Uttarkashi Avalanche : उम्मीद लेकर भटक रहे स्वजन, लापता सदस्यों की जानकारी को निम ने जारी किया नंबर
Avalanche in Uttarkashi घटना में विभिन्न राज्यों के दो प्रशिक्षकों सहित 27 प्रशिक्षु पर्वतारोही लापता हुए। इनमें 17 के शव बरामद हो चुके हैं। वहीं लापता पर्वतारोहियों के स्वजन अलग-अलग स्थानों से बुधवार सुबह ही उत्तरकाशी पहुंच गए थे।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : Uttarkashi Avalanche द्रौपदी का डांडा क्षेत्र में हिमस्खलन की घटना की जद में आने से विभिन्न राज्यों के दो प्रशिक्षकों सहित 27 प्रशिक्षु पर्वतारोही लापता हुए। इनमें 17 के शव बरामद हो चुके हैं, परंतु अभी इन शवों को उत्तरकाशी नहीं पहुंचाया जा सका है। साथ ही 14 शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है।
लापता पर्वतारोहियों के स्वजन अलग-अलग स्थानों से बुधवार सुबह ही उत्तरकाशी पहुंच गए थे। पर्वतारोहियों के स्वजन अपनों की जानकारी के लिए भटक रहे हैं। उनकी आंखों में आंसू हैं। प्रशासन के अधिकारी ने इन्हें ढांढस बंधा रहे तो हैं लेकिन कोई उचित आश्वासन नहीं दे पा रहे हैं।
इन कंट्रोल रूम में करें संपर्क
वहीं हिमस्खलन की चपेट में आकर लापता हुए दल के सदस्यों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए निम ने कंट्रोल रूम स्थापित किया है। कंट्रोल रूम से नंबर 7860717717 और 9997254654 पर संपर्क किया जा सकता है।
उम्मीद लेकर भटक रहे स्वजन
वीरवार को सुबह से लेकर दोपहर तक पांच बार वायु सेना के हेलीकाप्टर ने उड़ान भरी और लैंडिंग की। मातली में पहुंचे लापता प्रशिक्षुओं के स्वजन की नजर हेलीकाप्टर पर ही लगी रही। परंतु पूरे दिन इंतजार करने के बाद स्वजन को निम और प्रशासन की ओर से कोई आश्वासन नहीं दिया गया।
यह भी पढ़ें : Avalanche in Uttarkashi: एवलांच की चपेट में आने से अब तक 17 लोगों की मौत, अभी भी 10 प्रशिक्षु पर्वतारोही लापता
भुकी गांव निवासी रवि रावत ने कहा कि उसकी बहन नवमी का शव मंगलवार को बरामद हो गया था तथा मंगलवार को ही बेस कैंप भी पहुंचाया गया। परंतु तीन दिन बाद भी उत्तरकाशी नहीं पहुंचाया। शुक्रवार को कुछ शव उत्तरकाशी पहुंचााए जा सकते हैं। वहीं निम और प्रशासन केवल कोरे आश्वासन दे रहा है। परिवार व रिश्तेदार परेशान हैं।
इसी तरह से लापता हुए प्रशिक्षुओं के स्वजन कभी उत्तरकाशी जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं, तो दिन में कई चक्कर निम मुख्यालय के भी काट रहे हैं। हेलीकाप्टर के पहुंचने की सूचना पर फिर स्वजन किसी तरह 12 किलोमीटर दूर मातली पहुंचे।
यह भी पढ़ें : 1984 के Avalanche में बाल-बाल बची थीं देश की पहली एवरेस्ट विजेता पद्मभूषण बछेंद्रीपाल, पहली बार बयां की आपबीती
वहां अपनों को न पाकर फिर जिला अस्पताल दौड़े। जिला अस्पताल से भी जब जानकारी नहीं मिली तो देर शाम निम मुख्यालय पहुंचे। वहां भी इन्हें कोई सही जानकारी और उचित आश्वासन नहीं दिया गया।