Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बारिश-आंधी ने लंकापति रावण को भिगोया, तीर लगने से पहले ही उड़ गए 10 सिर

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 07:33 PM (IST)

    रूद्रपुर में विजय दशमी पर रावण कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले दहन से पहले ही तेज हवा और बारिश के कारण गिर गए। 65 फीट का रावण का पुतला जो अहंकार का प्रतीक था बिना सिर का हो गया जबकि कुंभकर्ण का सिर भी आधा टूट गया। रामलीला कमेटी ने प्रतीकात्मक रूप से रावण की पहचान के लिए एक फ्लेक्सी लगाई।

    Hero Image
    रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद युद्ध से पहले ही धराशाई हो गए। जागरण

    जागरण संवाददता, रुद्रपुर। विजय दशमी पर्व पर ऊधम सिंह नगर के जिला मुख्यालय रुद्रपुर स्थित सबसे बड़ी रामलीला कमेटी की ओर से गांधी पार्क में तैयार किए गए रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद युद्ध से पहले ही धराशाई हो गए।

    इतना ही नहीं जलने से पहले ही बारिश ने उन्हें भिगो दिया। जिसके चलते तीनों पुतले क्षत विक्षत हो गए। स्थिति ऐसी हो गई कि दशानन के नाम से प्रसिद्ध रावण का एक सिर भी धड़ पर नहीं टिका रह गया। बिना सिर का धड़ यानी पुतला जलने के लिए तैयार किया गया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सत्य की असत्य पर जीत

    देशभर में आज विजय दशमी का पर्व मनाया गया है। सत्य की असत्य पर और धर्म का अधर्म पर जीत का प्रतीक इस पर्व पर अहंकारी रावण के पुतले का दहन कर मनाने की परंपरा है। रुद्रपुर में सबसे पुरानी श्री रामलीला कमेटी की ओर से प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी गांधी पार्क में पुतला दहन का कार्यक्रम प्रस्तावित था।

    करीब एक सप्ताह पहले से रामपुर की आई टीम ने 65 फीट का रावण, 60 फीट का कुंभकर्ण और 58 फीट के मेघनाद का पुतला तैयार करने में जुट गए थे। गुरूवार को मौसम ने परिवर्तन लिया और एक बार तेज और रूक रूक कर फिर बारिश हुई। इससे पहले तेज हवा भी चली। जिसमें पहले मेघनाद का पुतला फिर रावन और कुंभकर्ण का पुतला धराशाई हाे गया।

    बामुश्किल लेागों ने तीनों को उठाया, लेकिन बारिश में अधिक भीग जाने और गिरने के चलते रावण का सिर धड़ से टूटकर अलग हो गया। इधर कुंभकर्ण का सिर आधा टूट गया। शाम होने के चलते दहन का समय हो गया, ऐसे में बिना सिर के रावण के पुतले को खड़ा कर दिया गया।

    प्रतिकात्मक के रूप में उसके बगल में एक करीब 15 फीट का दशानन की फ्लेक्सी खड़ी कर दी गई। जिससे रावण के पुतले की पहचान हो सके।