Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Chardham Yatra 2024: यमुनोत्री में अब भी 15 घंटे में तय हो रही 55 किमी दूरी, वाहनों में ही गुजारनी पड़ रही रात

    Chardham Yatra 2024 अब भी तीर्थ यात्रियों को उत्तरकाशी से गंगोत्री और बड़कोट से जानकीचट्टी (यमुनोत्री) पहुंचने में 12 से 15 घंटे लग रहे हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही दोनों धाम को जोड़ने वाले राजमार्गों पर जाम की समस्या शुरू हो गई थी। सचिव मुख्यमंत्री आर. मीनाक्षी सुंदरम और जिलाधिकारी डा. मेहरबान सिंह बिष्ट ने जानकीचट्टी पहुंचकर यात्रा व्यवस्था का जायजा लिया।

    By Shailendra prasad Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 17 May 2024 10:41 AM (IST)
    Hero Image
    Chardham Yatra 2024: गंगोत्री और यमुनोत्री राजमार्ग पर यात्रा शुरू होने के एक सप्ताह बाद भी यातायात व्यवस्था बेपटरी

    जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: Chardham Yatra 2024: चारधाम यात्रा शुरू होने के एक सप्ताह बाद भी गंगोत्री और यमुनोत्री राजमार्ग पर यातायात व्यवस्था पूरी तरह पटरी पर नहीं लौट पाई है। अब भी तीर्थ यात्रियों को उत्तरकाशी से गंगोत्री और बड़कोट से जानकीचट्टी (यमुनोत्री) पहुंचने में 12 से 15 घंटे लग रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तरकाशी से गंगोत्री की दूरी 100 किमी, जबकि बड़कोट से जानकीचट्टी की दूरी लगभग 55 किमी है। इस विलंब के कारण तीर्थ यात्रियों के वाहन रात में भी संचालित हो रहे हैं। हालांकि, यात्रा मार्गों के कुछ हिस्सों में जाम की समस्या कम हुई है। व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। इस क्रम में सचिव मुख्यमंत्री आर. मीनाक्षी सुंदरम और जिलाधिकारी डा. मेहरबान सिंह बिष्ट ने बुधवार को हर्षिल और गुरुवार को जानकीचट्टी पहुंचकर यात्रा व्यवस्था का जायजा लिया।

    गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही दोनों धाम को जोड़ने वाले राजमार्गों पर जाम की समस्या शुरू हो गई थी। ऐसे में पुलिस-प्रशासन ने राजमार्गों पर जगह-जगह बैरियर लगाकर तीर्थ यात्रियों के वाहनों को रोका, लेकिन इससे समस्या और गहरा गई।

    लंबे जाम में कुछ कमी आई

    बुधवार को इस व्यवस्था में ढील देने के बाद सकारात्मक परिणाम दिखे। उत्तरकाशी, बड़कोट, नेताला, गंगोरी, गणेशपुर, नौगांव, ब्रह्मखाल, राडीटाप, ओरछा बैंड सिलक्यारा क्षेत्र में लग रहे लंबे जाम में कुछ कमी आई। गुरुवार को गंगोत्री धाम जाने वाले राजमार्ग पर नगुण, डुंडा, उत्तरकाशी, तेखला व हीना और यमुनोत्री धाम जाने वाले राजमार्ग पर डामटा व दोबाटा (बड़कोट) के पास वाहनों को करीब एक-एक घंटे रोका गया।

    जबकि, यमुनोत्री राजमार्ग पर पालीगाड़ के पास वाहनों को 10 से 12 घंटे तक रोका जा रहा है। गंगोत्री राजमार्ग पर भी सोनगाड़, सुक्की, झाला, हर्षिल, कोपांग और भैरव घाटी में लंबे अंतराल तक वाहनों को रोका जा रहा है। इतने लंबे अंतराल तक रोके जाने से यहां वाहनों की लंबी कतार लग रही है। बड़ी संख्या में तीर्थ यात्रियों को रात भी वाहनों में ही गुजारनी पड़ रही है। इससे तीर्थयात्री खासे परेशान हो रहे हैं।

    तीर्थ यात्रियों की व्यथा

    स्थगित करनी पड़ी यात्रा

    तमिलनाडु से आए कार्तिक के साथ 35 तीर्थ यात्रियों का दल है। उन्हें बुधवार को गंगोत्री पहुंचना था, लेकिन यमुनोत्री मार्ग पर जाम के कारण शेड्यूल बिगड़ गया। गुरुवार सुबह चार बजे वह उत्तरकाशी से गंगोत्री के लिए रवाना हुए, मगर सात घंटे में 25 किमी दूर लाटा (भटवाड़ी) ही पहुंच पाए। ऐसे में दल ने गंगोत्री की यात्रा स्थगित की और उत्तरकाशी लौट आया। शुक्रवार को उन्हें गुप्तकाशी पहुंचना है।

    16 घंटे करना पड़ा इंतजार

    महाराष्ट्र के पुणे निवासी अशोक शंकर 17 सदस्यीय दल के साथ चारधाम यात्रा पर आए हैं। वह 14 मई को हरिद्वार से चले थे। विश्राम के लिए डाबरकोट के पास ओजरी में होटल बुक किया था। लेकिन, कटापत्थर के पास उन्हें रातभर रोके रखा गया। अगली सुबह वह यमुनोत्री के लिए चले और करीब नौ बजे पालीगाड़ पहुंचे, जहां पुलिस ने दिनभर रोके रखा। रात एक बजे उनके वाहन को छोड़ा गया। पालीगाड़ से 20 मिनट में वह ओजरी होटल पहुंचे। वहां दो घंटे विश्राम किया और रात तीन बजे जानकीचट्टी चल दिए।

    वाहन में गुजारनी पड़ी रात

    दिल्ली निवासी पंकज कुमार ने बताया कि उनका दल उत्तरकाशी से 15 मई को सुबह चार बजे गंगोत्री के लिए रवाना हुआ। सभी लोग शाम साढ़े सात बजे गंगोत्री पहुंचे और रात नौ बजे दर्शन कर पाए। वापसी में उनकी बस को भैरव घाटी और गंगोत्री के बीच रोक दिया गया, फिर रात वहीं वाहन में गुजारनी पड़ी।

    वाहन चालक नहीं ले पा रहे पूरी नींद, दुर्घटना का भय

    यात्रा मार्ग पर जगह-जगह रोके जाने और दिन-रात वाहन चलाने से चालक भी पूरी नींद नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे में दुर्घटना का भय भी बना हुआ है। तीर्थ यात्रियों को लेकर आए राजस्थान निवासी टेंपो ट्रैवलर चालक शंकर चौहान ने बताया कि 11 मई को हरिद्वार से चले थे। पहले उन्हें विकासनगर फिर कटापत्थर, डामटा, बड़कोट और पालीगाड़ में रोका गया। इस तरह हरिद्वार से पालीगाड़ पहुंचने में 30 घंटे लग गए।

    उन्होंने एक रात बड़कोट और विकासनगर के बीच वाहन में ही गुजारी। तीर्थयात्री भी वाहन में ही सोए। दूसरी रात पालीगाड़ में वाहन में ही बीती। जाम से जूझते हुए 13 मई की सुबह किसी तरह जानकीचट्टी पहुंच पाए। वहां से छह किमी पैदल यात्रा के बाद यमुनोत्री धाम में दर्शन किए और शाम को गंगोत्री के लिए निकल पड़े, मगर राडीटाप क्षेत्र में जाम में फंस गए। किसी तरह वह रात एक बजे ब्रह्मखाल पहुंचे।

    वहां तीर्थयात्री तो एक होटल में रुक गए, मगर शंकर को वाहन में ही सोना पड़ा। ब्रह्मखाल से सुबह चार बजे उत्तरकाशी के लिए निकलना था तो बामुश्किल तीन घंटा ही सो पाए। उत्तरकाशी पहुंचने के बाद गंगोत्री जाने के लिए पूरा दिन इंतजार करना पड़ा। इसके बाद सोनगाड़, हर्षिल समेत विभिन्न स्थानों पर जाम में रेंगते-रेंगते 15 मई की सुबह गंगोत्री पहुंचे। रातभर जगह-जगह रोका गया। शंकर तीर्थ यात्रियों को लेकर गुरुवार दोपहर उत्तरकाशी लौटे और फिर केदारनाथ की यात्रा पर चल दिए। चलते समय बोले, रास्ते में जो होटल मिलेगा वहां ठहराव लेंगे।