उत्तराखंड के इस गांव में पिता ने थामी 40 सदस्यों वाले परिवार की बागडोर, पढ़िए
उत्तरकाशी में ज्यादातर संयुक्त परिवारों की परंपरा वाले इस इलाके में लोग अपने कारोबार में जुटे हुए हैं। इन्हीं में शामिल है क्षेत्र के 86 वर्षीय अमर सिंह कैंतुरा का 40 सदस्यीय परिव
बर्नीगाड़ (उत्तरकाशी), कुंवर सिंह तोमर। कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में भी रवांई जौनसार में रोजमर्रा की जिंदगी की रफ्तार सामान्य बनी हुई है। ज्यादातर संयुक्त परिवारों की परंपरा वाले इस इलाके में लोग अपने कारोबार में जुटे हुए हैं। इन्हीं परिवारों में शामिल है क्षेत्र के 86 वर्षीय अमर सिंह कैंतुरा का 40 सदस्यीय परिवार। उनके परिवार में एक सदस्य भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल का जवान है, जबकि बाकी सभी किसान हैं।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 140 किलोमीटर दूर नौगांव ब्लॉक के खाटल पट्टी के सिंगुणी गांव में संयुक्त परिवार तो कई हैं। लेकिन, सबसे बड़ा संयुक्त परिवार अमर सिंह कैंतुरा का है। अमर सिंह बताते हैं कि वह दो भाई थे। उनका छोटा भाई मदन सिंह 20 वर्ष पहले सिंगुणी गांव का प्रधान भी रहा। लेकिन, 15 वर्ष पहले अचानक उसकी मौत हुई। उसके बाद भी उनका परिवार अलग नहीं हुआ। वे बताते हैं कि उनके पांच पुत्र राजेंद्र, विजेंद्र, लोकेंद्र, आनंद व कैलाश हैं। कैलाश कैंतुरा आइटीबीपी का हिमवीर है तथा वर्तमान में दिल्ली में तैनात है। जबकि उनके भाई के तीन पुत्र गब्बर सिंह, अर्जुन व अष्टम सिंह हैं। चचेरे आठ भाइयों में से सात की शादी हो रखी है। अमर सिंह बताते हैं कि उनके सात पोते और 15 पोतियां हैं। जो अलग-अलग कक्षाओं में पढ़ रहे हैं साथ ही खेती बाड़ी का काम भी करते हैं। उनकी पत्नी नीला देवी और उनके भाई की पत्नी आमा देवी भी संयुक्त परिवार में ही रहती हैं।
कृषि-पशुपालन है आर्थिकी का जरिया
अमर सिंह के सबसे छोटे बेटे कैलाश को बचपन से ही सेना में भर्ती होनी की इच्छा थी और वह आइटीबीपी का हिस्सा बना। जबकि परिवार के अन्य सदस्यों की आजीविका का जरिया काश्तकारी है। फसल बेचकर उनका परिवार वर्ष में करीब आठ लाख रुपये से अधिक की आमदनी कर लेते हैं। साथ ही घर के लिए भी पर्याप्त अनाज, दाल, सब्जी और दूध-दही मिल जाता है।
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आज भी पिता को सौंपते हैं कमाई
अमर सिंह कहते हैं कि बुजुर्ग होने के कारण उन्होंने सारा कारोबार बेटे विजेंद्र कैंतुरा को सौंपा है। विजेंद्र कहते हैं कि अभी भी उनका परिवार पिता और बड़े बुजुर्गों के आदर्श पर चलता है। खेती किसानी के साथ पशुपालन परिवार की आर्थिकी का जरिया है। परिवार का जो भी सदस्य कमाकर लाता है तो वह पूरी धनराशि पिता के पास जमा करता है। परिवार की छोटी-बड़ी सभी जरूरतों को वे पूरा करते हैं।
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