यहां बसा है फूलों का मनमोहक संसार, प्रकृति ने बिखेरी हैं नेमतें
रंग-बिरंगे फूलों से लकदक उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी भी इन दिनों ऐसा ही अनुपम सौंदर्य बिखेर रही है और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है।
उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: उत्तराखंड हिमालय में 'वैली ऑफ फ्लावर' के साथ ऐसी अनेक छोटी-छोटी फूलों की घाटियां हैं, जिनकी खूबसूरती बरबस ही मन को मोह लेती है। रंग-बिरंगे फूलों से लकदक उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी भी इन दिनों ऐसा ही अनुपम सौंदर्य बिखेर रही है। यहां जिधर भी नजर दौड़ाइए, प्रकृति खिलखिलाते नजर आती है।
उत्तरकाशी जिले में कदम-कदम पर प्रकृति ने अपने नेमतें बिखेरी हैं। खासकर मन को हर्षित करने वाली हर्षिल घाटी की तो बात ही निराली है। यहां क्यारकोटी और सात ताल क्षेत्र में फूलों की दो मनमोहक घाटियां हैं। जो हर्षिल से दस किमी के अंतराल पर हैं।
समुद्रतल से 3200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित क्यारकोटी जाने के लिए जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 75 किमी दूर हर्षिल तक सड़क जाती है। यहां से पांच किमी की पैदल दूरी पर लाल देवता का मंदिर है। यह स्थल बगोरी की जाड़ व भोटिया जनजाति का प्रमुख धार्मिक स्थल है। लाल देवता मंदिर से क्यारकोटी की दूरी पांच किमी है। यह एक बेहद खूबसूरत स्थल है, जहां कदम-कदम पर पसरे बुग्याल इन दिनों बहुरंगी फूलों से गुलजार हैं। क्यारकोटी से जिस भी घाटी में चले जाइए, वहां आसानी से फूलों का दीदार हो जाता है।
इन दिनों इस खूबसूरती को निहारने के लिए बड़ी तादाद में पर्यटक और स्थानीय लोग यहां पहुंच रहे है। इसी तरह हर्षिल से आठ किमी दूर सात ताल और पांच किमी दूर छोलमी क्षेत्र में भी फूलों कुदरती क्यारियां अपना सौंदर्य बिखेर रही हैं। हर्षिल निवासी माधवेंद्र रावत बताते हैं कि क्यारकोटी में सितंबर से लेकर नंवबर तक फूलों की बहार रहती है।
आसानी से मिल जाती है अनुमति
उत्तरकाशी वन प्रभाग के डीएफओ संदीप कुमार कहते हैं कि सात ताल, छोलमी व क्यारकोटी के लिए ट्रैक मार्ग बना हुआ है। यहां पर्यटक आसानी से अनुमति लेकर जा सकते हैं और प्रकृति के शृंगार को निहार सकते हैं। हां, पर्यावरण की स्वच्छता का ख्याल रखना हर किसी के लिए जरूरी है। इसलिए प्लास्टिक आदि से निर्मित सामग्री यहां नहीं ले जाई जा सकती।
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