Kishtwar Cloudburst: उत्तरकाशी आपदा के जख्म हुए ताजा, अब भी 68 लापता; अभी भी जारी है जिंदगी की तलाश
उत्तरकाशी में खीरगंगा नदी में आई आपदा से हुई तबाही की यादें ताज़ा हो गई हैं। गंगोत्री धाम के पास धराली कस्बे में आई बाढ़ से कल्प केदार मंदिर बह गया और कई लोग लापता हो गए। सेना आइटीबीपी एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं। पहले भी उत्तरकाशी में ऐसी प्राकृतिक आपदाएं आई हैं लेकिन इस बार खीरगंगा नदी ने भारी तबाही मचाई है।

जासं, उत्तरकाशी। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में मचैल माता यात्रा के मार्ग पर बादल फटने से 38 लोगों के मरने की खबर है। वहीं इस घटना से इसी माह की पांच तारीख को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में खीरगंगा नदी द्वारा मचाई तबाही के जख्म हरे हो गए हैं।
गंगोत्री धाम से 20 किमी पहले धराली कस्बे को खीरगंगा नदी के सैलाब ने आगोश में समेट लिया। इसमें धराली का प्रसिद्ध कल्प केदार मंदिर भी बह गया। इस जलप्रलय में सात लोगों के शव बरामद हुए। वहीं अब भी 68 लोग लापता हैं।
आज 10 दिन बाद भी आपदा ग्रस्त इलाके में जिंदगी की तलाश जारी है। लोगों की तलाश में लगी विभिन्न एजेंसियों सेना, आइटीबीपी, एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के लिए चुनौती बना हुआ है। यहां करीब 40 से 50 फीट मलबे की खोदाई कर लापता लोगों की तलाश करना आसान नहीं है।
वर्ष 2004, 2012, 2013, 2018 और 2021 में भी खीरगंगा नदी चेतावनी देती रही, लेकिन इस बार तो तबाही मचाकर ही गई है। पांच अगस्त को आया जलप्रलय कोई पहली घटना नहीं है। पहले भी प्रकृति ने उत्तरकाशी में कहर बरपाया है।
बादल फटने और भूस्खलन की बड़ी घटनाएं
- 6 व 10 अगस्त 1978: भागीरथी नदी पर गंगनानी के पास कनोडियागाड में कृत्रिम झील बनने से बाढ़ आई, छह यात्रियों की मृत्यु हुई।
- 20 सितम्बर 2003: वरुणावत पर्वत पर भूस्खलन से उत्तरकाशी शहर की भौगोलिक संरचना बदल गई। इसमें सरकारी व निजी संपत्ति को भारी नुकसान हुआ।
- 13 अगस्त 2010: गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर भटवाड़ी बाजार की भूमि 10-15 फीट धंसी, 49 मकान ध्वस्त हुए।
- 3-4 अगस्त 2012: अस्सी गंगा, भागीरथी नदी में बाढ़। मृतक 35, घायल 20, प्रभावित परिवार 2,383। गंगोत्री हाईवे एक माह बंद 162 यात्रियों को हेलिकाप्टर से रेस्क्यू।
- 15-16 जून 2013: अतिवृष्टि और बाढ़ से उत्तरकाशी, हर्षिल, धराली में भारी नुकसान। मृतक 11, लापता 13, घायल 25, प्रभावित 70 हजार से अधिक। इस दौरान 5,408 यात्रियों को हेली से रेस्क्यू किया गया।
- 18-19 अगस्त, 2019: मोरी तहसील के दर्जनों गांवों में बादल फटने से भारी नुकसान। मृतक 19, घायल 13, लापता एक, प्रभावित परिवार 1,870 रहे।
- 18 जुलाई 2021: भटवाड़ी तहसील के मांडों, कंकराड़ी, निराकोट, थलन गांवों में भारी वर्षा और बाढ़। तीन लोगों की मौत हुई, तीन घायल।
- 12 नवंबर 2023 : सिलव्यारा टनल का एक भाग धंसने से 41 मजदूर टनल के भीतर फंस गए, जिन्हें 17 दिन बाद सुरक्षित निकाला गया।
- 31 मई 2024 : डबराणी के पास भूस्खलन में एक व्यक्ति की जान चली गई। घटना में घायल 10, लापता एक, तीन वाहन क्षतिग्रस्त।
उत्तरकाशी में हिमस्खलन व भूकंप
- 20 अक्टूबर 1991: रात में आए 6.4 तीव्रता के भूकंप का केंद्र भटवाड़ी तहसील का आगोड़ा गांव था। हादसे में मृतक 653, घायल 6,000 से अधिक और भवन क्षति 14,544 की।
- 4 अक्टूबर 2022: द्रौपदी का डांडा शिखर पर हिमस्खलन से पर्वतारोहण दल के 29 सदस्यों की मौत हो गई, कई दिन तक खोजबीन चली।
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