Move to Jagran APP

इस जन्नत में भी बिखरी है फूलों की रंगत, खिलते हैं इतनी प्रजाति के फूल

चमोली जिले के सीमांत जोशीमठ विकासखंड में एक और फूलों की घाटी भी मौजूद है। यहां लगभग 250 प्रजाति के फूल, दुर्लभ जड़ी-बूटी और वन्य जीवों का समृद्ध संसार बसता है।

By Edited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 10:41 PM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 11:22 AM (IST)
इस जन्नत में भी बिखरी है फूलों की रंगत, खिलते हैं इतनी प्रजाति के फूल
इस जन्नत में भी बिखरी है फूलों की रंगत, खिलते हैं इतनी प्रजाति के फूल

गोपेश्‍वर, चमोली [देवेंद्र रावत]: विश्व धरोहर फूलों की घाटी के अलावा चमोली जिले के सीमांत जोशीमठ विकासखंड में एक और फूलों की घाटी भी मौजूद है। मगर, इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। तकरीबन पांच वर्ग किमी के दायरे में फैली इस घाटी में जैव विविधता का खजाना बिखरा हुआ है। इन दिनों यहां सैकड़ों प्रजाति के रंग-बिरंगे फूलों की रंगत देखते ही बन रही है। खासकर देवपुष्प ब्रह्मकमल की क्यारियां तो सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर रही हैं। यह घाटी जून से लेकर अक्टूबर तक फूलों से लकदक रहती है।

loksabha election banner

जोशीमठ की उर्गम, थैंग और खीरों घाटी के बीच हिमालय की गगनचुंबी चोटियों की तलहटी में समुद्रतल से 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित चेनाप घाटी को इसके नैसर्गिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। यहां लगभग 250 प्रजाति के फूल, दुर्लभ जड़ी-बूटी और वन्य जीवों का समृद्ध संसार बसता है। बावजूद इसके यह घाटी देश-दुनिया की नजरों से ओझल है। वैसे, ट्रैङ्क्षकग के शौकीनों की यहां यदा-कदा आमद होती रहती है, लेकिन प्रशासन व वन विभाग की उदासीनता के चलते आज तक इस घाटी को पर्यटन मानचित्र पर जगह नहीं मिल पाई।

चेनाप घाटी जाने के लिए विकासखंड मुख्यालय जोशीमठ से दो रास्ते जाते हैं। इनमें एक रास्ते से चेनाप घाटी जाकर दूसरे से वापस लौटा जा सकता है। एक रास्ता घिवाणी और दूसरा मेलारी टॉप से होकर जाता है। मेलारी टॉप से हिमालय की दर्जनों पर्वत शृंखलाओं का नजारा देखते ही बनता है। घाटी के निकट फुलाना, चंयाणा घट, सोना शिखर, मस्कुश्यां समेत कई अन्य पर्यटन स्थल भी देखने लायक हैं।

आपदा के बाद पड़ी घाटी पर नजर

बदरीनाथ हाईवे पर बेनाकुली से खिरों व माकपाटा होते हुए भी चिनाप घाटी पहुंचा जा सकता है। यह 40 किमी लंबा ट्रैक है, जो खासतौर पर बंगाली पर्यटकों की पसंद माना जाता है। 2013 की आपदा में जब फूलों की घाटी जाने वाला रास्ता ध्वस्त हो गया तो प्रकृति प्रेमी यहां पहुंचने लगे। इसके बाद ही लोगों ने इस घाटी के बारे में जाना।

घाटी में खिलने वाले खास फूल

चेनाप घाटी में ब्रह्मकमल, फेनकमल, एनीमोन, मार्श, गेंदा, प्रिभुला, पोटेंटीला, जिउम, तारक, लिलियम, हिमालयी नीला, पोस्तबछनाग, डेलीफिनियम, रानुनकुलस, लोबिलिया सहित तकरीबन 250 प्रजाति के फूल खिलते हैं। जो इस घाटी के सौंदर्य पर चार चांद लगा देते हैं।

ब्रह्मकमल की क्यारियों का सम्मोहन

चेनाप घाटी की विशेषता यह है कि यहां फूलों की सैकड़ों क्यारियां मौजूद हैं। हर क्यारी में विभिन्न प्रजाति के असंख्य फूल खिले रहते हैं। विशेषकर ब्रह्मकमल की क्यारियां तो सम्मोहित-सा कर देती हैं।

चेनाप घाटी भी बदलती है रंग

जोशीमठ से 14 किमी दूर चांई गांव तक सड़क है। लिहाजा स्थानीय वाहनों से यहां पहुंचा जा सकता है। चांई के निकट थैंग गांव से चेनाप घाटी पहुंचते ही पांच वर्ग किमी क्षेत्र में बुग्यालों (मखमली घास के मैदान) के बीच खिले रंग-बिरंगे फूल पर्यटकों को सम्मोहित कर देते हैं। फूलों की घाटी की तरह चेनाप घाटी भी हर 15 दिन में रंग बदलती रहती है।

दिलवर सिंह फर्स्‍वाण (निवासी थैंग गांव) का कहना है कि ब्लाक मुख्यालय जोशीमठ के ठीक सामने थैंग गांव के पास ही चेनाप घाटी पड़ती है। मगर, सरकारें आज तक इस ओर नजरें इनायत नहीं कर पाई। चांई मोटर मार्ग के साथ ही चांई व थैंग गांव से आगे का ट्रैकि‍ंग रूट भी बदहाल पड़ा हुआ है।

प्रकाश रावत (ब्लाक प्रमुख, जोशीमठ) का कहना है कि चेनाप वैली को 'ट्रैक ऑफ द इयर' घोषित करने के साथ ही यहां पर्यटन विकास के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है। नि:संदेह चेनाप घाटी में दूरसंचार, पैदल मार्ग, पेयजल सहित अन्य सुविधाएं मौजूद हैं। बस, जरूरत है इसे फूलों की एक और घाटी के रूप में विकसित करने की।

जयराज (प्रमुख मुख्य वन संरक्षक, उत्तराखंड) का कहना है कि वन विभाग के अधिकारियों की टीम हाल ही में चेनाप घाटी का निरीक्षण कर लौटी है। इस घाटी के विकास को लेकर विभाग को कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं।

यह भी पढ़ें: अमेरिका और फ्रांस के बाद उत्‍तराखंड में भी हो रही भांग की खेती

यह भी पढ़ें: इस वृक्ष पर बैठ बांसुरी बजाकर गोपियों को रिझाते थे कान्हा, अब हो रहा संरक्षण


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.