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    जानिए कैसे जिंदगी बचाने को मोर्चे पर डटी हैं श्वेता और कुलवंती, चुनौतियां भी इनके हौसले के आगे बौनी

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    Updated: Sun, 02 Jan 2022 04:36 PM (IST)

    आग्जिलरी नर्स मिडवाइफरी (एएनएम) की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है और आगे भी रहने वाली है। सीमांत जनपद उत्तरकाशी के सुदूरवर्ती मोरी ब्लाक में तैनात एएनएम कुलवंती रावत और श्वेता राणा इस युद्ध में सेनापति की अग्रणी भूमिका में हैं।

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    जानिए कैसे जिंदगी बचाने को मोर्चे पर डटी हैं श्वेता और कुलवंती। जागरण

    शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। कोरोना से आजादी दिलाने के युद्ध में आग्जिलरी नर्स मिडवाइफरी (एएनएम) की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है और आगे भी रहने वाली है। सीमांत जनपद उत्तरकाशी के सुदूरवर्ती मोरी ब्लाक में तैनात एएनएम कुलवंती रावत और श्वेता राणा इस युद्ध में सेनापति की अग्रणी भूमिका में हैं। ये दोनों अपने घर परिवार से दो सौ किलोमीटर से अधिक दूर तैनात हैं, जिन्होंने तमाम दुश्वारियों के बीच कोविड टीकाकरण अभियान का मोर्चा संभाला है।

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    बरसात में दरकते पहाड़ और अब शीतकाल में बर्फबारी की चुनौतियां भी इनके हौसलों के आगे बौनी साबित हो रही हैं। यही नहीं इन स्वास्थ्य सेनानियों ने सुदूरवर्ती क्षेत्र के ग्रामीणों में फैली भ्रांतियों को भी तोड़ा है और भ्रमित व्यक्तियों को टीका लगाने को प्रेरित किया है।

    कुलवंती और श्वेता का एक ही लक्ष्य है कि इस महामारी से मुक्ति के लिए कोई भी व्यक्ति कोविड टीकाकरण से अछूता न रहे। अभी तक इन्होंने अपने क्षेत्रों में 98 फीसद व्यक्तियों को टीके की पहली डोज दे दी है। और अब फिर से 15 वर्ष से अधिक उम्र के नौनिहालों को कोविड की खुराक देने को तैयार हैं। इनमें कुलवंती रावत आठ माह की गर्भवती है, जबकि श्वेता राणा की चार वर्ष की बेटी है, जो एक वर्ष से अपने पिता और दादी के साथ गांव में रहती है। दोनों एएनएम अपने घर परिवार से दो सौ किलोमीटर से अधिक दूर मोर्चे पर डटे हुए हैं।

    एक-एक व्यक्ति को समझाने में हुई कामयाब

    एएनएम श्वेता राणा उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 225 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ओसाला घाटी में तैनात हैं। ओसला घाटी के चार गांवों को जाने के लिए आज भी तालुका से 18 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार करनी पड़ती है। बरसात और शीतकाल में रास्तों की स्थिति और भी विकट हो जाती है। बरसात में कई जगह रास्ते बंद थे। स्थानीय ग्रामीण भी इन पैदल रास्तों से आवाजाही करने का जोखिम नहीं ले रहे थे। ऐसे में भारी चट्टानों और उफनते हुए गदेरों को पार कर एएनएम श्वेता राणा अपनी टीम के साथ 6 जुलाई वैक्सीन लेकर ओसला, गंगाड़, पंवाणी और धारकोट गांव में पहुंची।

    श्वेता राणा कहती हैं कि सुदूरवर्ती गांवों में वैक्सीन लेकर वे पहुंच तो गए थे, लेकिन, कोई वैक्सीन लगाने को तैयार नहीं हुआ। ऐसे में एक-एक व्यक्ति को समझाना पड़ा। वैक्सीन न लगाने के लिए ग्रामीण अलग-अलग तरह के बहानेबाजी करते थे, लेकिन, महामारी से बचने के लिए वैक्सीन को पूरी तरह से सुरक्षित बता पाने में वह कामयाब हुई। जुलाई से लेकर दिसंबर तक इन गांवों में छह बार टीकाकरण के लिए गई हैं। इसके साथ ही लिवाड़ी फिताड़ी, दोणी, भितरी, नैटवाड़ क्षेत्र के सभी गांवों में टीकाकरण करने के लिए जा चुकी हैं। उनके सामने सबसे अधिक चुनौतियां ओसला गंगाड़ और लिवाड़ी फिताड़ी में रही हैं।

    जेसीबी में बैठकर पहुंची टीकाकरण करने

    जिला मुख्यालय के निकट हीना गांव निवासी एएनएम कुलवंती रावत ने गर्भवती होने के बाद भी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ा। सुदूरवर्ती मोरी ब्लाक के सरास, बामसू, ओडाटा, थली गांव में टीकाकरण करने के लिए एएनएम कुलवंती रावत कच्ची सड़क पर कुछ किलोमीटर तक अपनी स्वास्थ्य टीम के साथ जेसीबी में बैठकर गई तो चार किलोमीटर से अधिक की पैदल दूरी भी नापी। अपने स्वास्थ्य की फिक्र न करते हुए कुलवंती रावत ने अपने तैनाती क्षेत्र सरास, बामसू, ओडाटा, थली गांव में 98 प्रतिशत व्यक्तियों को टीके की पहली खुराक दे दी है, जबकि करीब 30 प्रतिशत दूसरी खुराक ले चुके हैं। कुलवंती रावत कहती हैं कि तमाम दुश्वारियां होने के बाद भी उनके उत्साह में कोई कमी नहीं है। वह जानती हैं कि कोविड का टीका हर एक व्यक्ति के जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है और जीवन रक्षक हैं। अगर फिर से महामारी फैली तो सबसे अधिक उन्हें ही जूझना पड़ेगा। इसीलिए वह अपने परिवार से दूर मोरी के सुदूरवर्ती क्षेत्र में तैनात हैं। अब 15 वर्ष से अधिक के सभी नौनिहालों को कोविड टीकाकरण करने का लक्ष्य है।

    बेटी से दूर हैं श्वेता राणा

    एएनएम श्वेता राणा कहती है कि वे नवंबर 2020 से अपनी चार साल की बेटी से दूर हैं। उनकी बेटी दादी और पिता के साथ गंगोत्री धाम के निकट सुक्की गांव में है। मोरी में जब मोबाइल नेटवर्क रहता है तो बेटी से फोन पर ही बात करती हूं। श्वेता कहती हैं कि मोरी तहसील मुख्यालय से मेरे गांव सुक्की की दूरी 235 किलोमीटर है। हमें मालूम है कि कोविड से बचाव के लिए कोविड टीकाकरण सबसे कारगर होगा। इसलिए घर परिवार से दूर टीकाकरण में जुटी हूं।

    खलाड़ी पुरोला निवासी अधिवक्ता रविंद्र सिंह रावत ने कहा कि नए वर्ष में मेरा संकल्प रहेगा कि अधिक से अधिक व्यक्तियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करूंगा। कोरोना महामारी से बचने के लिए टीकाकरण करवाने के साथ-साथ मास्क और उचित दूरी के पालन करने के लिए भी आमजन को जागृत करुंगा। लोकप्रिय समाचार पत्र दैनिक जागरण का यह प्रेरणादायक अभियान समाज के लिए बेहद ही उपयोगी और प्रेरित करने वाला है।