रोमांच के सफर को हो जाएं तैयार! आज खुल रहे Gangotri National Park के द्वार; जानें इंटरस्टिंग Tourist Places
Gangotri National Park | गंगोत्री नेशनल पार्क के द्वार साहस और रोमांच के लिए खुल रहे हैं। हिमालय की बर्फ से ढकी ऊंची चोटियों गहरी नदियों की घाटियों खड़ी चट्टानों और ग्लेशियरों के बीच एक रोमांचक सफर का अनुभव करें। आज से ये पार्क खुल रहा है। इस पार्क में हिम तेंदुआ काला भालू भूरा भालू कस्तूरी मृग नीली भेड़ और हिमालयन मोनाल जैसे वन्यजीव पाए जाते हैं।

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। देश-विदेश के पर्यटकों को साहस व रोमांच से रूबरू कराने वाले गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट मंगलवार यानी आज खुलने जा रहे हैं। चीन सीमा से लगा यह पार्क देश का तीसरा सबसे बड़ा नेशनल पार्क है, जो कि लगभग 2,390 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है।
इसके उत्तर-पूर्व में भारत-चीन की अंतर्राष्ट्रीय सीमा है। वहीं, इसके पश्चिम में गोविंद नेशनल पार्क व दक्षिण में केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य स्थित है।
सुंदरता से भरा है पार्क
इस पार्क में एक ओर जहां हिमालय की बर्फ से आच्छादित ऊंची चोटियां हैं, तो दूसरी ओर गहरी नदियों की गहरी घाटियां, खड़ी चट्टानें, ग्लेशियर व संकरी घाटियां भी हैं। यह पार्क हिम तेंदुए के प्राकृतिक घर के रूप में पहचान रखता है। हिम तेंदुए के अलावा यहां काला भालू, भूरा भालू, कस्तूरी मृग, नीली भेड़ या भरल, हिमालयन मोनाल आदि पाए जाते हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान से मिली जानकारी के अनुसार इस पार्क से अब तक स्तनपायी की 15 प्रजातियों और 150 पक्षी प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया जा चुका है।
ये हैं पार्क क्षेत्र के प्रमुख पर्यटन स्थल
गरतांग गली: भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक रिश्तों की गवाह गरतांग गली को भारत-चीन युद्ध (1962) के बाद सुरक्षा कारणों के चलते बंद कर दिया गया। वर्ष 2021 में सीढ़ीनुमा रास्ते का जीर्णोद्धार कर इसे दोबारा खोला गया। तब से यह पर्यटकों की पहली पसंद बना हुआ है। जब से इसे पर्यटकों के लिए खोला गया, तब से पार्क क्षेत्र में सर्वाधिक पर्यटक भी इसी का दीदार करने व यहां स्काई वाक जैसा अनुभव लेने आते हैं।
गोमुख-तपोवन ट्रेक: गोमुख-तपोवन गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र के प्रमुख ट्रैक में से एक है। करीब 18 से 22 किमी पैदल दूरी वाले इस ट्रेक पर पर्यटकों को एक ओर हिमालय की हिमाच्छादित चोटियों का दीदार होता है। वहीं ग्लेशियर के ऊपर से आवाजाही का भी अनुभव मिलता है। इस ट्रेक पर गंगा नदी का उद्गम गोमुख स्थित है। जहां स्नान व पूजा-आचमन की मान्यता है। इस ट्रेक पर प्रतिदिन 150 पर्यटक व ट्रेकरों को ही जाने की अनुमति है।
नेलांग घाटी: चीन सीमा से लगी यह घाटी भौगोलिक परिस्थितियों में लद्दाख व स्फीति से मिलती-जुलती है। ट्रांस हिमालयी इस घाटी में ऊंचे-ऊंचे पहाड़ तो हैं, लेकिन उन पर वानस्पतिक आवरण की कमी है। इसे उत्तराखंड का लद्दाख या छोटा लद्दाख के नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान समय में बाइक एक्सपीडिशन के लिए इस घाटी ने अपनी अलग पहचान बनाई है।
केदारताल ट्रेक: केदारताल, गंगोत्री से शुरू होकर केदारताल झील तक जाने वाला एक चुनौतीपूर्ण, लेकिन खूबसूरत ट्रेक है, जो समुद्र तल से लगभग 4,750 मीटर (15,584 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। पर्यटक व ट्रेकर इस ट्रैक रूट पर गंगोत्री से ट्रेकिंग की शुरुआत कर भोजखरक व केदारखरक होते हुए केदारताल पहुंचते हैं। बर्फ से ढकी चोटियों के बीच से जाने वाला यह ट्रेक पर्यटकों को रोमांच का अनुभव कराता है।
कालिंदीखाल ट्रेक: यह ट्रेक गढ़वाल हिमालय में गंगोत्री से बदरीनाथ तक जाने वाला एक चुनौतीपूर्ण ट्रेकिंग रूट है, जिसमें पर्यटक व ट्रेकरों को 5,950 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कालिंदी खाल दर्रे को पार करना होता है। यह ट्रेक गंगोत्री से शुरू होकर विभिन्न घाटियों, ग्लेशियरों व चोटियों से होकर गुजरता है। यह रूट दुनिया के सबसे कठिन ट्रेक रूट की सूची में गिना जाता है।
गोमुख, केदारताल व कालिंदीखाल ट्रेक के लिए करना होगा इंतजार
भारी बर्फबारी और कई जगह ग्लेशियर आने के चलते गोमुख, केदारताल व कालिंदीखाल ट्रेक पर जाने के लिए पर्यटक, ट्रेकर्स व पर्वतारोहियों को अभी महीने भर इंतजार करना पड़ सकता है। वन दरोगा राजबीर रावत ने बताया कि गोमुख ट्रेक पर पांच से छह जगह भारी ग्लेशियर आए हुए हैं। इस कारण पार्क को तो खोल दिया जाएगा, लेकिन सुरक्षा कारणों से फिलहाल उक्त ट्रेकों पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बताया कि जब उनकी टीम ट्रेक की रैकी के लिए गई थी तो केवल आठ किमी तक ही जा पाई थी। अप्रैल अंत तक कुछ बर्फ कम होने के बाद ही यहां आवाजाही की अनुमति दी जाएगी।
इस साल दो नए ट्रेक रूटों का हुआ शुभारंभ
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते छह मार्च को अपने हर्षिल व मुखवा दौरे पर गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में चीन सीमा पर जादूंग से जनकताल व नीलापानी से मुलिंग-ला ट्रेक का शुभारंभ किया। जादूंग से जनकताल जहां 11 किमी लंबा सरल ट्रेक है। वहीं, नीलापानी से मुलिंग-ला करीब 25 किमी का कठिन श्रेणी का ट्रेक है। उक्त दोनों पर मध्य मई से अक्टूबर तक ट्रेकर्स को ट्रैकिंग की अनुमति मिलने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री के दौरे के बाद पार्क क्षेत्र में पर्यटकों की आवक बढ़ने से पुराने रिकार्ड टूटने की उम्मीद है। जब तक गोमुख-केदारताल व कालिंदीखाल ट्रेक पर आवाजाही सुचारु होती है, तब तक पर्यटक नेलांग घाटी समेत गरतांग गली का भ्रमण कर सकते हैं।
-हरीश नेगी, उप निदेशक, गंगोत्री नेशनल पार्क
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