उत्तराखंड की इस यूनिवर्सिटी ने बिहार की छात्रा को एमएससी में दिया एडमिशन, फिर किया कैंसिल
पंतनगर विश्वविद्यालय ने बिहार की एक छात्रा का एमएससी में प्रवेश रद्द कर दिया है जिससे उसका एक साल बर्बाद होने का डर है। विश्वविद्यालय का कहना है कि दूसरे राज्य का ईडब्ल्यूएस मान्य नहीं है जबकि छात्रा का आरोप है कि प्रवेश के समय उसे इस बारे में नहीं बताया गया था। उसने अन्य विश्वविद्यालयों की काउंसलिंग भी छोड़ दी थी।

संसू जागरण, पंतनगर। गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की ओर से बिहार की छात्रा का एमएससी में लिया प्रवेश निरस्त कर दिया है। विवि की ओर से बताया गया कि अन्य राज्य का ईडब्ल्यूएस मान्य नहीं होगा।
इधर छात्रा ने कहा कि पूरे नियमानुसार प्रवेश लिया था, यदि ऐसा था तो शुरू में ही क्यों नहीं बताया गया। अब उसका पूरा वर्ष बर्बाद हो जाएगा। जिस कारण उसका प्रवेश निरस्त किया है, विवि के प्रवेश संबंधी विज्ञापन में इसका उल्लेख कहीं नहीं है।
बिहार के ग्राम न्यू हर्नी चक अनीशाबाद पटना निवासी छात्रा निहारिका पुत्री पूरन शंकर सिंह ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से आयोजित परीक्षा पास करने के उपरांत जीबी पंत विवि के कृषि महाविद्यालय में कृषि आनर्स में बीएससी की थी। उसके बाद छात्रा को इस वर्ष कृषि एक्टेंशन एजुकेशन प्रोग्राम में एमएससी प्रथम वर्ष में आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी में दाखिला मिला।
इसके लिए गत माह दो अगस्त को फीस जमा कर दी गई और चार अगस्त को काउंसलिंग हुई। आठ अगस्त को विवि के परीक्षा नियंत्रक की ओर उसे मेल भेजकर यह कहकर प्रवेश निरस्त करने की बात कही गई की सिर्फ उत्तराखंड के अभ्यर्थियों के लिए ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में दाखिला देने का प्रावधान है। बाहरी राज्यों के लिए यह सुविधा नहीं है। यह भी उल्लेख किया गया कि परीक्षा नियंत्रक कार्यालय की गलती से छात्रा को प्रवेश दिया गया है।
यह पढ़ छात्रा और उसके स्वजन के पैरों तले जमीन खिसक गईं। छात्रा ने प्रवेश निरस्त न करने का अनुरोध भी किया। कहा कि जब उत्तराखंड के बाहरी विद्यार्थियों को आर्थिक रूप से कमजोर कोटे से प्रवेश नहीं लेने का प्रावधान है तो फिर प्रवेश के लिए जारी विज्ञापन में इसका उल्लेख क्यों नहीं किया गया। उन्होंने विवि की नियमावली के बिंदु संख्या 22 और 26 का हवाला देते हुए बताया कि ईडब्ल्यूएस सब कैटेगरी से संबंधित कोई जिक्र नहीं है।
यह विवि प्रशासन की लापरवाही है। इसमें मेरा क्या कसूर है। छात्रा निहारिका ने बताया कि वह प्रवेश लेने के बाद पांच अगस्त से हास्टल में रह रही थी। लेकिन प्रवेश को लेकर असमंजस की स्थिति से वह क्लास नहीं जा पा रही रही थी। बताया कि कई संस्थानों में प्रवेश की सूची में नाम आया था, लेकिन यहां प्रवेश मिलने पर अन्य संस्थान में प्रवेश नहीं लिया। वहीं विश्वविद्यालय के कुलपति से मिलने की कोशिश की लेकिन नहीं मिलने दिया गया।
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार से मिलने पर कोई संतुष्ट पूर्ण जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक से मिली लेकिन संतुष्टपूर्ण जवाब वहां से भी नहीं मिला। अधिकारी बस यहां से वहां घुमाते रहे। निराश होकर निहारिका ने स्वजनों को स्थिति से अवगत कराया, शनिवार को अपने घर बिहार वापस लौट गई।
इस विषय में जब विवि के कुलसचिव डा. दीपा विनय और विवि के परीक्षा नियंत्रक डा. विनोद कुमार से बात करने की कोशिश की तो दोनों का मोबाइल नंबर स्विच आफ बता रहा था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।