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    प्रसव के 12 दिन बाद महिला की मौत, डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप; अस्पताल पर गिरी गाज

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 07:07 PM (IST)

    सितारगंज में प्रसव के 12 दिन बाद एक महिला की मृत्यु हो गई। परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया है। शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच समिति गठित की जिसमें लापरवाही पाई गई। अस्पताल में सुविधाओं की कमी भी उजागर हुई जिसके बाद अस्पताल का पंजीकरण निलंबित कर दिया गया और जुर्माना लगाया गया। विस्‍तार से नीचे पढ़ें खबर।

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    डॉक्‍टर पर लापरवाही और कमीशनखोरी का आरोप। प्रतीकात्‍मक

    जागरण संवाददाता, सितारगंज । प्रसव के 12 दिन बाद महिला की मृत्यु के मामले ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। मृतका के स्वजन ने उप जिला अस्पताल सितारगंज में तैनात महिला चिकित्सक डा. नेहा सिद्दीकी पर इलाज में गंभीर लापरवाही और कमीशनखोरी का आरोप लगाया है।

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    ग्राम पंडरी निवासी बक्शीश सिंह ने सीएम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर बताया कि उनकी 24 वर्षीय पुत्री काजल कौर को 21 जुलाई की रात प्रसव पीड़ा हुई तो उसे उप जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां नॉर्मल डिलीवरी न हो पाने पर डा. नेहा सिद्दीकी की सलाह पर उसे रात दो बजे प्राइवेट आस्था अस्पताल ले जाया गया, जहां 26 हजार रुपये लेकर उसका ऑपरेशन किया गया।

    स्वजन के अनुसार ऑपरेशन के बाद न तो मां और न ही बच्ची की हालत ठीक थी। अस्पताल में आवश्यक सुविधाओं का अभाव होने के कारण 24 जुलाई को काजल को हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल और फिर देहरादून के हिमालयन अस्पताल रेफर किया गया। जहां इलाज के दौरान तीन अगस्त को उसकी मृत्यु हो गई। स्वजन ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की।

    वहीं मामले को लेकर सीएम पोर्टल पर शिकायत पंजीकृत होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मामले को गंभीरता से लिया और एसीएमओ डा. एसपी सिंह व डा. कनक बनौथा की अध्यक्षता में दो सदस्यीय जांच समिति गठित की। समिति ने तथ्यों और अभिलेखों के अवलोकन के बाद रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए स्पष्ट किया कि मरीज के उपचार में लापरवाही बरती गई।

    रिपोर्ट में कहा गया कि जब अस्पताल में केवल दो मरीजों के लिए एलएससीएस की सुविधा उपलब्ध थी, ऐसे में मरीज को तत्काल हायर सेंटर रेफर करना चाहिए था, लेकिन डा. नेहा ने पांच घंटे तक इंतजार कराया और फिर प्राइवेट अस्पताल में जाकर ऑपरेशन किया, जो राजकीय नियमों का उल्लंघन है। जांच में यह भी सामने आया कि आस्था अस्पताल में आईसीयू, गायनोकोलॉजिस्ट और बाल रोग विशेषज्ञ की सुविधा नहीं थी। ओटी की व्यवस्थाएं भी संतोषजनक नहीं मिलीं।

    नर्सिंग स्टाफ की कमी और पैरा मेडिकल स्टाफ का पंजीकरण भी संदिग्ध पाया गया। जिस पर कार्रवाई करते हुए सीएमओ डा. केके अग्रवाल ने आस्था अस्पताल का नैदानिक पंजीकरण तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। साथ ही अस्पताल संचालक पर 75 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है, जिसे तीन दिन के अंदर जमा करने के निर्देश दिए गए हैं।