क्रिकेटर बुमराह के दादा थे तीन फैक्ट्री के मालिक, अब टेंपो चलाकर भर रहे पेट
विरोधी टीमों के खिलाड़ियों में अपनी यार्कर गेंदों से खौफ पैदा करने वाले भारतीय टीम के युवा तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के सगे दादा संतोष सिंह बुमराह आज टेंपो चलाने को विवश हैं।
किच्छा, ऊधमसिंह नगर [जेएनएन]: विरोधी टीमों के खिलाड़ियों में अपनी यार्कर गेंदों से खौफ पैदा करने वाले भारतीय टीम के युवा तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के सगे दादा संतोष सिंह बुमराह मुफलिसी में जी रहे हैं। घर परिवार चलाने का एक मात्र साधन आटो रिक्शा है।
पिछले गुरुवार को उनकी बेबसी पर शहर के कुछ समाजसेवियों की नजर पड़ी तो वह उन्हें एसडीएम के दरबार में लेकर पहुंचे। उनकी आप बीती सुन एसडीएम का भी दिल पसीजा। उन्होंने मुख्यमंत्री से कोई न कोई मदद दिलाने का भरोसा दिया है।
शहर के आवास विकास कालोनी में एक जर्जर वह किराए के मकान में 84 साल के संतोख सिंह बुमराह पुत्र उत्तम सिंह बुमराह रहते है। उनके साथ उनका 45 वर्षीय पोलियो ग्रस्त पुत्र जसविंदर रहता है। दोनों पिता पुत्रों की आजीविका का एक मात्र साधन एक आटो रिक्शा है।
यह आटो कभी किराए पर चलता है तो कभी चालक न मिलने पर संतोख सिंह स्वयं ही दौड़ा लेते है। संतोख के आज जो हालात हैं वह अपनों के दिए हुए हैं। कभी उनकी अहमदाबाद में तीन फैक्ट्रियां थीं। वर्ष 2001 में उनका जमा जमाया कारोबार डगमगा गया।
बैंक का 75 लाख का कर्ज चुकाने के लिए संतोख को अपनी फैक्ट्री भी बेचनी पड़ी। वर्ष 2006 में संतोख अपनी दो फैक्ट्री जसप्रीत की मां दलजीत कौर को सौंप अपने विकलांग बेटे व पत्नी को साथ ले किच्छा अपने भाइयों रुलदेव सिंह, गुरुमुख व कुलविंदर के पास आ गए।
यहां साथ लाए पैसों से आधा दर्जन टैंपो खरीदे पर इस दौरान संतोख तीन माह तक बीमार क्या हुए सारे टैपों इलाज कराने में बेच देने पड़े।
2010 में पत्नी अजीत कौर का भी निधन हो गया। भाइयों से भी कोई सहयोग नही मिला, खरीदे टेपो में बचा एक टेंपो ही आज संतोख व उनके विकलांग बेटे का सहारा है।
टेंपो का हुआ चालान तो खुला राज
संतोख सिंह बुमराह के एक मात्र सहारे टेंपो का पुलिस ने हाल ही में चालान कर दिया था। इसे छुड़ाने के लिए वह कई दिनों से कोतवाली के चक्कर लगा रहे थे। इस दौरान उनके कुछ परिचितों ने उनके बारे में लोगों को जानकारी दी। संतोख ने जसप्रीत के दादा होने के तमाम सबूत भी मीडिया के सामने पेश किए।
बुमराह से नहीं है मदद की चाह
क्रिकेटर जसप्रीत के दादा का साफ कहना है कि वह अपने पोते से एक पैसे की मदद की आस नहीं रखते। वह कहते है कि पोता आज बड़ा खिलाड़ी है, इसका उन्हें गर्व है, वह एक बार उसे गले लगा आशीर्वाद जरूर देना चाहते हैं।
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