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    Lok Sabha Election 2024: दो साल पहले जहां की जनता ने छोड़ा था उत्‍तराखंड सीएम पुष्‍कर सिंह धामी का साथ, आज उन्‍होंने भाजपा को दिया 'हाथ'

    Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव में खटीमा विधानसभा में जीत का आधार मुख्यमंत्री धामी के द्वारा लिए गए कड़े फैसले और धरातल पर किए गए विकास कार्य माने जा रहे हैं। बता दें कि दो साल पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान जिन पुष्कर सिंह धामी से यहां के मतदाताओं ने मुंह चुरा लिया था और हाथ का साथ दिया था।

    By Raju metadi Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 07 Jun 2024 02:19 PM (IST)
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    Lok Sabha Election 2024: दो साल में ही सीमांत से खिसक गई कांग्रेस की जमीन

    राजेंद्र सिंह मिताड़ी, खटीमा : Lok Sabha Election 2024: राजनीति की चौसर पर शह मात का खेल कब पलट जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। अयोध्या या फिर बनारस की बात छोड़िए उत्तराखंड में खटीमा विधानसभा क्षेत्र से लोकसभा चुनाव में पार्टियों को मिले जनादेश ने सभी को चौंका दिया है।

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    दो साल पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान जिन पुष्कर सिंह धामी से यहां के मतदाताओं ने मुंह चुरा लिया था और हाथ का साथ दिया था, उन्हीं मतदाताओं ने चंद समय के भीतर ही इस लोकसभा चुनाव में पूरे क्षेत्र को पुष्कर से महकाते हुए कमल खिला दिया।

    मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे धामी ने यहां से अपनी हार के बाद भी खटीमा को जिस तरह से विकास के पटल पर प्राथमिकता में रखा और यहां का कायाकल्प करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, उससे मतदाताओं को भी लगा कि धामी का साथ ना देकर उन्होंने बड़ी सियासी भूल की है। खटीमा से इस बार भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट को ऐतिहासिक जीत दिलाकर यहां के मतदाताओं ने संदेश दे दिया कि उन्हें किसी का हाथ नहीं सिर्फ धामी का साथ चाहिए।

    नैनीताल-उधमसिंह नगर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट विजयी रहे हैं। इस सीट पर यह उनकी लगातार दूसरी जीत है। उन्होंने कांग्रेस के प्रकाश जोशी को 3 लाख 34 हजार मतों के अंतर से परास्त किया। लेकिन इस बार जीत के इस अंतर को पहले की तुलना में बनाए रखना चुनौतीपूर्ण था। विशेषकर तराई के खटीमा से लेकर जसपुर तक उत्तर प्रदेश तक लगे उस इलाके में, जहां पड़ोसी राज्य से उठकर सत्ता विरोधी मिजाज की सुगबुगाहट पहुंच रही थी।

    मगर इन हवाओं के यहां तक पहुंचने से पहले ही भाजपा के मजबूत सुरक्षा कवच ने इन्हें रोक लिया। यह सुरक्षा कवच और कुछ नहीं, बल्कि सीएम पुष्कर सिंह धामी की कुशल रणनीति थी। खटीमा से चुनाव हारने और दूसरे क्षेत्र से चुनाव जीतने के बाद भी मुख्यमंत्री धामी ने खटीमा से मुंह नहीं मोड़ा और लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहने के साथ-साथ विकास कार्यों के लिए पैसा उड़ेलते रहे।

    इसका सीधा असर मतदाताओं के मन पर हुआ और उन्होंने कांग्रेस का हाथ झटक कर भाजपा के साथ चलने का फैसला किया। यही कारण है धानसभा चुनाव में छह हजार वोट से पीछे रहने वाली भाजपा दो साल में ही अकेले खटीमा विधानसभा क्षेत्र में ही 25 हजार वोट से आगे हो गई।

    मुख्यमंत्री धामी की निरंतर सक्रियता का ही परिणाम रहा कि न केवल खटीमा, बल्कि ऊधमसिंह नगर जिले की नानकमत्ता, किच्छा, बाजपुर व जसपुर विधानसभा सीटों से भी कांग्रेस के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई। ये वे क्षेत्र थे, जहां विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विधायक चुनकर आए थे।

    कांग्रेस के माथे पर पसीना 40 डिग्री तापमान के बीच खटीमा के मतदाताओं ने लोकसभा में मतदान किया। जिसके बाद लोगों में परिणामों को लेकर चिंता थी, उम्मीद थी कि गर्मी के बीच चढ़ा सियासी पारा गुल खिलाएगा। यहां के विधायक उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी जिनको कांग्रेस पार्टी ने अपनी स्टार प्रचारक की सूची में शामिल किया था, कापड़ी को खटीमा ही नहीं बल्कि अन्य विधानसभाओं में प्रचार का जिम्मा दिया गया था।

    भुवन कापड़ी को पहली बार में इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलने के पीछे एक कारण ये भी था कि उन्होंने मुख्यमंत्री धामी को यहां से चुनाव हराया था। लेकिन एकाएक लोकसभा के चुनाव परिणामों ने पार्टी के माथे पर पसीना ला दिया है। पार्टी के रणनीतिकार ये समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि छह हजार वोटों से जीतने वाली कांग्रेस दो साल में इतने नीचे आ गई कि 25 हजार की लीड भाजपा प्रत्याशी को खटीमा विधानसभा से दे दी।

    अपने बूथ पर भी संजीवनी नहीं दे पाए विधायक कापड़ी

    लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान कराने के लिए भाजपा-कांग्रेस के पदाधिकारी व कार्यकर्ता रात-दिन जुटे रहे। भाजपा की तरह कांग्रेस पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को भी जमीन स्तर पर कार्य करने के निर्देश दिए गए थे, जबकि शीर्ष नेताओं को अपने क्षेत्र के साथ ही अन्य स्थानों पर भी प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने को कहा गया था, जिस कारण दोनों दलों के नेताओं ने एड़ीचोटी का जोर लगाया हुआ था, लेकिन उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी अपने ही बूथ पर पार्टी प्रत्याशी को संजीवनी नहीं दे पाए, नतीजतन कांग्रेस प्रत्याशी को खटीमा विस सीट से करारी हार का सामना करना पड़ा।

    उनके वार्ड में भाजपा को 363 व कांग्रेस को 114 ही मत मिले। सीएम पुष्कर धामी के बूथ नगरा तराई में भाजपा प्रत्याशी को एकतरफा वोट पड़ा, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी यहां कोई असर नहीं छोड़ पाए। सीएम धामी के गृहक्षेत्र नगरा तराई में भाजपा को 624 व कांग्रेस को मात्र 55 वोट पड़े।

    2022 के विधानसभा चुनाव में पड़े वोट

    • भाजपा- 41598
    • कांग्रेस- 48177
    • जीत का अंतर- 6579

    2024 के लोकसभा चुनाव में खटीमा में पड़े वोट

    • भाजपा- 50553
    • कांग्रेस- 25646
    • जीत का अंतर- 24907

    इस वजह ने खिला दिया कमल

    लोकसभा चुनाव में खटीमा विधानसभा में जीत का आधार मुख्यमंत्री धामी के द्वारा लिए गए कड़े फैसले और धरातल पर किए गए विकास कार्य माने जा रहे हैं। उन्होंने खटीमा में पहेनिया कुटरी-बाइपास, रोडवेज बस अड्डा, एकलव्य विधालय, आर्मी कैंटीन, स्टेडियम, केंद्रीय विद्यालय, शहरी का चौड़ीकरण व सौंदर्यीकरण, सौ बेड का अस्पताल, गौशाला, पालीटेक्निक कालेज आदि विकास कार्य कराए हैं।