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    दीपावली पर उल्लुओं के बचाव को लेकर वन प्रभाग अलर्ट, काशीपुर तराई पश्चिमी गश्त बढ़ाई

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 04:52 PM (IST)

    दीपावली के अवसर पर उल्लुओं के शिकार की आशंका को देखते हुए वन विभाग सतर्क हो गया है। काशीपुर तराई पश्चिमी वन प्रभाग ने गश्त बढ़ा दी है और लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उल्लुओं के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है और शिकार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

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    दीपावली पर तंत्र-मंत्र और झाड़-फूंक के कार्यों में उल्लू के उपयोग की कुप्रथा. Concept Photo

    /Bदीपावली पर उल्लुओं के बचाव को लेकर तराई पश्चिमी वन प्रभाग अलर्ट मोड में
    /B= वनकर्मियों की गश्त बढ़ाकर, संवेदनशील क्षेत्रों में किया गया अलर्ट
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    जागरण संवाददाता, काशीपुर। दीपावली का त्योहार नजदीक आते ही जहां एक ओर बाजारों में रौनक बढ़ गई है, वहीं दूसरी ओर उल्लुओं की तस्करी और शिकार को लेकर वन विभाग पूरी तरह सतर्क हो गया है। दीपावली पर तंत्र-मंत्र और झाड़-फूंक के कार्यों में उल्लू के उपयोग की कुप्रथा के चलते हर साल इन दुर्लभ पक्षियों पर संकट मंडराता है। इसी को देखते हुए तराई पश्चिमी वन प्रभाग ने अपने समूचे क्षेत्र में विशेष निगरानी अभियान शुरू कर दिया है।

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    वन विभाग तराई पश्चिमी की तरफ से कर्मियों को अलर्ट मोड पर रख दिया गया है। दीपावली अवधि के लिए एक विशेष गश्ती योजना तैयार की है। इसके तहत प्रभाग के सभी रेंज काशीपुर, जसपुर, बाजपुर में रात्रिकालीन गश्त बढ़ा दी गई है। विभागीय कर्मियों को संवेदनशील स्थानों, धार्मिक स्थलों, जंगल किनारे के गांवों और स्थानीय पशु-बर्ड मार्केट में चौकसी बरतने के निर्देश दिए गए हैं।

    रेंजर देवेन्द्र रजवार ने बताया कि तराई पश्चिमी वन प्रभाग ने बताया कि दीपावली के समय उल्लू के अवैध शिकार और व्यापार की गतिविधियां बढ़ने का खतरा रहता है। इसके मद्देनजर विभाग ने फील्ड स्टाफ को अलर्ट मोड में रखा है। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के दिशा-निर्देशों के अनुसार हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। डीएफओ ने कहा कि उल्लू पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत उपयोगी पक्षी है, जो खेतों में चूहों और हानिकारक कीटों की संख्या नियंत्रित करके किसानों की फसलों की रक्षा करता है।

    इंटरनेट मीडिया और सूचना तंत्र पर नजर

    विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर भी निगरानी बढ़ाई है, ताकि किसी व्यक्ति द्वारा उल्लू की बिक्री या खरीद से जुड़ी पोस्ट या जानकारी साझा करने पर तत्काल कार्रवाई की जा सके। विभागीय कर्मचारियों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि स्थानीय ग्रामीणों, दुकानदारों और विद्यालयों में जागरूकता कार्यक्रम चलाकर लोगों को बताया जाए कि उल्लू का शिकार या व्यापार गैरकानूनी है।

    वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कड़ी सजा का प्रावधान

    वन विभाग ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि उल्लू का शिकार, व्यापार या किसी प्रकार की हिंसा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची चार के अंतर्गत गंभीर अपराध है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर तीन वर्ष तक की सजा और दस हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।

    यदि किसी को उल्लू के शिकार, पकड़ने या बिक्री की जानकारी मिले तो तुरंत वन विभाग या पुलिस को सूचित करें। हमारी टीमे लगातार गश्त कर रही हैं।
    देवेन्द्र रजवार, रेंजर, काशीपुर।