निर्माण वर्ष 2018 से एनएचआइडीसीएल की देखरेख में न्यू आस्टि्रयन टनलिंग मेथड से हो रहा है। डीपीआर में एस्केप टनल (निकास सुरंग) का प्रविधान होने के बावजूद निर्माण कंपनी नवयुग इंजीनियरिंग ने यह सुरंग बनाई ही नहीं।

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    Uttarakhand Tunnel Collapse: उत्तराखंड में सुरंग कौन बना रहा था, निर्माण में सामने आई गंभीर सुरक्षा खामियां

    जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। चारधाम आलवेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत यमुनोत्री हाईवे पर सिलक्यारा में 853.79 करोड़ रुपये की लागत से बन रही 4.5 किमी लंबी सुरंग में गंभीर सुरक्षा खामी सामने आई है। डीपीआर में एस्केप टनल (निकास सुरंग) का प्रविधान होने के बावजूद निर्माण कंपनी नवयुग इंजीनियरिंग ने यह सुरंग बनाई ही नहीं। यही कारण है कि सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों का जिंदगी खतरे में है।

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    निकास सुरंग बनी होती तो संभवत: रेस्क्यू के लिए इतने अधिक जतन नहीं करने पड़ते। इस डबल लेन सुरंग का निर्माण वर्ष 2018 से एनएचआइडीसीएल की देखरेख में न्यू आस्टि्रयन टनलिंग मेथड से हो रहा है। लेकिन, इसमें निर्माण कंपनी की ओर से सुरक्षा मानकों को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।

    नियम को रखा ताक पर

    नियमानुसार तीन किमी या इससे अधिक लंबी सुरंग के साथ अनिवार्य रूप से निकास सुरंग बनाई जानी चाहिए, लेकिन यहां नियमों को हवा में उड़ा दिया गया। हैरत देखिए कि कागजों में बाकायदा निकास सुरंग का डिजाइन तैयार किया गया है। यह डिजाइन बीते 16 नवंबर को घटनास्थल पर पहुंचे सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह (सेनि) भी देख चुके हैं। वहीं, सिलक्यारा में हुए सुरंग हादसे को लेकर भूविज्ञानियों ने भी चिंता व्यक्त की है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक पीसी नवानी ने कहा कि आपातकालीन स्थिति के दौरान बचाव कार्य के लिए इस तरह की लंबी सुरंग परियोजनाओं में भागने के रास्ते होने चाहिए।

    सुरंग निर्माण में कमियों को उजागर

    इस सुरंग में भी आपातकालीन निकास की व्यवस्था होती तो फंसे हुए श्रमिक आसानी से बाहर आ सकते थे। यह सुरंग डबल लेन है और इसमें सुरक्षा की व्यवस्था अनिवार्य रूप से होनी चाहिए थी। वरिष्ठ विज्ञानी नवानी ने कहा कि इस सुरंग में विधिवत ट्रीटमेंट की कमी दिखी है, जिसके कारण इसका बड़ा हिस्सा टूटा है, जो कि पहले से ही संवेदनशील था। इसलिए इस क्षेत्र में निकास सुरंग बनाई जानी जरूरी थी। सुरंग का हिस्सा टूटना भी सुरंग निर्माण में कमियों को उजागर करता है।

    ह्यूम पाइप हटाने पर उठ रहे सवाल

    सुरंग की डीपीआर में आपातकालीन द्वार बनाने का प्रविधान नहीं किया गया। लिहाजा आपात स्थिति में आवाजाही के लिए तीन वर्ष पूर्व सुरंग के संवेदनशील क्षेत्र में ह्यूम पाइप बिछाए गए थे, जिन्हें एक माह पूर्व अचानक हटा दिया गया। ऐसा क्यों किया गया, इसका निर्माण कंपनी के अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है। शुक्रवार को डेंजर जोन सामने आने के बाद संवेदनशील क्षेत्र में 15 ह्यूम पाइप बिछाए गए, ताकि सुरंग में फंसे श्रमिकों से संवाद बनाए रखने के साथ उन तक भोजन, आक्सीजन व दवाएं पहुंचाने वाले पानी निकासी के पाइप तक रेस्क्यू टीम सुरक्षित आवाजाही कर सके।

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