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    मुखवा पहुंची मां गंगा की डोली, ग्रामीणों ने मनाया उत्सव, शीतकाल के छह माह श्रद्धालु यहीं कर सकेंगे दर्शन-पूजन

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 05:30 AM (IST)

    उत्तरकाशी के मुखवा गांव में मां गंगा की डोली पहुंचने पर ग्रामीणों ने धूमधाम से उत्सव मनाया। शीतकाल के छह महीनों तक श्रद्धालु यहीं मां गंगा के दर्शन-पूजन कर सकेंगे। डोली का भव्य स्वागत किया गया और गांव भक्तिमय माहौल में डूब गया। शीतकाल में गंगोत्री धाम में बर्फबारी के कारण, मुखवा गांव में दर्शन की विशेष व्यवस्था की गई है।

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    जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद गुरुवार को मां गंगा की डोली अपने शीतकालीन प्रवास स्थल मुखवा गांव (मुखीमठ) पहुंची। यहां गंगा मंदिर में डोली को विराजमान किया गया।

    इससे पहले ग्रामीणों ने मां गंगा का फूल मालाओं से स्वागत किया और उत्सव मनाया। हर घर में विशेष पकवान तैयार किए गए। बुधवार को विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए थे, जिसके बाद मां गंगा की डोली सेना के बैंड की धुनों व ढोल-दमाऊ की थाप के साथ मुखवा के लिए रवाना हुई थी।

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    डोली ने रात्रि प्रवास मुखवा से करीब चार किमी पहले मार्कंडेयपुरी स्थित देवी मंदिर में किया। वहां रात में भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। गुरुवार दोपहर एक बजे डोली मुखवा रवाना हुई और दो बजे गांव पहुंची। यहां मां गंगा का भव्य स्वागत करने के बाद विधि-विधान के साथ उनकी भोगमूर्ति को मंदिर में विराजमान किया गया।

    मंदिर के पुजारी सुधांशु सेमवाल और राजेश सेमवाल ने बताया कि शीतकाल में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु मुखवा गांव में मां गंगा के दर्शन व पूजन कर सकेंगे। श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए उन्होंने प्रशासन से शीतकाल में सड़क, दूरसंचार और विद्युत आपूर्ति सुचारु रखने की मांग की। मुखवा को मां गंगा का मायका भी कहा जाता है। इस कारण यहां उनका स्वागत बेटी की तरह किया जाता है।