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    माफ‍िया को झटका, दीपावली पर करोड़ों के 'गिफ्ट हैम्पर' से भरेगा उत्‍तराखंड सरकार का खजाना

    Updated: Wed, 15 Oct 2025 08:44 PM (IST)

    उत्तराखंड सरकार को दीपावली पर करोड़ों के गिफ्ट हैम्पर से राजस्व मिलने की उम्मीद है। इस पहल से राज्य सरकार को करों के माध्यम से आय होगी, जिससे माफिया की आर्थिक गतिविधियों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। सरकार राजस्व संग्रह में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

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    प्रशासन के अधीन आई प्राग फार्म की भूमि पर खड़ा है चार करोड़ से अधिक का धान. Concept Photo

    जागरण संवाददाता, किच्छा । दीपावली पर सरकार के खाते में चार करोड़ का गिफ्ट हैम्पर मिलने वाला है। सरकार के अधीन आई प्राग फार्म की भूमि पर खड़ी धान की फसल को काटने का अधिकार प्रशासन को मिल गया है। ऐसे में करीब 700 एकड़ भूमि पर धान की फसल लहलहा रही है। हाई कोर्ट से काटने का अधिकार मिलने के बाद अब प्रशासन खेत में नमी कम होने पर कटाई की तैयारी कर रहा है।

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    किच्छा के प्राग फार्म की करीब 1914 एकड़ भूमि पर कब्जे को लेकर लंबे समय से कब्जेदारों व प्रशासन के बीच कानूनी लड़ाई चल रही थी। उच्च न्यायालय ने इस भूमि पर लगी याचिका को निस्तारित कर दिया और 16 अगस्त को प्रशासन ने प्राग फार्म की 1914 एकड़ भूमि पर कब्जा ले भूमि को राज्य सरकार के नाम दर्ज कर दिया था। कब्जे पर ली 1914 एकड़ भूमि में से लगभग सात सौ एकड़ भूमि पर धान की फसल खड़ी है। बाकी बारह सौ एकड़ भूमि पर सोयाबीन व गन्ने की फसल है। उत्तराखंड में धान का सरकारी रेट खरीफ विपणन सत्र 2025-26 के लिए ₹2369 प्रति क्विंटल है।

    यह सामान्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) है, जबकि ग्रेड-ए धान के लिए यह ₹2389 प्रति क्विंटल है। धान की फसल पक कर तैयार खड़ी है। एक एकड़ खेत में करीब 25 से 30 क्विंटल धान की पैदावार होती है। यदि सब कुछ ठीक रहा और उत्पादन भी निर्धारित मानक के करीब रहा तो इस भूमि पर खड़ी धान की फसल की कीमत लगभग चार करोड़ रुपये बैठेगी। इस तरह उक्त फसल की कटाई के बाद होने वाली आमदनी को प्रशासन के लिए दीपावली का गिफ्ट हैम्पर माना जा रहा है।

    2022 में न्यायालय जिला मजिस्ट्रेट ऊधम सिंह नगर द्वारा निर्णय करते हुए भूमि को राज्य सरकार के नाम दर्ज करने का आदेश दिया था। परंतु कब्जेदारों के उच्च न्यायालय में विशेष याचिका दायर किये जाने के चलते प्रशासन भूमि पर कब्जा नहीं ले पाया था। तब से कब्जेदार ही उक्त भूमि पर फसल जोत बो रहे थे। इस बार भी इसी आस में उनके द्वारा हाई कोर्ट के निर्णय से पूर्व फसल बो दी थी। परंतु 16 अगस्त को भूमि राज्य सरकार के नाम दर्ज हो जाने के कारण उनका हक भूमि पर नहीं रहा। फिलहाल हाई कोर्ट से भी उनको कोई राहत नहीं मिली है। वहीं प्रशासन ने धान की फसल काटने की तैयारी कर ली है।


    कब्जेदार फिर कोर्ट पहुंचने की चर्चा

    प्राग फार्म की भूमि पर प्रशासन को मिले अधिकार के बाद कब्जेदार चुप बैठने को तैयार नहीं हैं। चर्चा है कि कब्जेदार हाई कोर्ट की सिंगल बैंच के आदेश के खिलाफ डबल बैंच में अपील दायर करने पहुंचे हैं। डबल बैंच से कब्जेदारों को राहत मिली है अथवा नहीं, इस पर कोई जानकारी देने को तैयार नहीं है। प्रशासनिक अधिकरी भी अभी इस मामले में कुछ बोलने से कतरा रहे हैं।