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टीए बिल घोटाले में तत्कालीन सीएमओ समेत तीन के खिलाफ मिले सबूत

स्वास्थ्य विभाग में टीए बिल घोटाले की जांच कर रही एसआइटी को तत्कालीन सीएमओ समेत तीन कर्मचारियों के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य मिल गए हैं।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 28 Sep 2018 10:34 AM (IST)Updated: Fri, 28 Sep 2018 10:34 AM (IST)
टीए बिल घोटाले में तत्कालीन सीएमओ समेत तीन के खिलाफ मिले सबूत

रुद्रपुर, [जेएनएन]: स्वास्थ्य विभाग में टीए बिल घोटाले की जांच कर रही एसआइटी को तत्कालीन सीएमओ समेत तीन कर्मचारियों के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य मिल गए हैं। इन साक्ष्यों के आधार पर ही एसआइटी स्वास्थ्य निदेशालय से आरोपितों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति लेगी। 

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काला टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसी के नाम पर स्वास्थ्य विभाग में 83 लाख रुपये का टीए बिल घोटाला वर्ष 2015 में सामने आया था। पंतनगर थाने में मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की थी। करीब डेढ़ साल से अधिक समय तक पुलिस की जांच ठप रही। 

इसे देखते पांच माह पूर्व एसएसपी डॉ. सदानंद दाते ने शासन के आदेश पर एसआइटी का गठन किया था। जांच मिलने के बाद एसआइटी ने सीएमओ कार्यालय और ट्रेजरी समेत अन्य संबंधित विभागों से टीए बिल के दस्तावेज कब्जे में लिए थे। 

बीते दिनों एजी कार्यालय से भी दस्तावेज मिलने के बाद जांच हुई तो तत्कालीन सीएमओ डॉ. राकेश कुमार सिन्हा समेत तीन कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई। एसआइटी के मुताबिक जांच में बिल बाउचर फर्जी मिले। फर्जी बिलों से पेमेंट कर लाखों के राजस्व को नुकसान पहुंचाया गया। एसआइटी अधिकारियों के मुताबिक अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद सीएमओ समेत तीनों कर्मचारियों की गिरफ्तारी की जाएगी। 

पूर्व सीएम के पीआरओ के फर्जी पैड से हुआ खेल

83.31 लाख रुपये का फर्जी टीए बिल घोटाला तत्कालीन सीएम के जनसंपर्क अधिकारी के फर्जी पैड, हस्ताक्षर और मोहर से खेला गया। सीएमओ के बिल पास कराने के बाद ट्रेजरी से काला टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसी को चेक और ड्राफ्ट से पेमेंट हुआ। 

2013-14 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने क्षेत्रवार भ्रमण किया था। दो-तीन दिन के इस भ्रमण कार्यक्रम के बाद अधिकारियों के टीए बिल पास कराने का जिम्मा सीएमओ के पास था। बिल स्वीकृत करने से पहले यात्रा प्रमाणित करनी थी। 

इस पर अधिकारियों ने तत्कालीन सीएम के जनसंपर्क अधिकारी उत्तम सिंह रावत के फर्जी हस्ताक्षर, पैड और मोहर बनाकर काला टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसी देहरादून के नाम पर बिल प्रमाणित कर दिया था। बिल सीएमओ के पास पहुंचा तो उन्होंने इसे पास कर दिया। ट्रेजरी से बिल ड्राफ्ट और चेक के जरिये काला टूर एंड ट्रेवल्स के संचालक सुशील उनियाल को मिला।एसआइटी अधिकारियों के मुताबिक इस पूरे घोटाले की जांच में तत्कालीन सीएमओ, लेखा विभाग के साथ ही प्रशासनिक अधिकारी दोषी पाए गए हैं।

काशीपुर, बाजपुर के छह पटवारियों से पूछताछ

बाजपुर-सितारगंज हाईवे (एनएच-74) मुआवजा घोटाले में एसआइटी ने काशीपुर और बाजपुर तहसील के छह पटवारियों से पूछताछ की। एसआइटी ने जब्त दस्तावेज और पटवारियों के दस्तावेजों का मिलान भी किया। 

मुआवजा घोटाले में एसआइटी अभी तक पांच पीसीएस समेत 24 अधिकारी, कर्मचारी, किसान और बिल्डर्स को गिरफ्तार कर चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। कुछ किसानों की तलाश की जा रही है। 

एसआइटी के बुलावे पर बाजपुर और काशीपुर के छह पटवारी सुबह 10 बजे एसएसपी कार्यालय पहुंचे। वहां उनसे 11 बजे से पूछताछ शुरू हुई, जो दोपहर डेढ़ बजे तक चली। 

फरार किसानों की तलाश में दबिश

करोड़ों का मुआवजा लेने वाले 18 किसानों के खिलाफ गैर जमानती वारंट एसआइटी ने हासिल किया था। इसके बाद फरार हुए किसानों की तलाश जारी है। 

गिरफ्तारी स्टे खारिज करने को हाईकोर्ट में अर्जी

फर्जी दस्तावेजों से नियुक्ति पाने वाले 17 में से 14 शिक्षकों को हाई कोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे मिलने के बाद एसआइटी ने इसे खारिज करने को कवायद शुरू कर दी है। 

एसआइटी ने एक शिक्षक का स्टे ऑर्डर खारिज करने को आवेदन किया। नवंबर 2016 में शिक्षा विभाग में फर्जी दस्तावेजों से नियुक्ति पाने वाले 17 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया था। साथ ही उनके खिलाफ पंतनगर थाने में केस दर्ज किया गया था। 

डेढ़ साल तक जांच अधर में ही लटकी रही। चार माह पहले जांच एसआइटी को सौंप दी गई थी। उसने शिक्षा विभाग के साथ ही गदरपुर, किच्छा, सितारगंज और नानकमत्ता से शिक्षकों के प्रमाण पत्र हासिल कर इलाहाबाद जाकर उनका सत्यापन किया। 

इसके बाद एसआइटी ने बर्खास्त शिक्षकों की गिरफ्तारी को दबिश दी, लेकिन कोई हत्थे नहीं चढ़ा। अब एसआइटी अन्य शिक्षकों के भी गिरफ्तारी स्टे खारिज कर गिरफ्तारी शुरू कर सकती है।

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