हिमालय की तलहटी में बसा मखमली घास वाला दयारा बुग्याल, पर्यटकों से गुलजार; होमस्टे पर्यटन को लग रहे पंख
उत्तराकाशी में 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित दयारा बुग्याल आजकल पर्यटकों से भरा हुआ है। चारधाम यात्रा के साथ पर्यटक ट्रेकिंग के लिए आ रहे हैं। रैथल गांव से 8 किमी का ट्रेक बांज बुरांश और देवदार के जंगलों से गुजरता है। गोई और चिलापड़ा में पशुपालक भोजन और ठहरने की सुविधा देते हैं। दयारा बुग्याल सुंदर घास के मैदान और हिमालय के दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी । समुद्रतल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित दयारा बुग्याल (हरी घास का मैदान) चारधाम यात्रा के साथ इन दिनों पर्यटकों से गुलजार है। यहां हर दिन औसतन 30 से 35 पर्यटक पहुंच रहे हैं। घने जंगलों से गुजरने वाला यह ट्रेक प्राकृतिक खूबसूरती से लबरेज है। पर्यटकों की चहल कदमी से दयारा के आधार पर बसे रैथल व बार्सू गांव में पर्यटन कारोबार को पंख लग रहे हैं।
दयारा बुग्याल ट्रेक जनपद के प्रमुख ट्रेक रूटों से एक है। रैथल गांव से दयारा बुग्याल तक जाने के लिए आठ किमी लंबा पैदल ट्रेक है। बांज, बुरांश व देवदार के घने जंगलों से होकर जाने वाला यह ट्रेक पर्यटकों की शारीरिक दक्षता की परीक्षा लेता है।
रैथल से साढ़े चार किमी की दूरी पर गोई नामक स्थान पर पशुपालकों की छानियां हैं। ट्रेकिंग को पहुंचने वाले पर्यटकों को पशुपालक छानियों में रात्रि विश्राम के साथ भोजन की सुविधा भी उपलब्ध करवाते हैं। यहां से करीब ढाई किमी की दूरी पर चिलापड़ा नामक स्थान पर भी पशुपालकों की कुछ छानियां मौजूद हैं, यहां भी पर्यटकों को भोजन व रात्रि विश्राम की सुविधा मिलती है। इसके बाद करीब डेढ़ किमी की दूरी तय कर पर्यटक दयारा पहुंचते हैं।
मखमली घास के इस मैदान की खूबसूरती देखते ही बनती है। यहां से हिमालय की पर्वत चोटियों का सुंदर नजारा आकर्षण का केंद्र रहता है।
रैथल गांव निवासी व पेशे से गाइड सतीश कुमार बताते हैं कि यूं तो वर्षभर ही पर्यटक दयारा ट्रेक पर ट्रेकिंग को पहुंचते हैं, लेकिन विशेष रूप से सितंबर से अक्तूबर, दिसंबर व जनवरी तथा अप्रैल से जून तक पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। बताया कि वर्षाकाल में अत्यधिक वर्षा के चलते जुलाई व अगस्त में दयारा आने वाले पर्यटकों की संख्या कम रहती है।
ऐसे पहुंचे
- ऋषिकेश से भटवाड़ी की दूरी करीब 170 किमी है।
- जिला मुख्यालय से करीब 30 से 35 किमी दूरी पर रैथल तक वाहन से पहुंचा जा सकता है।
- यहां रात्रि व विश्राम के लिए जीएमवीएन के गेस्ट हाउस के साथ ही पर्याप्त संख्या में होमस्टे हैं।
- पर्यटकों को दयारा बुग्याल के लिए वन विभाग को निर्धारित शुल्क अदा कर अनुमति लेनी होती है, जिसके बाद ही उन्हें दयारा ट्रेक पर जाने की अनुमति प्रदान की जाती है।
यहीं होता है बटर फेस्टिवल
प्रसिद्ध बटर फेस्टिवल यानी कि अंढूड़ी उत्सव का आयोजन भी दयारा बुग्याल में होता है। अगस्त में आयोजित होने वाले इस पर्व पर स्थानीय लोग व पर्यटक पहुंचते हैं, जिसमें दूध-मक्खन की होली खेली जाती है।
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