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    उत्तराखंड में इस भाजपा विधायक पर हमलावर अपनी ही पार्टी के लोग, कार्रवाई की मांग; ये है मामला

    Updated: Sun, 09 Nov 2025 04:53 PM (IST)

    उत्तराखंड में भाजपा विधायक पर उनकी ही पार्टी के लोगों द्वारा हमला किया गया है, जिसके बाद पार्टी में विवाद उत्पन्न हो गया है। विधायक के समर्थकों ने हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। हमले का कारण राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता माना जा रहा है। कार्रवाई न होने पर समर्थकों ने आंदोलन की चेतावनी दी है।

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    विधानसभा में भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने बंगाली समाज पर की थी टिप्पणी। आर्काइव

    जागरण संवाददाता, शक्तिफार्म । विधानसभा में भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान के बंगाली समाज पर की गई टिप्पणी का विरोध अब पार्टी संगठन के भीतर भी तेज हो गया है। रविवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने टैगोर नगर स्थित निजी स्कूल में प्रेस वार्ता कर चौहान पर तीखा हमला बोलते हुए पार्टी नेतृत्व से उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की।

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    साथ ही इस मुद्दे पर कांग्रेस के चुनावी फायदा उठाने की कोशिश का आरोप भी लगाया। प्रेस वार्ता में वरिष्ठ भाजपा नेता संजय बाछाड़ ने कहा कि यदि मुन्ना सिंह चौहान अपनी भाषा और अनर्गल बयानबाजी पर लगाम नहीं लगाते तो इसका सीधा नुकसान पार्टी को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि चौहान का कहना कि “उत्तराखंड धर्मशाला नहीं है, यहां खैरात नहीं बंट रहा” पूरी तरह असंवेदनशील बयान है। उन्होंने कहा कि बंगाली समाज यहां किसी से खैरात मांगने नहीं आया।

    विभाजन के बाद भारत सरकार ने बंगाली समाज को देश के 18 राज्यों में पुनर्वासित किया और 1956, 1965 व 1970 में बड़ी संख्या में परिवार उत्तराखंड में बसाए गए। उन्होंने दावा किया कि ये लोग प्रदेश के मूल निवासी हैं, क्योंकि वे राज्य गठन (2000) से पहले यहां आ चुके थे। भाजपा मंडल अध्यक्ष गोविंद तालुकदार ने कहा कि चौहान की टिप्पणी से उधम सिंह नगर की नौ विधानसभा सीटें प्रभावित हो रही हैं, जहां बंगाली समाज के करीब सवा लाख मतदाता हैं। उन्होंने प्रदेश और जिला संगठन से विधायक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की।

    इस मौके पर भाजपा पदाधिकारियों ने बंगाली समाज का मुद्दा विधानसभा में उठाने के लिए कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़ का आभार भी जताया, लेकिन उन पर आरोप लगाया कि वे स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए और वर्तमान कार्यकाल में चार वर्ष तक इस मुद्दे पर कभी सक्रिय नहीं रहे। प्रेस वार्ता में गोविंद तालुकदार, पूर्व अध्यक्ष विष्णु प्रमाणिक, संजय बाछाड़, मयंक अग्रवाल, रमेश राय, केपी मंडल, तारक मंडल, विजय बागला, मनोज सरकार, संजीव दे, प्रभाकर राय आदि मौजूद रहे।