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    नैनीताल हाई कोर्ट का उत्तरकाशी डीएम से सवाल, 'ग्लेशियर के पास होटल की अनुमति क्यों?'

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 04:22 PM (IST)

    नैनीताल हाई कोर्ट ने गोमुख से उत्तरकाशी तक भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में अवैध निर्माण पर सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने एनजीटी के निर्देशों के अनुपालन पर असंतुष्टि जताई और जिलाधिकारी उत्तरकाशी सहित अन्य अधिकारियों को 3 नवंबर को पेश होने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता ने बिना सर्वे के निर्माण अनुमति पर सवाल उठाए और क्षेत्र की वैज्ञानिक जांच की मांग की है। कोर्ट ने सरकार से पूर्ण सर्वे रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

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    अवैध होटल और रिसॉर्ट बनाने की अनुमति दिये जाने के मामले पर सुनवाई की। Concept

    जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट ने गोमुख से उत्तरकाशी तक भागीरथी इको सेंसटिव जोन में नदी किनारे उच्च हिमालयी क्षेत्र के आसपास नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों की अवहेलना कर अवैध होटल और रिसॉर्ट बनाने की अनुमति दिये जाने के मामले पर सुनवाई की।

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    शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने इस मामले में सरकार की ओर से पेश रिपोर्ट से असंतुष्ट होकर तीन नवंबर को जिलाधिकारी उत्तरकाशी सहित अन्य अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने को कहा है।

    कोर्ट ने अधिकारियों से पूछा है है कि एनजीटी की ओर से जारी दिशा निर्देशों पर कितना अनुपालन हुआ है, इसकी रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश करें। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि हर साल बाढ़ आती है, लेकिन प्रकृति प्रेमियों को लुभाने के लिए नदी के किनारे व हिमालयी व्यू को देखने के लिए बिना सर्वे के ग्लेशियर के आसपास कैंप, होटल व रिजार्ट बनाने की अनुमति दी जा रही है।

    याचिकाकर्ता का कहना था कि पहले उस क्षेत्र का वैज्ञानिक तरीके से जांच कराई जाए, उसके आधार पर निर्माण की अनुमति दी जाय ताकि बाढ़ आने पर कोई जन धन की हानि न हो जबकि सरकार की तरफ से कहा गया कि सर्वे के बाद ही अनुमति दी गई है। जिस पर कोर्ट ने फिर से सरकार से एक पूर्ण सर्वे रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

    हिमालयन नागरिक दृष्टि मंच की ओर से जनहित याचिका दाखिल कर कहा है कि गंगोत्री से लेकर उत्तरकाशी तक नदी किनारे मानकों को ताक पर रखकर वैध-अवैध निर्माण किए गए हैं, और किए जा रहे हैं, इस वजह से उत्तरकाशी में बार बार आपदा आ रही है। याचिका में इन संवेदनशील इलाकों में निर्माण के साथ ही अवैध कार्यों पर रोक लगाने की मांग की गई है।