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    स्‍कूल में बिछी बर्फ, कंपकंपाती अंगुलियों से कलम थामनी भी हो रही मुश्किल

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    Updated: Tue, 12 Feb 2019 07:57 PM (IST)

    शीतकालीन अवकाश के बाद विद्यालय खुल तो गए, लेकिन विद्यालय की छत से लेकर आंगन तक बिछी बर्फ की चादर के बीच बच्चों का पठन-पाठन कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

    स्‍कूल में बिछी बर्फ, कंपकंपाती अंगुलियों से कलम थामनी भी हो रही मुश्किल

    उत्‍तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। समुद्रतल से 2200 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले सीमांत क्षेत्रों में शीतकालीन अवकाश के बाद सोमवार को विद्यालय खुल तो गए, लेकिन विद्यालय की छत से लेकर आंगन तक बिछी बर्फ की चादर के बीच बच्चों का पठन-पाठन कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। सबसे अधिक परेशानी अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों के प्राथमिक, जूनियर, हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में हो रही है। शिक्षकों के अनुसार पढ़ाई तो रही दूर, ठंड के कारण बच्चे कलम तक नहीं थाम पा रहे। शिक्षकों की भी यही स्थिति है, सो वह ठंड से बचने के लिए अलाव या अंगीठी का सहारा लेने को विवश हैं। 

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    उत्तरकाशी जिले में पिछले दिनों हुई भारी बर्फबारी के कारण ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अभी भी जनजीवन पटरी पर नहीं लौट पाया है। इनमें भटवाड़ी ब्लॉक के उपला टकनौर, मोरी ब्लॉक के आराकोट, जखोल-सांकरी, ओसला गंगाड़ व सेवा बरी, पुरोला ब्लॉक के सर बडियार और नौगांव ब्लाक के गीठ क्षेत्र के गांव शामिल हैं। इन क्षेत्रों के 92 प्राथमिक विद्यालय, 22 जूनियर हाईस्कूल, चार हाईस्कूल और छह इंटर कॉलेज एक माह के शीतकालीन अवकाश के बाद सोमवार को खोल दिए गए। लेकिन, शीत का कहर कम न होने से इन विद्यालयों में बच्चों के लिए बैठना भी मुश्किल हो रहा है।

    अधिकांश विद्यालयों में तो स्थिति यह है कि भवनों की छत और आंगन बर्फ की मोटी चादर से ढके हुए हैं। सबसे अधिक परेशानी समुद्रतल से 2600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इंटर कॉलेज हर्षिल में हो रही है। यहां चार से लेकर पांच फीट तक बर्फ की चादर बिछी है और छात्रों के लिए विद्यालय पहुंचना भी मुश्किल हो रहा है। बर्फबारी के कारण रास्ते अवरुद्ध होने से झाला, पुराली व जसपुर के अधिकांश बच्चे विद्यालय ही नहीं जा पा रहे। कुछ बच्चे जैसे-तैसे पहुंच भी रहे हैं तो ठंड के कारण पढ़ाई नहीं कर पा रहे। 

    राजकीय इंटर कॉलेज जखोल के शिक्षक एवं राजकीय शिक्षक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष शमशेर ङ्क्षसह चौहान बताते हैं कि विद्यालय भवन की छत, मैदान और आसपास बर्फ के सिवा कुछ नजर नहीं आ रहा। बच्चे ऊन के दस्ताने पहनकर विद्यालय आ रहे हैं, लेकिन ठंड इतनी अधिक है कि कलम तक नहीं थामी जा रही। पीने के पानी का इंतजाम भी बर्फ को पिघलाकर करना पड़ रहा है। जखोल में तो बिजली की आपूर्ति भी सुचारु नहीं हो पाई है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों के अधिकांश विद्यालयों की यही स्थिति है।

    10 दिन बढ़ा दिया गया था शीतकालीन अवकाश

    सीमांत क्षेत्र के अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर विद्यालयों में एक से 31 जनवरी तक शीतकालीन अवकाश रहता है। लेकिन, इस बार भारी बर्फबारी के चलते अवकाश को दस फरवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया था। हालांकि, अब भी हालात पठन-पाठन लायक नहीं हैं।

    न्यूतनम तापमान अभी भी माइनस में

    जिले के हर्षिल, ओसला गंगाड़, जखोल, लिवाड़ी, फिताड़ी, सांकरी सहित आदि स्थानों पर न्यूनतम तापमान अभी भी माइनस में चल रहा है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि हर्षिल का अधिकतम तापमान दिन में धूप खिलने पर भी पांच डिग्री सेल्सियस है। जबकि, न्यूनतम तापमान माइनस दो से तीन डिग्री सेल्सियस तक चला जा रहा है। लिवाड़ी और ओसला गंगाड़ क्षेत्र में भी अधिकतम और न्यूनतम तापमान हर्षिल के करीब है।

    बोले अधिकारी 

    आरसी आर्य (मुख्य शिक्षाधिकारी, उत्तरकाशी) का कहना है कि ऊंचाई वाले विद्यालयों में शीतकालीन अवकाश समाप्त हो चुका है। लेकिन, जहां हालात अभी भी विकराल हैं, वहां के शिक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि छोटी कक्षाओं के बच्चों को तब तक विद्यालय न बुलाएं, जब तक मौसम अनुकूल नहीं हो जाता।

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