Road Safety With Jagran: जागरूकता, जिम्मेदारी और जवाबदेही से थमेंगे सड़क हादसे
Road Safety With Jagran उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला से दैनिक जागरण ने बातचीत की। उन्होंने कहा कि जागरूकता जिम्मेदारी और जवाबदेही से सड़क हादसे थमेंगे। बंदरकोट भूस्खलन जोन से मलबा हटाने के लिए मशीनें लगाई जा रही हैं।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : सीमांत जनपद उत्तरकाशी सड़क दुर्घटनाओं को लेकर बेहद ही संवेदनशील है। बीते 11 माह के अंतराल में 35 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें 64 व्यक्तियों की मृत्यु और 112 व्यक्ति घायल हुए हैं। 'दैनिक जागरण' की टीम की ओर से किए गए सर्वे में दुर्घटना का कारण ओवरलोडिंग, ओवरस्पीड, नींद और नशा तो सामने आया ही है। परंतु जनपद में राजमार्ग से लेकर गांवों को जोड़ने वाले मार्गों पर खराब इंजीनियरिंग और सुरक्षा इंतजामों की कमी सामने आई है। इस सभी मुद्दों को लेकर जिला सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष एवं उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला से दैनिक जागरण संवाददाता शैलेंद्र गोदियाल ने बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के कुछ अंश।
Road Safety With Jagran: सड़क सुरक्षा के लिए आमजन में जागरूकता, वाहन चालकों में जिम्मेदारी का अहसास और संबंधित अधिकारियों में जवाबदेही होनी जरूरी है।
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सवाल: राष्ट्रीय राजमार्ग सहित अन्य संपर्क मार्गों पर वर्षा काल का मलबा और पत्थर गिरे हुए हैं, जो दुर्घटना का कारण बने हुए हैं। इसके लिए क्या किया जा रहा है।
- जवाब: वर्षाकाल में कई स्थानों पर भूस्खलन से मलबा आया है। इसे हटाने के लिए पूर्व में ही एनएच, बीआरओ और लोनिवि के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। कुछ जगह से हटाया गया है। बंदरकोट भूस्खलन जोन में जो मलबा है, उसे हटाने के लिए दोनों ओर मशीनें लगाने के लिए कहा गया है।
सवाल: जिलास्तर पर सड़क सुरक्षा समिति को और प्रभावी बनाने के लिए क्या तहसील स्तर पर भी गठन होना चाहिए।
- जवाब: जिलास्तर पर होने वाली सुरक्षा समिति की बैठक में इस मुद्दे को लेकर चर्चा की जाएगी। यह भी देखा जाएगा कि तहसील स्तर पर अधिकारी इसे किस तरह प्रभावी बना सकते हैं, जिससे सड़कों की स्थिति में सुधार आए और सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगे। इसके लिए सुझाव मांगे जाएंगे।
सवाल: सड़क सुरक्षा समिति की बैठकों में जो सुझाव आते हैं, उन सुझाव पर त्वरित गति से अमल हो, इसके लिए आप की ओर से क्या प्रयास किए जा रहे हैं।
- जवाब: सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में सड़क सुरक्षा संबंधित जो भी सुझाव आते हैं, उनमें अधिकांश सुझाव सड़कों पर निर्माण कार्यों से संबंधित होते हैं। जैसे बाटलनेक पर चौड़ीकरण, ब्लैक स्पाट पर सुरक्षा कार्य, क्रैश बैरियर लगाना आदि। इन कार्यों को त्वरित गति से करने में वित्तीय स्वीकृति की समस्या आती है। जिस गति से काम होने चाहिए, उस गति से नहीं हो पाते हैं, जिससे समय लग जाता। इसके लिए विभागों के पास अलग से बजट की व्यवस्था होनी चाहिए।
सवाल: उत्तरकाशी में यात्रा सीजन पर हर वर्ष जाम लगने का मुख्य कारण बाटलनेक सड़कें हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री में आलवेदर रोड निर्माण का अवशेष कार्य कब तक पूरा होगा। निर्माण एजेंसियों को क्या लक्ष्य दिया गया है।
- जवाब: यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरासू बैंड से लेकर सिलक्यारा तक अलग-अलग पैच में हो रहे आलवेदर निर्माण को पूरा करने के लिए टाइम लाइन बनाने के निर्देश एनएच के ईई को दिए गए हैं। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बंदरकोट, धरासू, रतूड़ी सेरा सहित आठ प्रमुख भूस्खलन जोन के ट्रीटमेंट के लिए बीआरओ की ओर टीएचडीसी ने डीपीआर तैयार की है। करीब 80 करोड़ में इन भूस्खलन जोन का उपचार किया जाना है। बीआरओ के अनुसार इसकी स्वीकृति मंत्रालय स्तर पर लंबित है। सिलक्यारा से बडकोट के राजमार्ग पर बीच पैचवर्क पूरा करने के निर्देश एनएचआइडीसीएल को दिए गए हैं। पाली गाड़ से जानकी चट्टी तक डामरीकरण और सुरक्षात्मक कार्य के लिए एनएच ने पांच करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया है, जिससे वित्तीय स्वीकृति मिलनी है। इसके लिए उनकी ओर से शासन को पत्र लिखा जा रहा है।
सवाल: जनपद उत्तरकाशी में हर माह औसतन छह व्यक्तियों की मौत और 10 व्यक्ति घायल हो रहे हैं। ये सड़क दुर्घटनाएं न्यून कैसे हो सकती हैं।
- जवाब: जनपद में जो दुर्घटनाएं अधिक हुई हैं, वह यात्रा सीजन में हुई है। इन दुर्घटनाओं में मरने वालों का आंकड़ा भी इसलिए अधिक हुआ है कि एक याता बस दुर्घटना में 26 व्यक्तियों की मृत्यु हुई। दुर्घटनाओं को न्यून करने के लिए चालक और आमजन में यातायात नियमों को लेकर जागरूकता और अपने व वाहन में बैठे हर व्यक्ति की सुरक्षा को लेकर जिम्मेदारी होनी चाहिए। साथ ही विभागीय अधिकारियों की जवाबदेही भी जरूरी है, जिससे निर्माण विभाग समय से सड़कों को सही और सुरक्षात्मक उपाय करें।
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