Dussehra 2025: हवा में उड़ा रावण का कुनबा, दोबारा खड़ा किया तो आ गई बारिश और अंत समय उड़ गई मुंडी
रुद्रपुर में विजयादशमी पर रावण दहन के लिए बनाए गए पुतले मौसम की मार से टूट गए। तेज हवा और बारिश के कारण रावण का सिर धड़ से अलग हो गया। अधूरे पुतले को ठीक करने के प्रयास विफल रहे और अंत में रावण के सिर को चरणों में रखकर दहन किया गया। श्रीराम के तीर से रावण का कुनबा जलकर राख हो गया।

बृजेश पांडेय, रुद्रपुर। विजयादशमी पर गुरुवार को सभी जगह लंकेश का दहन हुआ, लेकिन रुद्रपुर में रावण का अंत और भी बुरा हुआ। यहां गांधी मैदान में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले काफी दिन से तैयार हो रहे थे। 65 फीट का रावण, 60 फीट का कुंभकरण व 58 फीट के मेघनाथ को बनाने के लिए बाहर से कारीगर आए थे।
जलने से एक दिन पहले सब ओके हो चुका था, लेकिन गुरुवार सुबह बिगड़े मौसम के मिजाज ने रावण परिवार को छिन्न-भिन्न कर दिया। अपराह्न करीब डेढ़ बजे हवा के झोकें में पुतले जमीन पर गिर पड़े, उसके बाद वर्षा शुरू हो गई तो भीग भी गए। शाम होते-होते रावण का सिर धड़ से अलग हो गया।
अधूरे सिर का रावण खराब लग रहा था तो दो जेसीबी मंगाई गईं। मगर अधूरे रावण को पूरा करने के लिए सरकारी सिस्टम भी काम नहीं आया। आखिरकार अंत में चरणों के पास सिर रखना पड़ा और श्रीराम के एक तीर से असत्य का यह पूरा कुनबा स्वाह हो गया।
विजयदशमी पर अहंकारी रावण के पुतले का दहन करने की परंपरा है। ऐसी ही परंपरा हर साल रुद्रपुर के ऐतिहासिक गांधी पार्क में भी हर बार जीवंत होती है। करीब एक सप्ताह पहले से रामपुर से आए कारीगरों ने 65 फीट का रावण, 60 फीट का कुंभकर्ण और 58 फीट के मेघनाद का पुतला तैयार किया। गुरुवार को मौसम ने करवट बदली और अपराह्न करीब डेढ़ बजे तेज हवा शुरू हो गई।
जिसमें पहले मेघनाद का पुतला फिर रावण और कुंभकर्ण का पुतला मैदान में ही धराशाई हो गया। बामुश्किल कारीगरों ने तीनों को उठाया, लेकिन इसी बीच बारिश ने जैसे-तैसे खड़े हो रहे रावण परिवार को और ज्यादा कमजोर कर दिया। अधिक भीग जाने और गिरने के चलते रावण का सिर धड़ से टूटकर अलग हो गया तो रावण का भाई कुंभकर्ण भी साबुत नहीं बचा और उसके सिर का आधा हिस्सा टूट गया।
कारीगर जलने तक के लिए इन्हें सही से खड़ा करने में जुटे थे लेकिन शाम तेजी से बढ़ रही थी और उसी गति से भीड़ भी उमड़ने लगी। ऐसे में कारीगरों ने बिना सिर के रावण के पुतले को खड़ा कर दिया। इस दौरान मैदान में पहुंचे श्रीरामलीला कमेटी के पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने भी रावण-कुंभकरण की बीमार हालत देख सिर जोड़ने की पहल की।
इस पर तत्काल दो जेसीबी मंगाई गई, मगर सरकारी प्रयास भी काम नहीं आए। सिर टिक ही नहीं पाया। सफलता न मिलने पर सिर को रावण के कदमों में रख दिया गया। प्रतीकात्मक रूप में उसके बगल में करीब 15 फीट के दशानन की फ्लैक्सी खड़ी करनी पड़ी।
जिससे रावण के पुतले की पहचान हो सके। करीब आठ बजे पुतला दहन हुआ, श्रीराम के तीर से बिना सिर वाला रावण तो धू-धूकर जल उठा लेकिन कुंभकर्ण और मेघनाथ अधजले ही रह गए।
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