भू-विज्ञानियों ने हर्षिल व धराली से लिए मलबा का सैंपल, आपदा के कारणों का लगेगा पता
वरिष्ठ भू-वैज्ञानिकों ने उत्तरकाशी के आपदाग्रस्त हर्षिल और धराली क्षेत्र का दौरा किया और मलबे के नमूने लिए। वैज्ञानिकों के अनुसार ये नमूने आपदा के कारणों की जांच में सहायक होंगे खासकर भूस्खलन और ग्लेशियर से आए मलबे की मात्रा जानने में। बीते दिनों खीरगंगा में आई बाढ़ से भारी तबाही हुई थी जिसके कारणों का पता लगाने के लिए यह सर्वेक्षण किया गया है।

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। वरिष्ठ भू-विज्ञानी डॉ. नवीन जुयाल व डॉ. एसपी सती ने आपदाग्रस्त हर्षिल व धराली क्षेत्र का सर्वेक्षण कर अवसाद (मलबा) के सैंपल लिए हैं। भू-विज्ञानियों के मुताबिक, अवसाद के सैंपल आपदा के कारणों की पड़ताल में मददगार होंगे, इनसे यह जानने में मदद मिलेगी कि आपदा में नीचे हुए भूस्खलन, ग्लेशियर क्षेत्र से आए अवसाद की कितनी मात्रा है।
बता दें कि बीते पांच अगस्त को खीरगंगा में विनाशकारी बाढ़ के चलते आए सैलाब ने जहां एक पल में धराली कस्बे को तबाह कर दिया था, वहीं तेलगाड में आए सैलाब से हर्षिल में सेना का शिविर तबाह हो गया था।
दोनों ही जगह आई आपदा में करीब 69 लोग हताहत हुए। आपदा के बाद यह बात सामने आई थी कि खीरगंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में कहीं बादल फटने से अचानक सैलाब आया, लेकिन विज्ञानियों का मत था कि इसके पीछे की वजह ग्लेशियर झील का अचानक टूटना हो सकता है।
एसडीआरएफ के दल ने जब खीरगंगा के उद्गम क्षेत्र श्रीकंठ पर्वत क्षेत्र का मुआयना किया था तो वहां भूस्खलन के निशान मिलने से इस बात की तस्दीक भी हुई थी।
हाल में, वरिष्ठ भू-विज्ञानी डॉ. नवीन जुयाल व डॉ. एसपी सती ने आपदाग्रस्त हर्षिल व धराली क्षेत्र का दौरा किया, इस दौरान उन्होंने खीरगंगा नदी के साथ तेलगाड क्षेत्र में सैलाब के साथ आए अवसाद का जायजा लिया। साथ ही अवसाद के कुछ सैंपल भी एकत्रित किए।
डॉ. एसपी सती ने दैनिक जागरण को बताया कि उन्होंने तीन दिन तक आपदाग्रस्त क्षेत्र का सर्वेक्षण किया। खीरगंगा नदी में सैलाब के साथ आए मलबे के ग्लेशियर क्षेत्र से आने की संभावना है।
बताया कि उनके द्वारा अवसाद के कुछ सैंपल लिए गए हैं, जिनका वैज्ञानिक अध्ययन व समीक्षा की जाएगी।
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