गंगनानी की रौनक अभी भी गायब
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : गंगोत्री यात्रा रूट का अहम पड़ाव गंगनानी सूना है। पिछले साल आपदा से पूर्व तप्तकुंड की मौजूदगी और अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर इस पड़ाव पर बीते साल तक यात्रियों की चहल पहल रहती थी।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से पचास किमी दूर गंगोत्री हाईवे पर गंगनानी एक यात्रा पड़ाव है। बीते साल की आपदा में इस छोटे से पड़ाव के एक हिस्से में हुए भूस्खलन ने यहां परेशानी बढ़ा दी है। यह पड़ाव तप्तकुंड के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि ऋषि पराशर ने इस स्थान पर तप कर अमरत्व हासिल किया था। इसके चलते यहां ऋषि पराशर की पूजा भी की जाती है। हर साल यात्रा सीजन में आबाद होने वाला यह पड़ाव इस बार पूरी तरह से सूना पड़ा हुआ है। इस बार तप्तकुंड में रोजाना दस बारह यात्री नजर आ रहे हैं। जबकि बीते सालों तक यात्रा काल में यहां एक दिन में दो हजार से अधिक यात्री तप्तकुंड में स्नान के साथ ही दुकानों में खरीदारी करते थे। बीते साल तक यहां चालीस से अधिक दुकानें यात्राकाल के दौरान खुल जाती थी, लेकिन इस बार दस दुकानें ही खुल सकी हैं। वहीं यात्रियों के ठहरने के लिए तैयार होटल भी पूरी तरह खाली हैं। यात्रा सीजन के चलते यह पड़ाव हुर्री, भंगेली, तिहार, कुज्जन, सालंग व भुक्की आदि गांवों के लिए रोजगार भी पैदा करता था, लेकिन इस बार यात्रियों की मामूली आमद के कारण इन गांवों के लोग भी बेरोजगार बैठे हैं।
'गंगनानी में पर्यटकों व यात्रियों के लिए सभी बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन इस बार यात्रियों की कम तादाद के चलते यहां पहले जैसी स्थिति नहीं बन पा रही है। केएस नेगी, जिला पर्यटन अधिकारी।