जामिया से एमए करने के बाद खनन की दुनिया में आते ही 18 डंपरों को स्वामी हो 50 हजार का इनामी जफर
जिस 50 हजार के ईनामी बदमाश जफर के पीछे उत्तर प्रदेश पुलिस दबिश देने काशीपुर पहुंची थी उसने वह कुछ साल पहले दिल्ली के जामिया विश्विद्यालय से एमए किया था। दिल्ली में पढ़ाई के दौरान ही उसे खनन कारोबार में अपना भविष्य दिखा!

जागरण संवाददाता, काशीपुर : जिस 50 हजार के ईनामी बदमाश जफर के पीछे उत्तर प्रदेश पुलिस दबिश देने काशीपुर पहुंची थी, उसने वह कुछ साल पहले दिल्ली के जामिया विश्विद्यालय से एमए किया था। दिल्ली में पढ़ाई के दौरान ही उसे खनन कारोबार में अपना भविष्य दिखा और इस सिडिंकेट से जुड़े लोगों के संपर्क में आने के बार वापस अपने गृह जनपद लौट आया।
जफर कुछ सालों में ही अवैध खनन कारोबार का ऐसा खिलाड़ी बना कि अपने अंडर में 18 डंपर चलवाने लगा। सत्ता में बैठे सफेदपोश व प्रशासन में हनक के बल पर वह पूरे सिंडीकेट पर राज करने की सोच रहा था। इसी दुस्साहस के बल पर वह एसडीएम को बंधक बनाकर खनन गाड़ी छुड़ा ले गया था।
पुलिस डिलारी के कांकरखेड़ा निवासी जफर की तलाश में जुटी हुई है। जफर पर मुरादाबाद पुलिस ने पचास हजार का इनाम घोषित कर रखा है। जफर की कांकरखेड़ा में एक बिल्डिंग मैटेरियल की दुकान भी थी, जिसके जरिये ही यह खनन कारोबारियों के संपर्क में आया। खनन में उतरने के बाद से ही उसकी संपत्ति बढ़ती गई।
13 सितंबर की घटना से 50 हजार का इनामी हुआ घोषित
बीते 13 सितंबर को एसडीएम और खनन अधिकारी को बंधक बनाने के मामले में जफर मुख्य अभियुक्त के रूप में शामिल रहा। सिंडीकेट माफिया मुहम्मद तैय्यब से पूछताछ के बाद पुलिस की निगाहे जफर पर आकर टिक गई। यूपी क्षेत्र में तेजी से दी गई दबिश के बाद जफर ने बार्डर पार कर काशीपुर के कुंडा में बचने के लिए शरण ले रखी थी। मुहम्मद तैय्यब की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने दोनों भाई जफर और नबी फरार चल रहे थे। नबी को पिछले दिनों कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। वहीं यह अभी भी फरार था।
डंपराें को बार्डर पार कराने में मुख्य सरगना था जफर
उत्तराखंड और यूपी के बार्डरों पर डंपर को पार कराने के लिए जफर और मुहम्मद तैय्यब का नेटवर्क काम करता है। दोनों के गुर्गों इसके लिए वसूली करते थे ओर यह पैसा कुछ सफेदपोश और कुछ अफसरों तक भी पहुंचता था।
गिरफ्तार आराेपितों का कहना है कि डंपर को बार्डर पार कराने के लिए एक हजार रुपये की वसूली की जाती थी। लंबे समय से इस काम को कर रहा था। इस काम में उसके साथ सत्ता के करीबी नेताओं के साथ ही अफसरों की मिलीभगत रही है। सिंडीकेट माफिया जनपद और मंडल के बाहर मौजूद अफसरों के संपर्क में रहते थे।

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