गंगा केवल नदी नहीं, जीवन का आधार भी है, चारधाम यात्रा के दौरान हजारों लोगों की आर्थिकी को करती मजबूत
गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि जीवन का आधार है। गंगोत्री धाम के कपाट खुलने से हजारों परिवारों की आजीविका चलती है। शीतकाल में कपाट बंद होने से यहाँ सन्नाटा पसर जाता है। यह नदी उत्तरकाशी जिले में 158 किमी क्षेत्र में बहती है और लोगों के लिए रोजगार का स्रोत है। गंगाजल की आपूर्ति और पर्यटन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। मनेरी भाली परियोजना से विद्युत उत्पादन होता है, जिससे रोजगार और राजस्व मिलता है।

अजय कुमार, उत्तरकाशी। गंगा केवल नदी नहीं, यह जीवन का आधार है। यह परंपरा, आस्था और आध्यात्म से तो जुड़ी है ही, साथ ही लोगों की आर्थिकी भी इस पर टिकी हुई है। जब गंगोत्री धाम के कपाट खुलते हैं तो इसी के साथ यात्रा पड़ावों से लेकर धाम तक स्थित होटल, होमस्टे और दुकानें आदि खुलते हैं।
हजारों परिवारों के आजीविका चल पड़ती है। शीतकाल में धाम की कपाटबंदी के साथ ही यात्रा पड़ाव से लेकर धाम तक कारोबारी अब अपना सामान समेट कर चले जाते हैं। 22 अक्टूबर को गंगोत्री धाम के कपाट बंद होते ही यहां सन्नाटा पसरने लगा है।
समुद्र तल से 3250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित विश्व प्रसिद्ध धाम गंगोत्री में मान्यता है कि इसी स्थान पर मां गंगा ने धरती का स्पर्श किया। पतित पावनी मां गंगा के कारण इस धाम की महत्ता सबसे अधिक है। यहां निर्मल अविरल रूप में बहती गंगा के साक्षात रूप में दर्शन होते हैं।
उत्तरकाशी जिले में गंगा नदी करीब 158 किमी क्षेत्र में प्रवाहित होती है। हर्षिल और मुखवा तक यह करीब 50 किमी क्षेत्र में प्रवाहित होती है। पौराणिक महत्व को समेटे गंगा क्षेत्र के लोगों की आर्थिकी से परोक्ष या अपरोक्ष रूप से भी जुड़ी है।
गंगा एक प्रकार से वहां के लोगों के लिए रोजगार रूपी अमृत बरसाती है। न सिर्फ स्थानीय लोग बल्कि बाहर के कारोबारी भी कपाट खुलने का इंतजार करते हैं। श्रीपांच गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष धर्मानंद सेमवाल कहते हैं कि मां गंगा कई मायनों में औषधिदायनी, वरदायिनी, जीवनदायनी व मोक्षदायिनी है।
इसलिए विशेष है गंगोत्री की गंगा
- गंगोत्री धाम के पड़ाव से लेकर धाम तक गंगा नदी किनारे लोग दैनिक उपयोग, प्रसाद की दुकानें, होटल, होमस्टे व रेस्टोरेंट आदि का संचालन करते हैं। अकेले होटल व्यवसाय से ही प्रति वर्ष यात्रा सीजन में करोड़ों का कारोबार हो जाता है। गंगोत्री धाम में 1500 से अधिक होटल और 500 से अधिक होमस्टे हैं।
- भारतीय डाक विभाग प्रतिवर्ष गंगोत्री धाम से गंगाजल भरकर देशभर के डाकघरों को सप्लाई करता है। इसके लिए उत्तरकाशी के मुख्य डाकघर में बाटलिंग प्लांट स्थापित किया गया है। वर्ष 2018 से अब तक 31.84 लाख से अधिक गंगा जल की बोतलें सप्लाई कर लाखों रुपए का राजस्व प्राप्त किया जा चुका है।
- चारधाम यात्रा के दौरान गंगोत्री आने वाले लोग हर्षिल के सेब खरीदते हैं। इससे यहां के लोगों को घर बैठे बाजार उपलब्ध हो जाता है।
- मां गंगा के मायके मुखवा की खूबसूरती गंगा के कारण है प्रसिद्ध है। यहां शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने में गंगा का बड़ा योगदान है।
- उत्तरकाशी जनपद के भटवाड़ी, डुंडा और चिन्यालीसौड़ ब्लाक की करीब एक लाख आबादी सीधे तौर पर गंगा से जुड़ी हुई है।
- उत्तरकाशी जिले में मनेरी भाली परियोजना के दोनों बांध गंगा नदी के जल से ही विद्युत उत्पादन करते हैं। इससे जहां रोजगार सृजन होता है वहीं सरकार का खजाना भी भरता है।

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