Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    World Tourism Day 2021: ट्रैकरों से खुशगवार बना रहा दुनिया का सबसे ऊंचा कालिंदीखाल ट्रैक, यहां से होता है एक दर्जन चोटियों का दीदार

    By Edited By:
    Updated: Mon, 27 Sep 2021 11:53 AM (IST)

    कालिंदीखाल बदरीनाथ ट्रैक ट्रैकरों के लिए खुशगवार बना रहा। गंगोत्री धाम से बदरीनाथ को जोड़ने वाले 109 किलोमीटर लंबा यह ट्रैक दुनिया का एक मात्र सबसे ऊंचा ट्रैक है। यहां से भारत की एक दर्जन चोटियां दिखाई देती है।

    Hero Image
    कालिंदीखाल ट्रैक पर ट्रैकिंग करते सैलानी। साभार जयेंद्र राणा

    शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। World Tourism Day 2021: दुनिया के सबसे ऊंचे ट्रैक रूट में शामिल कालिंदीखाल-बदरीनाथ ट्रैक इस बार ट्रैकरों के लिए खुशगवार बना रहा। एक माह के अंतराल में 80 पर्यटकों की सात ग्रुप कालिंदीखाल ट्रैक पर गए हैं। जिनमें पांच ग्रुप के 65 से अधिक पर्यटकों ने कालिंदीखाल की ट्रैकिंग की है। दो ग्रुप के 15 सदस्य मौसम खराब होने के कारण कालिंदीखाल से वापस लौटे हैं। जबकि अन्य पर्यटक माणा बदरीनाथ होते हुए लौट गए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गंगोत्री धाम से बदरीनाथ को जोड़ने वाले 109 किलोमीटर लंबा कालिंदीखाल ट्रैक दुनिया का एक मात्र सबसे ऊंचा (5980 मीटर) ट्रैक है। हिमालय की कंद्राओं, ग्लेशियर के ऊपर से होकर इस ट्रैक पर बर्फ से ढकी भारत की एक दर्जन चोटियों का दीदार होता है। इस ट्रैक पर भारत की नामचीन चोटियों में शामिल शिवलिंग, खर्चकुंड, भागीरथी प्रथम, द्वितीय व तृतीय, केदारडोम, वासुकी पर्वत, सतोपंथ, चौखंबा, मेरू, माणा पीक सहित कई प्रसिद्ध चोटियों का दीदार होता है।

    तकरीबन 80 फीसदी बर्फ से ढके इस ट्रैक का सफर करने में पूरे 12 दिन लगते हैं। भारत-चीन सीमा से लगे इस ट्रैक को भारतीय ही नहीं, बल्कि विदेशी भी पंसदीदा मानते हैं। भले ही इनर लाइन क्षेत्र होने के कारण कुछ कुछ ही देशों के पर्यटकों को ही अनुमति मिल पाती है। भले ही इस बार कोई विदेशी पर्यटक कालिंदीखाल के ट्रैक पर नहीं गया है। साथ ही इस ट्रैक पर जाने के लिए पोर्टर व अच्छे गाइड होने जरूरी हैं।

    रोमांच भरे ट्रैक में जोखिम भी

    कालिंदीखाल-बदरीनाथ ट्रैक पर 7 दिनों तक बर्फिले क्षेत्र से होकर गुजरना पड़ता है। मौसम खराब होने की स्थिति में ट्रैकर रास्ता भटक जाते हैं। जिससे इस ट्रैक पर पिछले 12 वर्षों में 30 से अधिक ट्रैकरों की मौत हुई है।

    मुख्यमंत्री ने विश्व पर्यटन दिवस पर दी शुभकामनाएं

    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को विश्व पर्यटन दिवस पर शुभकामनाएं दी हैं। अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश का नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य सदियों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। यहां के चारधाम देश व दुनिया के करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र रहे हैं। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में पर्यटन का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि पर्यटन दिवस को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर में लोगों को पर्यटन के महत्व के प्रति जागरुक करना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पर्यटन को बढ़ाने के लिए तेजी से काम हो रहा है। सड़क, हवाई व रेल यातायात को चारधाम से जोड़ने की दिशा में काम चल रहा है। साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य में नए पर्यटन स्थलों के विकास के साथ ही पर्यटन की सुख सुविधाओं का विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

    कार्बेट पार्क की जैव विविधता का ढिकाला में अनूठा संगम

    कार्बेट नेशनल पार्क में पर्यटकों के लिए निर्धारित किए गए सभी पर्यटन जोन अपने आप में खास है। वहीं, रात्रि विश्रम के लिहाज से पर्यटकों की पहली पसंद ढिकाला ही होती है। जैव विविधता से भरपूर ढिकाला के किनारे रामगंगा नदी हो या सूर्यास्त का नजारा। रंग बिरंगे पक्षियों का कोलाहल, ग्रासलैंड में गजराजों का झुंड, बाघ की दहाड़ या फिर पर्यटकों की जिप्सी के आगे पीछे विचरण करता हिरनों का झुंड, यहां का हर दृश्य अदभुत है। ढिकाला के गेस्ट हाउस से ही इस नजारे का आनंद लिया जा सकता है। यही वजह है कि कोविड काल के बावजूद दो साल में करीब 55 हजार पर्यटक यहां आ चुके हैं। अब पर्यटन जोन खोलने की तैयारियों के बीच पर्यटकों को जल्द आनलाइन बुकिंग शुरू होने का इंतजार है।

    यह भी पढ़ें:- 14 हजार फीट की ऊंचाई पर छह साल बाद खिला दुर्लभ नीलकमल, जानिए इसकी खासियत