शीतकाल में अब मुखवा में कीजिए मां गंगा के दर्शन, अन्नकूट पर्व पर बंद कर दिए जाएंगे गंगोत्री धाम के कपाट
अन्नकूट पर्व पर गंगोत्री धाम के कपाट बुधवार को पूर्वाह्न 11:36 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इसके बाद मां गंगा की डोली मुखवा के लिए प्रस्थान करेगी। कपाटबंदी के साथ ही मां गंगा की चल विग्रह मूर्ति सेना के बैंड के साथ रवाना होगी। मंदिर को तीन क्विंटल फूलों से सजाया गया है। डोली मार्कंडेयपुरी स्थित अन्नपूर्णा मंदिर में भी रुकेगी, जहाँ भव्य स्वागत होगा।

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट पर्व पर बुधवार को अभिजीत मुहूर्त में पूर्वाह्न 11:36 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इसके बाद मां गंगा की पवित्र डोली शीतकालीन प्रवास स्थल मुखवा (मुखीमठ) के लिए प्रस्थान करेगी। इसके साथ ही शीतकालीन यात्रा भी शुरू हो जाएगी।
कपाटबंदी के साथ ही मां गंगा की चल विग्रह मूर्ति सेना के बैंड की अगवानी में मुखवा के लिए रवाना हो जाएगी। गंगोत्री धाम स्थित गंगा मंदिर को तीन क्विंटल फूलों से सजाया गया है। गंगोत्री धाम के कपाट 30 अप्रैल को श्रद्धालुओं के लिए खोले गए थे।
श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष धर्मानंद सेमवाल ने बताया कि बुधवार को तड़के चार बजे मंदिर में पूजा-अर्चना शुरू हो जाएगी। पौने सात बजे मां गंगा की आरती होगी। इसके के बाद मां गंगा की पाषाणकालीन स्वयंभू मूर्ति से कलेवर को निकाला जाएगा।
इस प्रक्रिया के उपरांत मां गंगा के कलेवर व उनकी चल विग्रह मूर्ति को डोली में विराजित करने के बाद 11 बजकर 36 मिनट पर गंगोत्री धाम की कपाटबंदी के साथ ही मां गंगा की डोली यात्रा मुखवा के लिए प्रस्थान कर देगी। यह यात्रा करीब 20 किमी की पैदल दूरी तय कर गुरुवार को मुखवा पहुचेंगी। इससे पूर्व डोली बुधवार शाम को मार्कंडेयपुरी स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर पहुंचेगी, जहां मां गंगा का ससुराल से मायके लौटने वाली बेटी की तर्ज पर भव्य स्वागत किया जाएगा।
कपाट बंद होने के बाद भी जलता रहता है अखंड दीपक
गंगोत्री धाम के कपाट भले बंद हो जाएंगे, लेकिन यहां तांबे के एक बड़े दीपक में अखंड जोत जलती रहेगी। मंदिर समिति के अध्यक्ष धर्मानंद सेमवाल बताते हैं कि मंदिर में तांबे का एक बहुत बड़ा दीपक बना हुआ है। उसमें तेल भरकर व अखंड जोत जलाकर जाते हैं, जब अगले वर्ष अक्षय तृतीया पर धाम के कपाट खुलेंगे तो वह अखंड जोत जलती हुई मिलती है। कपाट खुलने पर तीर्थयात्रियों को अखंड जोत के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है।
शीतकालीन प्रवास पर धाम की तरह ही होगी पूजा-अर्चना
समिति के अध्यक्ष धर्मानंद सेमवाल बताते हैं अक्षय तृतीया के दिन जो तीर्थ पुरोहित पूजा-अर्चना के लिए वर्णी हो जाते हैं और छह माह गंगोत्री धाम में मां गंगा की पूजा-अर्चना करते हैं। वे ही पुजारी शीतकाल के छह माह मुखवा में पूजा-अर्चना करते हैं।
नर और नारायण पूजा की है मान्यता
ऐसा माना जाता है कि गंगोत्री समेत अन्य सभी धामों में छह माह पूजा-अर्चना का अवसर नर यानी मनुष्यों को मिलता है। वहीं, छह माह नारायण यानी स्वयं भगवान मां गंगा की पूजा-अर्चना करने के लिए धाम में पहुंचते हैं। यही वजह है कि शीतकाल के छह माह गंगोत्री धाम में पहुंचना आसान नहीं होता है। यहां धाम की सुरक्षा के मध्येनजर पुलिस के कुछ जवान, गंगोत्री मंदिर समिति के चार चौकीदार रहते हैं। इसके अलावा शीतकाल में तप आदि के लिए रुकने वाले साधु-महात्मा ही धाम में ठहरते हैं।
मुखवा में गंगोत्री जैसा मंदिर
मुखवा में जहां मां गंगा की चलविग्रह मूर्ति शीतकाल के छह माह विराजमान रहती है, वह मंदिर भी देखने में गंगोत्री मंदिर जैसा है। इसे एक चबूतरे पर बनाया गया है। इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीतकालीन यात्रा के दौरान मुखवा पहुंचकर ही मां गंगा की पूजा-अर्चना की थी।
धराली आई आपदा से रूबरू होंगी मां गंगा
इस वर्ष जब मां गंगा की डोली धाम के लिए रवाना हुई थी तो उस वक्त मुखवा के सामने स्थित धराली कस्बा में रौनक थी। लेकिन पांच अगस्त को आई विनाशकारी आपदा के बाद यहां का भूगोल बदला हुआ है, ऐसे में जब मां गंगा अपने शीतकालीन प्रवास पहुंचेगी तो वह पहली बार इस बदलते हुए हालात से भी रूबरू होंगी।
डेढ़ हजार से अधिक तीर्थयात्रियों के जुटने की उम्मीद
कपाटबंदी से पूर्व मंगलवार शाम तक गंगोत्री धाम में करीब 500 से 1000 तीर्थयात्री तक पहुंच गए हैं। समिति के अध्यक्ष धर्मानंद सेमवाल का कहना है कि कपाटबंदी से पूर्व मां गंगा के निर्वाण दर्शन के लिए यहां डेढ़ हजार से अधिक तीर्थयात्री व स्थानीय श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।
शीतकालीन प्रवास पर ऐसे पहुंचें मुखवा
देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार से सड़क मार्ग के जरिये पहले उत्तरकाशी और फिर हर्षिल होते हुए मुखवा पहुंचा जा सकता है। देहरादून से उत्तरकाशी की दूरी 140 किलोमीटर और ऋषिकेश से 160 किलोमीटर है जबकि उत्तरकाशी से हर्षिल की दूरी 75 किलोमीटर और फिर हर्षिल से पांच किलोमीटर की दूरी पर मुखवा गांव स्थित है। यहां तक का सफर अध्यात्मिक के साथ साहसिक भी होता है। साथ ही प्रकृति को करीब से देखने का अनुभव भी मिलता है।
14 लाख से अधिक यात्री पहुंचे
गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में अब तक 14 लाख से अधिक तीर्थयात्री पहुंच चुके हैं। मंगलवार शाम तक के आंकड़ों के अनुसार दोनों धामों में कुल 1402128 तीर्थयात्री पहुंच चुके थे। इनमें यमुनोत्री धाम में आने वाले 644366 और गंगोत्री धाम में आने वाले 757762 तीर्थयात्री शामिल हैं।
यमुनोत्री धाम व खरसाली स्थित यमुना मंदिर को 11 क्विंटल फूलों से सजाया
यमुनोत्री धाम के कपाट 23 अक्टूबर को बंद किए जाएंगे। मां यमुना की शीतकालीन यात्रा की तैयारियों के बीच यमुनोत्री धाम और खरसाली गांव स्थित यमुना मंदिर को 11 क्विंटल फूलों से सजाया जा रहा है। यमुनोत्री मंदिर समिति के प्रवक्ता पुरुषोत्तम उनियाल ने बताया कि मां यमुना की विदाई और स्वागत समारोह की तैयारियां उत्साह से चल रही हैं। खरसाली गांव में मां की अगवानी के लिए लोग उत्साहित हैं।
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