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    Durga Puja 2022: काशीपुर का मां बाल सुंदरी मंदिर, हिंदू विरोधी मुगल शासक औरगंजेब ने कराया था जीर्णोद्धार

    By Jagran NewsEdited By: Rajesh Verma
    Updated: Sat, 01 Oct 2022 11:55 AM (IST)

    durga puja 2022 यहीं मंदिर (Maa Bal Sundari Temple of Kashipur) परिसर में उत्तर भारत का प्रसिद्ध चैती मेला (Chaiti Mela) लगता है। इस दौरान माता मंदिर में ही विराजती हैं और भक्तों पर कृपा कर उनके कष्टों को हरती हैं। इस मंदिर का इतिहास भी बेहद रोचक है।

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    Durga puja 2022 : यह मंदिर काशीपुर कस्बे में कुंडेश्वरी मार्ग पर स्थित है।

    जागरण संवाददाता, काशीपुर। Durga Puja 2022 : काशीपुर में 52 आदि शक्तिपीठों में से एक है मां बाल सुंदरी का मंदिर (Maa Bal Sundari Temple of Kashipur)। इससे जुड़ा इतिहास भी बेहद रोचक है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार स्वयं हिन्दू विरोधी क्रूर मुगल शासक औरगंजेब ने कराया था। सुनने में यह बात अजीब लगे लेकिन यह सच है।

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    उज्जैनी व उकनी शक्तिपीठ भी था इसका नाम

    माता का यह नाम उनके द्वारा बाल रूप में की गई लीलाओं की वजह से पडा है। इसे पूर्व में उज्जैनी एवं उकनी शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता था। माता के प्रांगण में चैत्रमास में लगने वाला उत्तर भारत का प्रसिद्ध चैती मेला लगता है। इस दौरान माता मंदिर में ही विराजती हैं और भक्तों पर कृपा कर उनके कष्टों को हरती हैं।

    औरंगजेब की बहन के सपने में आई थी मां

    मंदिर के मुख्य पंडा विकास अग्निहोत्री बताते हैं कि उनके पूर्वज गया दीन और बंदी दीन कई सौ वर्ष जब यहां से गुजर रहे थे तभी उन्हें यहां पर दिव्य शक्ति होने का अहसास हुआ और उन्हें देवी का मठ मिला। उस समय भारत पर औरंगजेब का शासन चलता था। औरगंजेब ने यहां पर मंदिर बनाने से मना कर दिया। इस बीच औरगंजेब की बहन जहांआरा का स्वास्थ्य खराब हो गया। उस पर किसी की भी दवा का असर नहीं हो रहा था। माता ने बाल रूप में जहांआरा को दर्शन दिए और कहा कि उसका भाई औरंगजेब मंदिर का जीर्णोद्धार कराए तो वह स्वस्थ हो जाएगी। यह बात जब जहांआरा ने औरंगजेब को बताई तो उसने खुद अपने मजदूर भेज कर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। आज भी मंदिर के उपर बनी मस्जिद नुमा आकृति एवं तीन गुंबद इस बात को प्रमाणित करते हैं।

    मंदिर में पहले चढ़ती थी बलि

    यह मंदिर (Maa Bal Sundari Temple of Kashipur) काशीपुर कस्बे में कुंडेश्वरी मार्ग पर स्थित है। यह स्थान महाभारत से भी संबंधित रहा है। यह धार्मिक एवं पौराणिक रूप से ऐतिहासिक स्थान है। यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। नवरात्रि में अष्टमी, नवमी व दशमी के दिन यहां श्रद्धालुओं का समूह ही उमड़ पड़ता है। नवरात्रि के अवसर पर यहां तरह-तरह की दुकानें भी मेले में लगती हैं। यहां देवी महाकाली के मंदिर में बलि भी चढ़ाई जाती थी। अंत में दशमी की रात्रि को बालासुन्दरी की डोली में अपने स्थायी भवन काशीपुर के लिए प्रस्थान करती हैं।

    ऐसे पहुंचे चैती माता मंदिर

    चैती माता मंदिर (Chaiti mata temple) पहुंचने के लिए फ्लाइट, बस और ट्रेन की सुविधा है। फ्लाइट से चैती माता मंदिर पहुंचने के लिए दिल्ली से पंतनगर और फिर पंतनगर से करीब करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर रोड से होकर पहुंचा जा सकता है। इसके साथ ही सड़क मार्ग से दिल्ली, गाजियाबाद, लखनऊ, मुरादाबाद, हल्द्वानी से ट्रेन और बस की सुविधा है। मुरादाबाद से रामनगर रूट पर मंदिर स्थित है।

    मां का मंदिर आस्था का केंद्र है सैकड़ों सालों से श्रद्धालु यहां आते हैं। नवरात्रि पर मां के मंदिर की छटा देखते ही बनती है। यहां मनोकामना मांगने वालों की हर इच्छा पूरी होती है और वह फिर दर्शन को आते हैं।

    -विकास अग्निहोत्री, मुख्य पंडा, चैती माता मंदिर