चारधाम यात्राः गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में रौनक, 15 हजार श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के बाद चारधाम यात्रा शुरू हो गई है। चार धाम यात्रा के शुरू होने के पहले ही दिन दोनों धामों में करीब 15 हजार श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।
उत्तरकाशी, जेएनएन। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के बाद चारधाम यात्रा शुरू हो गई है। चार धाम यात्रा के शुरू होने के पहले ही दिन दोनों धामों में करीब 15 हजार श्रद्धालुओं (स्थानीय लोग व यात्री) ने दर्शन किए। इससे धामों में पसरा सन्नाटा टूटा गया है। गंगोत्री में गंगा स्नान के लिए कई देव डोलियां गई। इस बार चारधाम यात्रा के बेहतर चलने की उम्मीद लगाए बैठे स्थानीय व्यवसायियों के चेहरे भी खिल उठे हैं।
वर्ष 2013 में आई भीषण आपदा के कारण चार साल तक चारधाम यात्रा पूरी तरह प्रभावित रही। 2018 में यात्रा पटरी पर लौटने लगी। इस बार यात्रा शुरू होने के पहले ही दिन गंगोत्री धाम में करीब सात हजार श्रद्धालुओं व यमुनोत्री में करीब आठ हजार श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। ये आने वाले दिनों में यात्रा के शुभ संकेत हैं।
30 जून तक गंगा घाटी व यमुना घाटी के होटल पैक हैं। इससे यात्रा अच्छी चलने की उम्मीद व्यवसायियों को है। गंगोत्री धाम के उद्घाटन अवसर पर गढ़वाल आयुक्त डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने यात्रियों को शुभकामनाएं दी तथा उत्तराखंड में सुखद एवं सुरक्षित चारधाम यात्रा का संदेश पूरे देश में फैलाने की अपील की।
गंगोत्री के कपाट खुलने के समय जिले के प्रभारी मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, विधायक गोपाल रावत, पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण, श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, सचिव दीपक सेमवाल, सह सचिव राजेश सेमवाल, एसडीएम देवेंद्र सिंह नेगी, रजनीकांत सेमवाल, माधवेंद्र रावत सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
वहीं, यमुनोत्री धाम में डीएम डॉ. आशीष चौहान, यमुनोत्री मंदिर समिति के उपाध्यक्ष जगमोहन उनियाल, सचिव कृतेश्वर उनियाल, पूर्व उपाध्यक्ष पवन उनियाल, विनोद उनियाल, श्याम सुंदर उनियाल आदि मौजूद थे।
गंगा सप्तमी तक करें गंगा की पाषाण मूर्ति के दर्शन
गंगोत्री धाम में स्थित मां गंगा की पाषाण मूर्ति के दर्शन श्रद्धालु अक्षय तृतीया से 11 मई गंगा सप्तमी तक कर सकते हैं। गंगा की पाषाण मूर्ति के दर्शनों का अपना विशेष महत्व है। गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही अक्षय तृतीया के पर्व पर माता की पाषाण मूर्ति के श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करते हैं।
गंगा सप्तमी को गंगा का जन्म माना जाता है तथा गंगा सप्तमी को माता की पाषाण मूर्ति को आभूषणों से सजाया जाता है, जिसके बाद पाषाण मूर्ति नए कलेवर में दिखाई देती है। इस बार अक्षय तृतीया से गंगा सप्तमी तक मात्र पांच दिनों तक ही माता की पाषाण मूर्ति के श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।
श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल का कहना है कि गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के बाद मंदिर में स्थित मां गंगा जी की पाषाण मूर्ति के दर्शन गंगा सप्तमी तक कर सकेंगे। इस बार गंगा सप्तमी शनिवार 11 मई को है तथा इस दिन माता की पाषाण मूर्ति को नए वस्त्रों तथा मुकुट व आभूषणों से सुसज्जित किया जाता है।
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