Uttarakhand Tourism: बाहें फैलाए आपका इंतजार कर रहा उत्तरकाशी का यह दयारा बुग्याल
उत्तरकाशी जिले का बर्फ की चादर ओढ़े दयारा बुग्याल स्कीइंग व साहसिक पर्यटन के लिए सैलानियों का इंतजार कर रहा है। यह दयारा बुग्याल 30 वर्ग किमी में फैला हुआ है। इसमें इन दिनों बर्फ की चादर बिछी हुई है।

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। बर्फ की चादर ओढ़े उत्तरकाशी जिले का दयारा बुग्याल (मखमली घास का मैदान) स्कीइंग व साहसिक पर्यटन के लिए सैलानियों का इंतजार कर रहा है। 30 वर्ग किमी में फैले दयारा बुग्याल में इन दिनों भी तीन से लेकर चार फीट तक बर्फ की चादर बिछी हुई है। इससे बुग्याल की हल्की ढलानों पर बर्फ में दूर तक सैर और स्कीइंग करने के लिए काफी अच्छी स्थितियां हैं।
उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर 30 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले दयारा बुग्याल में शीतकालीन खेलों के लिए आदर्श स्थितियां हैं। यहां दिसंबर से लेकर मार्च के पहले पखवाड़े तक बर्फबारी जारी रहती है।
इससे यहां बर्फ की मोटी चादर बिछ जाती है, जो अप्रैल के बाद ही पिघलती है। ऐसे में यहां दिसंबर से अप्रैल तक शीतकालीन खेल और स्नो वाक की भरपूर संभावनाएं हैं। इन दिनों भी दयारा के बेस कैंप बार्सू, रैथल व नटीण गांव से दयारा जाने वाले पूरे रास्ते में बर्फ ही बर्फ है, जो स्नो ट्रैकिंग के लिए मुफीद है।
इस सबके बावजूद यहां पहुंचने वाले पयर्टकों की संख्या काफी कम है। एक माह के अंतराल में सिर्फ 200 पर्यटकों ने ही दयारा की सैर की। एवरेस्ट विजेता विष्णु सेमवाल कहते हैं कि यहां बुग्याल के ढलान बहुत अच्छे हैं।
स्नो ट्रैकिंग और स्नो वाक के लिए दयारा की खूबसूरती पर्यटकों का मन मन मोह लेने वाली है। दयारा बुग्याल से गिडारा बुग्याल, बंदरपूंछ, काला नाग पर्वत, द्रोपदी का डांडा प्रथम व द्वितीय, श्रीकांठ पर्वत सहित कई प्रमुख चोटी नजर आती हैं। इसके साथ ही गंगा घाटी का मनोहारी नजारा भी यहां से दिखता है।
कदम कदम पर स्कीइंग की ढलान
दयारा बुग्याल में कदम-कदम पर स्कीइंग की ढलान हैं। कई ढलान तो दो किमी तक लंबी हैं। बार्सू गांव से चार किमी की दूरी पर दयारा बुग्याल के ही हिस्सा बरनाला में एक किमी लंबी ढलान है। स्कीइंग करने वाले पर्यटकों के लिए स्थानीय ट्रैकिंग संचालकों के पास सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
गुलमर्ग में स्कीइंग कर चुके सतर सिंह पंवार कहते हैं कि विंटर गेम्स के लिए दयारा में आदर्श स्थितियां हैं। कुछ सुविधाएं मिलें और बुग्याल का प्रचार हो तो इससे अच्छी स्कीइंग कहीं और नहीं हो सकती।
ऐसे पहुंचें दयारा
दयारा बुग्याल की सैर को देहरादून से सड़क मार्ग से मसूरी-सुवाखोली होते हुए उत्तरकाशी पहुंचना होता है। यह दूरी 140 किमी है। उत्तरकाशी से भटवाड़ी होते हुए 40 किमी दूर रैथल, बार्सू और नटीण पहुंचा जाता है। ये तीनों गांव सड़क मार्ग से जुड़े हैं।
दयारा बुग्याल बार्सू, रैथल और नटीण गांव से अलग-अलग रास्ते जाते हैं। रैथल गांव से दयारा बुग्याल के लिए सात किमी, नटीण से आठ किमी और बार्सू से सात किमी का ट्रैक है। दयारा जाने के लिए प्रति व्यक्ति दस रुपये और टेंट का 150 रुपये शुल्क वन विभाग को देना पड़ता है।
बेस कैंप गांवों में उपलब्ध सुविधाएं
रैथल, बार्सू व नटीण गांव सड़क से जुड़े हैं। यातायात के संसाधन सुलभ हैं। रैथल गांव में गढ़वाल मंडल विकास निगम व जिला पंचायत के गेस्ट हाउस, तीन होटल और 30 होम स्टे हैं। बार्सू गांव में गढ़वाल मंडल विकास निगम का गेस्ट हाउस, पांच होटल और 15 होम स्टे हैं। जबकि, नटीण गांव में होटल और होम स्टे की सुविधा उपलब्ध है। तीनों गांवों के निकट 15 से अधिक कैंपिंग स्थल भी हैं। इन गांवों के होम स्टे में पहाड़ी भोजन मिलता है। साथ ही गांव में गाइड, पोर्टर और घोड़े की सुविधा के साथ ट्रैकिंग का सामान भी उपलब्ध है।
कब आएं
दयारा बुग्याल की सैर करने के लिए वर्षभर मौसम अनुकूल रहता है। बर्फबारी का आनंद लेने वाले पर्यटकों के लिए शीतकाल का मौसम सबसे अच्छा है। जबकि, बुग्याल की ट्रैकिंग करने वालों के लिए अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक का मौसम अनुकूल है।
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