क्या है ला नीना? जिसके कारण उत्तराखंड में लगातार तीन दिन से हो रही है बारिश, जन-जीवन अस्त-व्यस्त
La Nina उत्तराखंड में ला नीना का प्रभाव चरम पर है जिससे पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है। बारिश के कारण जगह-जगह जलभराव हो गया है और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस बार सामान्य से 15 से 20 प्रतिशत अधिक बारिश होने की संभावना है। किसानों को धान की फसल की सिंचाई के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
जासं,रुद्रपुर। La Nina: तराई में तीन दिन से लगातार तेज व हल्की बारिश हो रही है। इससे जगह-जगह जलभराव होने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
पहाड़ के साथ ही तराई-भाबर में ला नीना का प्रभाव चरम पर होने से इस बार सामान्य से 15 से 20 प्रतिशत अधिक बारिश होने की संभावना है। जून को छोड़ दिया जाए तो जुलाई और अगस्त में औसत सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है।
ला नीना का प्रभाव चरम पर
गाेविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि के मौसम विज्ञानियों के अनुसार तराई में ला नीना का प्रभाव चरम पर है। इसलिए इस बार अच्छी बारिश हो रही है। हालांकि कहीं कहीं पर ज्यादा बारिश होगी। इसकी वजह जलवायु परिवर्तन है। पहले तीन-चार दिनों में बारिश हो जाती थी तो धान की फसल की सिंचाई के लिए किसानों को परेशान नहीं होना पड़ता था।
अब कुछ वर्षों से जलावायु परिवर्तन के कारण आठ दिन से अधिक अंतराल पर बारिश हो रही है। जबकि धान की फसल के लिए पांच से छह दिन में हल्की सिंचाई की जरुरत पड़ती है। वर्षा का सही वितरण नहीं हो पा रहाहै। ऐसे में किसान नहरों, खुद के संसाधन या ट्यूबवेल से धान की सिंचाई करते हैं। इससे लागत खर्च बढ़ जाता है।
ला नीना क्या है?
यह प्रशांत महासागर में होने वाला एक मौसम पैटर्न है। ऐसी घटना जिमसें तेज हवाएं समुद्र की सतह पर गर्म पानी उड़ाती है। ला नीना के कारण भारत में मानसून पर असर पड़ता है। आमतौर ज्यादा बारिश होती है।
जलवायु परिवर्तन की वजह से वर्षा का सही वितरण नहीं हो पा रहा है। इससे धान की फसल उत्पादन पर असर पड़ता है। हालांकि किसान अपने संसाधन, ट्यूबवेल या नहरों से सिंचाई करते हैं। इस बार सामान्य से 15 से 20 प्रतिशत अधिक वर्ष होने की संभावना है। ला नीना की वजह से तीन दिन से बारिश हो रही है। रविवार तक हल्की व मध्यम बारिश की संभावना है। -डा. राजकुमार सिंह, मौसम विज्ञानी, पंत विवि
- माह - औसत वर्षा मिमी- हुई वर्षा मिमी
- जून -183 -20.6
- जुलाई -435 -654
- अगस्त -413 -450
- सितंबर 255.1 -13 सितंबर को दोपहर 12 बजे 220.4
किसानों से परिचर्चा
काफी अंतराल में बारिश होने से धान की फसल की सिंचाई ट्यूबवेल से करनी पड़ता है। इससे लागत खर्च ढाई से तीन हजार रुपये बढ़ जाता है। पिछले साल एक एकड़ में धान फसल लेने पर करीब 10 हजार रुपये खर्च हुए थे।इस बार यह खर्च 13-14 हजार रुपये होने की उम्मीद है। 20 से 22 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन की जगह इस बार 18 से 19 क्विंटल होने की उम्मीद है। - बलकार सिंह, किसान ग्राम दोहरी परसा हेमपुर इस्माइल काशीपुर
अचानक बारिश से फसल भी प्रभावित होती है। पहले बारिश बीच बीच में बारिश नहीं हुई तो ट्यूबवेल से धान की सिंचाई की। इससे लागत खर्च बढ़ गया। अब धान की फसल में बालियां आने लगीं तो अचानक तीन दिन से तेज बारिश होने लगी है। इससे फसल बर्बाद होने की संभावना है। - जगदेव सिंह, किसान , ग्राम दरऊ टांडा, रुद्रपुर