Move to Jagran APP

Chardham Yatra: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा हुई शुरू

अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 09:05 AM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 08:27 PM (IST)
Chardham Yatra: गंगोत्री और यमुनोत्री  धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा हुई शुरू
Chardham Yatra: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा हुई शुरू

उत्तरकाशी, जेएनएन। विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया। मंगलवार को अक्षय तृतीय के पावन पर्व पर गंगोत्री धाम में विधिवत हवन, पूजा-अर्चना, वैदिक मंत्रोच्चारण एवं धार्मिक रीति-रिवाजों साथ गंगोत्री के कपाट दोपहर 11.30 बजे खोले गए। वहीं, यमुनोत्री धाम के कपाट भी दोपहर 1.15 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए  कपाट खुलने के अवसर पर श्रद्धालुओं ने गंगोत्री में गंगा के जयकारे लगाए। साथ ही गंगा स्नान किया तथा गंगोत्री के दर्शन किए। इस अवसर पर गढ़वाल आयुक्त डॉ. बीवीआरसी पुरूषोत्तम, जिले के प्रभारी मंत्री धन सिंह रावत, विधायक गोपाल, मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, सचिव दीपक सेमवाल सहित आदि मौजूद थे। वहीं, केंद्रीय मंत्री उमा भारती बर्नीगाड़ पहुंची। यहां यमुना में उमा भारती ने स्नान किया। इसके बाद उमा भारती गंगोत्री पहुंचेगी।

loksabha election banner

यमुना के शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली से यमुना की डोली शनि देव की अगुआई में यमुनोत्री के लिए रवाना हुई। मंगलवार सुबह 8:40 बजे पर यमुना की डोली खरसाली स्थित यमुना मंदिर से बाहर निकाली गई। इसके बाद 8:45 पर यमुनोत्री के लिए रवाना हुई। रवाना होने से पूर्व स्थानीय लोगों ने पारंपरिक लोक नृत्य किया। साथ ही यमुना की डोली को भव्य रूप से सजाया। यमुनोत्री के कपाट आज दोपहर 1.15 बजे खोल दि‍ए गए।

वहीं, भैरव घाटी में रात्रि विश्राम के बाद आज सुबह 7:30 बजे गंगा की डोली गंगोत्री के लिए रवाना हुई। रवाना होने से पूर्व भैरव घाटी में स्थित भैरव मंदिर में विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। भैरव को मां गंगा का द्वारपाल भी कहा जाता है। मान्यता है कि बिना भैरव के दर्शन के गंगोत्री की यात्रा पूरी नहीं होती। इसलिए भैरव घाटी के भैरव देवता का अपना महत्व है। गंगोत्री में 9:30 बजे के करीब गंगा की डोली पहुंची। इसके बाद गंगा लहरी, गंगा सहस्त्रनाम आदि का पाठ किया गया। दोपहर ठीक 11:30 बजे गंगोत्री के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। 

प्राचीन श्री भरत मंदिर में उमड़े श्रद्धालु

अक्षय तृतीया पर तीर्थनगरी ऋषिकेश के प्राचीन श्री भरत मंदिर में भी अक्षय तृतीया के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी है। श्री भरत मंदिर में अक्षय तृतीया पर 108 परिक्रमा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि भरत मंदिर की अक्षय तृतीया के दिन 108 अथवा 1008 परिक्रमाओं का फल श्री बद्रीनाथ धाम के दर्शन के समान होता है।

हृषिकेश नारायण भगवान भरत को ऋषिकेश का ग्राम देवता भी माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऋषिकेश में विराजमान भगवान भरत की मूर्ति भी भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति के समान एक जैसे शालिग्राम शिला से बनी हुई है। कालांतर में भगवान नारायण के इस प्राचीनतम मंदिर को खंडित किया गया था। मगर, आदि गुरु शंकराचार्य अपनी बद्रिकाश्रम की यात्रा के दौरान इस मंदिर में पुनः भगवान भरत की मूर्ति को स्थापित किया था। धार्मिक मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन श्री भरत मंदिर की सामर्थ्य अनुसार 108 अथवा 1008 परिक्रमा करने पर भगवान बद्रीनाथ के दर्शनों के समान फल प्राप्त होता है। मांगलवार को अक्षय तृतीया के दिन सुबह से ही श्री भरत मंदिर में परिक्रमा के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी थी। श्रद्धालुओं ने मंदिर की परिक्रमा कर ऋषिकेश नारायण भगवान भरत का आशीर्वाद लिया। श्रद्धालुओं ने मंदिर में गुरुवर सत्तू का प्रसाद भी चढ़ाया।

यह भी पढ़ें: Chardham Yatra: रवाना हुआ 124 यात्रियों का पहला दल, मंगलवार को खुलेंगे गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट

यह भी पढ़ें: ओंकारेश्वर से रवाना हुई बाबा केदार की डोली, नौ मई को खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.